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मोदी सरकार-रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की 'जंग' ख़त्म कर सकते हैं ये 11

अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिए भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) में कृषि के लिए इंफोसिस चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी एक जाने माने कृषि अर्थशास्त्री हैं.

वो कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

By BBC News हिन्दी
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उर्जित पटेल
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उर्जित पटेल

भारतीय रिज़र्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच चली आ रही तनातनी सोमवार की बैठक के बाद ख़त्म हो सकती है.

इस बैठक से कई अहम मुद्दों के सुलझने की उम्मीद जताई जा रही है. बैठक में बोर्ड के सभी 18 सदस्य हो सकते हैं.

बैठक में आरबीआई की तरफ़ से गवर्नर उर्जित पटेल और चार डिप्टी गवर्नर हैं. वहीं, आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्त सेवा सचिव राजीव कुमार बोर्ड में सरकार की तरफ़ से हैं.

इसके अलावा, बोर्ड में 11 सदस्य ऐसे भी होते हैं, जिन्हें केंद्र सरकार नियुक्त करती है. आरबीआई के इन गैर-आधिकारिक निदेशकों की नियुक्तियां चार साल के लिए की जाती है.

मौजूदा बोर्ड में कुछ सदस्य ऐसे भी हैं, जिनके सरकार से रिश्तों पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

हम आपको उन सदस्यों के बारे में कुछ ख़ास बातें बताते हैं, जो सरकार की ओर से नियुक्त किए गए हैं और आरबीआई की बैठक में ये लोग अहम भूमिका निभा सकते हैं.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
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कौन कर सकता है ये नियुक्तियां?

अमूमन इस तरह की नियुक्तियों का प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की ओर से सरकार को भेजा जाता है और 'अप्वॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी)' इन नियुक्तियों पर मुहर लगाती है.

'गैर-आधिकारिक निदेशक' का ये पद इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आरबीआई के महत्वपूर्ण निर्णयों में इस 'मार्गदर्शक मंडल' की सलाह अहम होती है.

नियुक्ति के वक़्त भी ये सवाल उठाया गया है कि क्या ऐसे अहम पदों पर सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े लोगों को ही बैठाना चाहती है?

जानकार कहते हैं कि ऐसी प्रथा रही है कि आरबीआई ही सदस्यों के नामों के सुझाव देता रहा है.

मगर आरोप हैं कि इस बार सरकार ने खुद ही ये नियुक्तियां की हैं और ऐसा करने से पहले सरकार ने आरबीआई से कोई सलाह भी नहीं ली.

इनमें संघ के विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति का नाम सबसे अहम है.

स्वामीनाथन गुरुमूर्ति

संघ विचारक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड का 'गैर-आधिकारिक निदेशक' इसी साल अगस्त में बनाया गया था.

गुरुमूर्ति की नियुक्ति की ख़बर ने विदेशी मीडिया का भी ध्यान खींचा था.

गुरुमूर्ति पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और जाने-माने अर्थशास्त्री भी हैं. गुरुमूर्ति संघ के विचारक माने जाते हैं.

गुरुमूर्ति लंबे समय तक संघ की एक इकाई स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक भी रहे हैं.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
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डॉक्टर प्रसन्‍न कुमार मोहंती

हॉवर्ड विश्‍वविद्यालय में पोस्‍ट-डॉक्‍टोरल सदस्‍य रह चुके डॉक्टर प्रसन्‍न कुमार मोहंती ने दिल्‍ली स्‍कूल ऑफ इकोनॉमिक्‍स से अर्थशास्त्र में स्‍नातकोत्‍तर की डिग्री हासिल की है.

इसके अलावा मोहंती ने बोस्‍टन विश्‍वविद्यालय से राजनीतिक अर्थशास्‍त्र में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है.

उन्होंने शहरी लोक नीति और वित्‍त में विशेषज्ञता सहित पीएचडी भी की है.

वे न्यूयॉर्क स्थित जनसंख्‍या परिषद के सदस्‍य भी रह चुके हैं और हाल फिलहाल तक हैदराबाद विश्‍वविद्यालय में अर्थशास्‍त्र के चेयर प्रोफेसर भी थे. वो भारतीय प्रशासनिक सेवा (1979 बैच) के अधिकारी भी हैं.

मोहंती ने अर्थशास्त्र पर कई किताबें भी लिखी हैं.

दिलीप एस संघवी

62 साल के दिलीप एस संघवी को साल 2016 में पद्मश्री अवॉर्ड से नवाज़ा गया था.

दिलीप 'फार्मास्‍यूटिकल इंडस्ट्रीज' से आते हैं और उनकी एक अंतरराष्‍ट्रीय स्तर की दवा कंपनी है.

