शरद पवार और अजीत पवार में से किसमें अपना भविष्य चुनेंगे एनसीपी विधायक!
बेंगलुरू। महाराष्ट्र की सियासत के नामचीन चेहरों में शुमार एनसीपी प्रमुख शरद पवार का नाम हार मानने वाले नेताओं में नहीं है, लेकिन लगता है पहली बार शरद पवार भतीजे अजित पवार के सामने नतमस्तक होने वाले हैं। अजीत पवार ने पार्टी से तब बगावत की जब एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार गठन की तैयारियों को मूर्ति रूप दे चुके थे।
गौरतलब है अजीत पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए बावजूद इसके शरद पवार अजित पवार के खिलाफ सख्त रुख नहीं अपना पा रहे हैं। उम्रदराज शरद पवार एनसीपी के दिग्गज नेताओं को भतीजे को मनाने में जुटे हैं।
वैसे भी कहा जाता है कि कोई कितना भी बड़ा बलशाली क्यों न हो, वह अपनों से हार ही जाता है। कुछ ऐसा ही हाल शरद पवार का है, जो भतीजे अजीत पवार के बगावत के बाद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करना तो दूर सॉफ्ट रवैया अख्तियार किए हुए हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बेटे अखिलेश की बगावत के आगे हथियार डाल दिए थे।
पूर्व जेडीएस चीफ एचडी देवगौड़ा ने बेटे एचडी कुमारास्वामी के बगावत के बाद भी चुप्पी साध ली थी। शरद पवार लगातार भतीजे अजीत पवार के साथ भी उसी मोड में हैं। शायद यही कारण है कि अजित पवार के कड़े रूख के बाद भी शरद पवार नरम पड़े हुए हैं। यह नर्मी की इंतिहा की कहेंगे कि उन्होंने महाराष्ट्र में ढाई-ढाई साल के CM के मुद्दे का शिगूफा छोड़ दिया है।
शरद पवार अच्छी तरह से जानते हैं कि शिवसेना महाराष्ट्र में पूर्णकालिक मुख्यमंत्री से कम पर तैयार नहीं होगी, लेकिन 50-50 मुख्यमंत्री को राग छेड़कर शरद पवार ने संभावित के भविष्य को भी दांव पर लगाने से गुरेज नहीं किया, क्योंकि वो अजित पवार की वापसी सुनिश्चित करना चाहते हैं। यह शरद पवार की किसी दीर्घकालिक राजनीति का हिस्सा माना जा सकता है।
क्योंकि 22 नवंबर रात 9 बजे तक शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के साथ महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बातचीत करने वाले अजित पवार के अचानक गायब होने और फिर सुबह बीजेपी के साथ अप्रत्याशित गठबंधन करके महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम की शपथ लेने की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं सकी है।
निः संदेह शरद पवार एनसीपी के राजनीतिक भविष्य और उत्तराधिकारी के रूप में अजित पवार को देखते हैं। एनसीपी से बगावत के बाद लगातार कड़ा रूख अपनाने वाले अजित पवार के खिलाफ शरद पवारा का सॉफ्ट रवैया बतलाता है कि एनसीपी कहीं न कहीं पूरी तरह से अजित पवार पर निर्भर है, क्योंकि पिछले दो दशकों से अजित पवार ही एनसीपी के औपचारिक कामकाज का जिम्मा संभाल रहे हैं।
इनमें महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में टिकट बंटवारा का फैसला भी शामिल है। शरद पवार ने एनसीपी से बगावत के बाद गठबंधन में शामिल दलों को दिखाने के लिए अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया, लेकिन अभी तक अजित पवार को पार्टी से बर्खास्त करने की जहमत नहीं उठा सके हैं।
आखिर क्या वजह है कि सियासत के सबसे मजबूत चेहरा रहा शरद पवार आज मजूबर है। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि शरद पवार के बाद भतीजे अजीत पवार ही भविष्य में एनसीपी की कमान संभालेंगे, बेटी सुप्रिया सूले का कहीं कोई नाम नहीं था। फिर क्या वजह थी कि अजित पवार उस बीजेपी के साथ गलबहियां करके खड़े हो गए, जिसके साथ नहीं खड़े होने की शरद पवार कसमें खा रहे हैं।
कहीं ऐसा तो नहीं है कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने तकनीकी रूप से एनसीपी की कमान अजित पवार के हवाले कर दी है। अगर ऐसा नहीं होता तो 27 नवंबर को फ्लोर टेस्ट करवाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी बीजेपी शांत है और फ्लोर टेस्ट में अपनी जीत देख रही है।
एनसीपी को तोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद अजित पवार का पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना तय था, लेकिन अभी तक अजित के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया जाना दर्शाता है कि सियासत के सूरमा शरद पवार कहीं अटके तो जरूर हैं।
यही कारण है कि अजित पवार के लगातार नकारात्क जवाबों के बाद भी शरद पवार पूरी तरह से सॉफ्ट रुख अख्तियार किए हुए हैं। 'पवार परिवार' की कोशिश है कि किसी भी तरह अजित पवार को मनाया जाए और उन्हें फिर एनसीपी खेमे में वापस बुलाया जाए। इसी सिलसिले में अभी शरद पवार और सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास से भी बात की है।
अजित पवार को मनाने में शरद पवार ने एनसीपी के दिग्गज नेताओं को लगा रखा है, जो लगातार अजित से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें महाराष्ट्र के राजनीति में दिग्गज नेता छगन भुजबल और जयंत पाटिल जैसे बड़े एनसीपी नेता शामिल हैं।
अजित पवार की जगह पर एनसपी के नए विधायक दल के नेता चुने गए जयंत पाटिल सार्वजनिक तौर पर ट्वीट करके अजित पवार से घर वापसी की गुहार लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक अजित पवार को डिप्टी सीएम बनने को मासूम गलती ठहराने से नहीं चूक रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब 27 नवंबर यानी कल महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है। देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के भविष्य के साथ ही एनसीपी के राजनीतिक भविष्य का भी टेस्ट होना है।
फ्लोर टेस्ट के बाद अगर एनसीपी के 54 विधायक बीजेपी के पाले में खड़े नजर आए तो यह तय हो जाएगा कि एनसीपी अब शरद पवार की कमान से निकलकर अजित पवार के हाथों में पहुंच गई है, जिसका डर शरद पवार को सता रहा है और अगर एनसीपी विधायक उम्रदराज शरद पवार में भविष्य चुनते हैं तो बीजेपी की सरकार गिर जाएगी।
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