मंकीपॉक्स वायरस से नहीं है घबराने की जरूरत, जानिए इस वायरस को लेकर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
नई दिल्ली, मई 21। कई यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकीपॉक्स वायरस का कहर देखने को मिल रहा है। इस वायरस के संक्रमित मरीज तेजी से यूरोपीय देशों से सामने आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, अभी तक यह वायरस 8-10 देशों में पाया जा चुका है और तेजी से अन्य देशों की तरफ दस्तक दे रहा है। इस वायरस को लेकर लोगों में दहशत का माहौल देखने को मिल रहा है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह मंकीपॉक्स एचआईवी की तरह जूनोटिक है।
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'एचआईवी की तरह जूनोटिक है मंकीपॉक्स वायरस'
डॉक्टर ईश्वर गिलाडा ने कहा है कि मंकीपॉक्स वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह एचआईवी की तरह जूनोटिक है। यह वायरस बंदर से आता है, जिसे सिमियन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस कहा जाता है। ऐसे वायरस जानवरों में फैलते हैं लेकिन इंसानों तक पहुंच जाते हैं। पिछले 40 वर्षों में सभी संक्रमण वायरल हैं। बहुत शक्तिशाली एंटी-वायरल नहीं है। वायरल बदलते रहते हैं।
'महामारी का रूप नहीं लेगा यह वायरस'
ईश्वर गिलाडा ने आगे कहा कि इस बात का अभी कोई तथ्य नहीं मिला है कि यह वायरस महामारी का रूप धारण कर लेगा। खासकर कोविड की तरह, जिसने एक छोटे से शहर से शुरू होकर दुनिया के कई देशों में महामारी को जन्म दिया। इस वायरस ने 2 साल के लिए दुनिया को थाम दिया था, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है बस स्टडी की जरूरत है।
10 से अधिक देशों में मिल चुका है यह वायरस
आपको बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस के केस अभी तक यूरोपीय देशों में मिले हैं। बताया जा रहा है कि अभी तक 10 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स के 100 के करीब मरीज मिल चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मंकीपॉक्स का पहला मामला लंदन से 5 मई को सामने आया था, जब एक ही परिवार के 3 लोगों में यह संक्रमण मिला था। जिन देशों में यह संक्रमण अभी तक मिल चुका है, उनमें बेल्जियम, फ्रांस, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, पुर्तगाल, स्वीडन और ब्रिटेन का नाम शामिल है। इसके अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी यह वायरस मिला है।
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