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भारत से हुई बड़ी चूक, ठुकरा दिया था श्रीलंका का ऑफर और चीन ने कर डाली 'घुसपैठ'

By Yogender Kumar
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China बढ़ा रहा हैं Sri Lanka के साथ नज़दीकी, India से हुई बड़ी चूक | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्‍ली। श्रीलंका ब्रिटिश राज से आजादी की 70वीं सालगिरह मना रहा है। इस मौके पर चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने खास तौर पर श्रीलंका के राष्‍ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना को बधाई संदेश दिया। भारत के इस पड़ोसी पर लंबे समय से डोरे डाल रहे चीन ने श्रीलंका राष्‍ट्रपति के साथ न केवल दोस्‍ती की कसमें खाईं बल्कि रणनीतिक साझेदारी का सुनहरा ख्‍वाब भी संजो लिया। इतना ही नहीं, श्रीलंका के साथ खास रिश्‍तों के बारे में चीनी राष्‍ट्रपति ने खुलकर इरादे भी जाहिर किए। हालांकि, ऐसा बहुत कम होता है जब चीनी राष्‍ट्रपति इस प्रकार से विदेश नीति से जुड़े मामलों पर बोलें, लेकिन इस बार ऐसा हुआ। मतलब बहुत साफ है भारत को चीन को स्‍पष्‍ट संदेश दे रहा है कि हिंद महासागर में ड्रैगन को कमजोर न समझा जाए। इसमें शक नहीं कि श्रीलंका-चीन के बीच रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन दुख की बात यह है कि चीन लगातार श्रीलंका के साथ रिश्‍ते प्रगाढ़ कर रहा है और भारत के पास ड्रैगन की इस चाल का कोई जवाब नहीं है। वैसे श्रीलंका में ड्रैगन की एंट्री के लिए अगर कोई जिम्‍मेदार है तो वह भारत ही है।

जब राजपक्षे ने 2010 में चीन से पहले भारत को दिया था ऑफर

जब राजपक्षे ने 2010 में चीन से पहले भारत को दिया था ऑफर

2010 में श्रीलंका के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने सिंगापुर स्‍ट्रेट टाइम्‍स को एक इंटरव्‍यू दिया था। उस वक्‍त उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर कहा था कि श्रीलंका के हम्‍बनटोटा में पोर्ट बनाने के लिए उन्‍होंने सबसे पहले भारत से ही मदद मांगी थी। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के चलते हम्‍बनटोटा बर्बाद हो गया था। राजपक्षे के मुताबिक, भारत की तत्‍कालीन यूपीए सरकार ने श्रीलंका के ऑफर में जरा भी दिलचस्‍पी नहीं दिखाई थी। वैसे एक सच यह भी है कि हम्‍बनटोटा पोर्ट का निर्माण भारत के लिए आर्थिक तौर पर फायदे का सौदा नहीं था। वैसे चीन को भी इस प्रोजेक्‍ट से कोई खास आर्थिक लाभ नहीं है, लेकिन उसका मकसद कुछ और है।

चीन ने श्रीलंका में 1.5 अरब डॉलर खर्च कर भारत पर बनाया दोहरा दबाव

चीन ने श्रीलंका में 1.5 अरब डॉलर खर्च कर भारत पर बनाया दोहरा दबाव

श्रीलंका के हम्‍बनटोटा में चीन ने 1.5 अरब डॉलर खर्च कर दो मकसद हासिल किए। पहला- भारत के पड़ोस में सामरिक ताकत हासिल करना और दूसरा हिंद महासागर में 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्‍स' यानी समुद्री सैन्‍य ठिकानों की सूची में एक और बेस जोड़ लेना। चीन मुख्‍य रूप से दो देशों को ध्‍यान में रखकर 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्‍स' का निर्माण कर रहा है। पहला- भारत और दूसरा अमेरिका। इस लिहाज से श्रीलंका में चीन की घुसपैठ बेहद खतरनाक है।

करीब एक दशक से है श्रीलंका पर चीन की नजर

करीब एक दशक से है श्रीलंका पर चीन की नजर

चीन को श्रीलंका में निवेश करते हुए करीब एक दशक बीत चुका है। उसने यहां अरबों डॉलर पानी की तरह बहा दिया। श्रीलंका में जब 2009 में गृहयुद्ध समाप्‍त हुआ, तब खुद राजपक्षे ने ड्रैगन का विशेष शुक्रिया अदा किया था। लिट्टे का खात्‍मा करने में चीन ने श्रीलंका की काफी मदद की थी। ड्रैगन ने उसे हथियार से लेकर डॉलर तक सबकुछ उपलब्‍ध कराया।

Comments
English summary
offered to India first but ultimately the Chinese agreed to build port in shri lanka and dragon adds another pearl to its string
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