Maharashtra Political Drama: इस भगत सिंह ने रात के अंधेरे में लोकतंत्र की हत्या कर दी: Saamana
मुंबई। महाराष्ट्र का सियासी दंगल अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है, राज्य में फ्लोर टेस्ट पर आज सुबह साढ़े 10 बजे फैसला सुनाया जाएगा। बता दें कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम और अजित पवार को डेप्युटी सीएम बनाने के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी, तीनों दलों ने कोर्ट में अपनी दलीलों में विधानसभा में तुरंत बहुमत परीक्षण की मांग की थी। कोर्ट ने कल मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शिवसेना का तीखा प्रहार
फिलहाल महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच शिवसेना की ओर से लगातार भाजपा पर वार जारी है, शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी(बीजपी) और अजित पवार पर जमकर निशाना साधा है, सामना में लिखा गया है कि सत्ता के लिए अंधे लोगों ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान और प्रतिष्ठा का बाजार लगा रखा है।
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दूसरे भगतसिंह ने लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया
महाराष्ट्र के गठन में इन लोगों ने पसीने की एक भी बूंद नहीं बहाई होगी, ऐसे लोगों ने यहां राजनीतिक घोटाला किया है, शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है, ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं, इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है? एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं तो वहीं दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया।
'बीजेपी को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा'
बता दें इससे पहले शिवसेना ने अपने मुख पत्र 'सामना' में लिखा था कि बीजेपी सत्ता पाने के लिए हर तरह का दांव दिखा रही है, वो लोगों को ईडी के नाम पर डरा रही है, लोगों के अंदर खौफ पैदा कर रही है लेकिन इन सब के बावजूद वो विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाएगी।अब बीजेपी को बहुमत मिलना मतलब भैंसे से दूध दुहने जैसा है, अजीत पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बांध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ऑपरेशन कमल योजना बनाई है, जिसका नैतिकता से कुछ भी लेना-देना नहीं है, महाराष्ट्र में जो कुछ हो रहा है उसे नाटक कहना रंगमंच का अपमान है।
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