महबूबा मुफ्ती ने कहा, पुलवामा आतंकी हमले के बहाने जम्मू-कश्मीर के लोगों पर ना हो अत्याचार
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पुलवामा हमले को लेकर आगाह करते हुए कहा कि शरारती तत्वों को पुलवामा आतंकी हमले का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। क्योंकि ये राज्य के लोगों पर अत्याचार करने और परेशान करने का बहाना नहीं है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के जवानों की मौत का दर्द इस तरह की शैतानी योजनाओं के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
महबूबा ने शनिवार को ट्विटर पर कहा, 'हम दर्द और गुस्से को समझते हैं। लेकिन हमें जम्मू कश्मीर के लोगों को सताने या परेशान करने के लिए शरारती तत्वों को इसे एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। उन्हें किसी और की नापाक हरकत को क्यों सहना चाहिए? हम लोगों को हमारे आंसुओं का इस्तेमाल करने देने के बजाय एकजुट होने की जरूरत है।'
पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीपी) प्रमुख की यह टिप्पणी जम्मू में हिंसक प्रदर्शन की खबरों और राज्य के बाहर कुछ स्थानों पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाए जाने की रिपोर्टों के संदर्भ में है। महबूबा मुफ्ती ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा,'दर्द और आक्रोश के इस वक्त में हमें बांटने की कोशिशें होंगी। धर्मों और पहचानों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाएगा। हिन्दू बनाम मुस्लिम। जम्मू बनाम कश्मीर। हमारे दर्द को इस तरह की शैतानी योजनाओं को कामयाब होने में इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए।' उनके एक कहावत का इस्तेमाल करते हुए एक और ट्वीट किया कि कुल्हाड़ी भूल जाती है लेकिन पेड़ को याद रहता है का जिक्र किया। ये एक अफ्रीकी कहावत है जिसका मतलब है कि जिस पर बीतती है वो ही उस तकलीफ को याद रखता है।
गौरतलब है कि गुरुवार को साउथ कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर विस्फोटक से भरी कार से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने फिदायीन हमला किया था। इस आत्मघाती में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए। इस हमले में घायल कई जवानों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस हमले को स्थाई आतंकी आलिद अहमद डार ने अंजाम दिया था।