कांग्रेस बोली- चीन की घुसपैठ, जीडीपी जैसे सवालों से बचने को खत्म किया प्रश्नकाल
कांग्रेस बोली- प्रश्नकाल ना होने का मतलब सरकार डरी हुई है चीन की घुसपैठ, जीडीपी जैसे सवालों से बचने को खत्म किया प्रश्नकाल
नई दिल्ली। संसद के आगामी मानसून सत्र में प्रश्न काल ना किए जाने और गैर सरकारी विधेयक ना लाए जाने के सरकार के फैसले की कांग्रेस ने कड़ी आलोचना की है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है कि देश के सामने जो समस्याएं हैं, सरकार उन पर जवाब नहीं देना चाहती। कोई सवाल ही ना हो इसलिए प्रश्नकाल को ही खत्म कर दिया है। सरकार की ओर से कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई परिस्थितियों का हवाला देते हुए शून्य काल ना करने की बात कही गई है।
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सवालों से बचना चाहती है मोदी सरकार
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने गुरुवार को कहा है कि सरकार डरी हुई है। सरकार उन सवालों का सामना नहीं करना चाहती जो आज देश के सामने हैं। सुरजेवाला ने कहा- चीन की भारत की धरती पर घुसपैठ हुई है, अर्थव्यवस्था का बट्ठा बैठा हुआ है, जीडीपी आजाद भारत के इतिहास में सबसे नीचे है, 12 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरियां गई हैं। इन सब सवालों से बचने को ही प्रश्नकाल खत्म किया गया है।
टीएमसी सांसद ने कहा, ये लोकतंत्र की हत्या
टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन ने प्रश्नकाल ना करने को कोरोना वायरस के नाम पर लोकतंत्र की हत्या बताया है। डेरेक ने ट्वीट किया, सांसदों को प्रश्नकाल के लिए अपने प्रश्न 15 दिन पहले जमा करने होंगे. संसदीय सत्र 14 सितंबर को शुरू होगा। इसलिए प्रश्नकाल स्थगित? विपक्ष के सासंदों ने सरकार से सवाल करने का अधिकार खो दिया है। 1950 के बाद पहली बार? संसद का सारे कामकाज का समय एक जैसा रहता है, तो फिर प्रश्नकाल रद्द क्यों किया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना। कई दूसरे दलों ने भी इस पर कड़ा एतराज किया है।
14 सितंबर से है सत्र
पांच माह के अंतराल के बाद 14 सितंबर से संसद का सत्र शुरू हो रहा है। इसका समापन एक अक्टूबर को प्रस्तावित है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि सत्र के दौरान प्रश्न काल नहीं होगा, कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई असाधारण परिस्थितयों को देखते हुए सरकार के आग्रह के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने निर्देश दिया है कि सत्र के दौरान गैर सरकारी विधेयकों के लिए कोई भी दिन तय ना किया जाए।
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