मायावती की राष्ट्रपति को चिट्ठी, दिल्ली हिंसा की हो उच्चस्तरीय न्यायिक जांच
नई दिल्ली। बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर दिल्ली हिंसा की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। मायावती ने लिखा है कि दिल्ली में 1984 के सिख दंगों की तरह ही हिंसा हुई है। दिल्ली में हुई हिंसा ने दुनिया भर में देश का गलत चेहरा पेश किया है। इसमें खासतौर से केंद्र सरकार की विशेष जिम्मेदारी बनती है। भाजपा और इसकी सरकार अपने कानूनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में काफी हद तक विफल रही है।
चिट्ठी में मायावती ने कहा है, भाजपा न खुद ऐसा कोई काम करें और ना ही पार्टी के लोग किसी तरह का उग्र बयान दें, जिससे देश में अराजकता का माहौल बने। ज्यादा चिंता की बात यह है कि दंगों की आड़ में जो अब घिनौनी राजनीति की जा रही है, जिसे पूरा देश देख रहा है, उससे यहां की सभी राजनीतिक पार्टियों को जरूर बचना चाहिए।
मायावती ने कहा है कि दिल्ली दंगों की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच हो। दंगों में हुये जान-माल के नुकसान की केंद्र और दिल्ली सरकार मिलकर पूरी भरपाई करे। साथ ही कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस को फ्री-हैंड दिया जाए, उनके काम में हस्तक्षेप नहीं हो।
बता दें कि दिल्ली हिंसा में 42 लोगों की जान जा चुकी है। 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं करोड़ों रुपए की संपत्ति के नुकसान का अनुमान है। मायावती के अलावा कांग्रेस ने भी केंद्र पर दिल्ली हिंसा को लेकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति को हिंसा को लेकर ज्ञापन दिया है। सोनिया गांधी ने अमित शाह से जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा मांगा है। वहीं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने मौजूदा सरकार को राजधर्म याद रखने को कहा है। एक और विपक्षी दल शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में शुक्रवार को लिखा है कि जब दिल्ली जब जल रही थी, तब गृहमंत्री अमित शाह कहां थे, क्या कर रहे थे?