VIDEO: लॉकडाउन में प्रवासी मजदूर हुए बेहाल, श्मशान के पास फेंके गए सड़े केले खाने को मजबूर
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से देश में जारी लॉकडाउन की सबसे अधिक मार गरीब प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है। राजधानी दिल्ली में हजारों मजदूर खाने-पीने की दिक्कतों का बुरी तरह से सामना कर रहे हैं। दिल्ली में लॉकडाउन के चलते हालात ऐसे हैं कि गरीब मजदूरों को श्मशान घाट के फेंके गए सड़े-गले केले खाकर पेट भरना पड़ा रहा है। यही नहीं दिल्ली के कश्मीरी गेट के पास हज़ारों प्रवासी मज़दूर यमुना के किनारे सोने के लिए मजबूर हैं।
लॉकडाउन से परेशान प्रवासी मजदूर
एनडीटीवी द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में दिख रहा है कि, दिल्ली के निगमबोध घाट पर कुछ मजदूर फेंके गए सड़े केलों में से चुनकर खा रहे हैं। वीडियो में एक मजदूर कह रहा है कि, खाना नहीं मिल रहा है, तो क्या करें? केला ही खा रहा हूं। हम सारे यहीं सो रहे हैं। इसी से काम चल जाएगा। लॉकडाउन के कारण सब बंद है। रहने को जगह नहीं है। सड़क पर जाते हैं, तो पुलिस मारती है।
इन प्रवासी मजदूरों को स्कूलों में शिफ्ट किया गया
मीडिया में खबर आने के बाद दिल्ली सरकार ने घटना पर संज्ञान लिया और इन प्रवासी मजदूरों को स्कूलों में शिफ्ट किया गया। इस दौरान उनकी स्कैनिंग भी की गई और खाने के लिए फल और पीने के लिए पानी भी दिया गया। इन्हीं में से एक देवरिया के हरिराम ने बताया कि वह लेबर का काम करते थे। कोराना को लेकर हल्ला मचा तो उनका मालिक घबरा गया और उसने उन्हें निकाल दिया। उनके कुछ रिश्तेदार यहां यमुना किनारे रहते थे, तो वह उनके पास आ गए और यहीं रहने लगे। उन्होंने बताया कि जब से शेल्टर होम में आग लगी है, तब से उन लोगों को एक टाइम का ही खाना मिल रहा था।
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सैकड़ों मजदूरों को भूखे पेट सोना पड़ रहा है
बता दें कि लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है और सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि लोगों को खाना और रहने की जगह मुहैया कराई गई है। लेकिन दिल्ली से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसमें हजारों लोग एक स्थान पर इकट्ठा हुए हैं। कई लोगों ने बताया है कि यहां खाने की व्यवस्था नहीं है, पहले सरकार की तरफ से खाना मिल जाता था लेकिन बीते कुछ दिनों से केवल एक ही समय का भोजन मिल पा रहा है।
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