रेवती अय्यर

रेवती अय्यर पूर्व नौकरशाह हैं.

पूर्व उप नियंत्रक और महालेखापरीक्षक रेवती अय्यर परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार में संयुक्‍त सचिव के रूप काम कर चुकी हैं.

डॉक्टर सचिन चतुर्वेदी

सचिन चतुर्वेदी के बारे में कहा जाता है कि वो भारतीय जनता पार्टी के 'थिंक टैंक' से जुड़े रहे.

डॉक्टर सचिन चतुर्वेदी 'येल विश्‍वविद्यालय' में 'मैकमिलन सेंटर फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स' में 'ग्‍लोबल जस्टिस फेलो' रह चुके हैं. वो जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय (जेएनयू) में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे.

उनके कार्यक्षेत्रों में संयुक्‍त राष्‍ट्र खाद्य और कृषि संगठन, विश्‍व बैंक, यूएन-ईएससीएपी, यूनेस्‍को, ओईसीडी, राष्‍ट्रमंडल सचिवालय, आईयूसीएन, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, पर्यावरण और वन मंत्रालय में सलाहकार शामिल है.

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नटराजन चंद्रशेखरन

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक नटराजन चंद्रशेखरन ने 'रीज़नल इंजीनियरिंग कॉलेज', त्रिची, तमिलनाडु से 'कम्प्यूटर एप्लीकेशन' में स्नातकोत्‍तर उपाधि हासिल की है.

उन्हें भारत और विदेशों के कई डॉक्टरेट की मानद उपाधियों से भी सम्मानित किया गया है.

चंद्रशेखरन साल 2015 से लेकर 2016 तक विश्व आर्थिक मंच, दावोस में आईटी उद्योग के अध्यक्ष भी रहे हैं.

भरत नरोत्तम दोशी

भरत नरोत्तम दोशी हावर्ड बिजनस स्कूल (पीएमडी) के छात्र और "एशियन इकॉनोमिजः रिजनल एंड ग्लोबल रिलेशनशिप्स" पर साल्जबर्ग सेमिनार के फेलो रह चुके हैं.

नरोत्तम दोशी महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के पूर्व कार्यपालक निदेशक और ग्रुप सीएफओ भी रहे हैं.

2016 में भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक बोर्ड के निदेशक के रूप में उनका नामांकन होने पर उन्होंने यह पद छोड़ दिया था.

सुधीर मांकड

आईएएस रह चुके सुधीर मांकड ने भारत सरकार और गुजरात सरकार में मुख्य रूप से शिक्षा और वित्त विभागों में काम किया.

वो गुजरात के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं.

नवरचना विश्वविद्यालय, वडोदरा के गवर्नर बोर्ड के सदस्य होने के अलावा वो नई शिक्षा नीति बनाने के लिए गठित समिति के सदस्य के रूप में कार्य कर रहे हैं.

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अशोक गुलाटी

अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिए भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) में कृषि के लिए इंफोसिस चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी एक जाने माने कृषि अर्थशास्त्री हैं.

वो कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आर्थिक सलाहकार परिषद के सबसे युवा सदस्य रहे हैं और हाल तक कर्नाटक के राज्य नियोजन बोर्ड के सदस्य भी थे.

मनीष सभरवाल

लाइफ नामक एचआर आउटसोर्सिंग कंपनी के सह-संस्थापक मनीष सभरवाल 'राष्ट्रीय कौशल मिशन' के सदस्य हैं.

वो भारत सरकार की कई समितियों में भी रह चुके हैं.

सतीश काशीनाथ मराठे

बैंक ऑफ इंडिया से अपना बैंकिंग करियर शुरू करने वाले सतीश काशीनाथ मराठे सहकारी क्षेत्र के एक एनजीओ 'सहकार भारती' के संस्‍थापक हैं.

उन्‍होंने भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता में डिप्‍लोमा भी हासिल किया है.

वो लंबे वक़्त से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) से जुड़े रहे.

सुभाष चंद्र गर्ग

पूर्व आईएएस अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग भारत सरकार के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव रह चुके हैं.

राजस्‍थान कैडर के गर्ग बांग्‍लादेश, भूटान, भारत और श्रीलंका के लिए विश्‍व बैंक समूह में कार्यपालक निदेशक भी रहे हैं.

राजीव कुमार

राजीव कुमार वही वित्त मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं.

वो नीति आयोग के पुनर्गठन से संबंधित टीम के भी सदस्‍य थे.

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English summary
Modi government-Reserve Bank of Indias Jung can end this 11
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