तिरंगे की डिजाइन वाला केक काटना राष्ट्रभक्ति के खिलाफ नहीं: मद्रास हाईकोर्ट
चेन्नई: तिरंगे के सम्मान से जुड़े एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने साफ किया कि अशोक चक्र के साथ तिरंगे की डिजाइन वाला केक काटना तिरंगे का अपमान नहीं है और ना ही इसे देशभक्ति के खिलाफ कहा जा सकता है। कोर्ट ने इस केस को राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 का उल्लंघन मानने से भी इनकार कर दिया। कोर्ट के इस आदेश के बाद से कई अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है, क्योंकि उनका नाम इसमें शामिल था।
वैसे ये मामला 2013 का है, जब क्रिसमस डे के मौके पर तमिलनाडु के कोंयबटूर में 6*5 फीट का केक काटा गया। तिरंगे के रंग में बने इस केक के ऊपर अशोक चक्र भी था। इस केक को काटने के बाद उसे 2500 लोगों में बांटा गया। मामले ने तूल इस वजह से पकड़ा क्योंकि कार्यक्रम में जिला कलेक्टर, डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस समेत कई धार्मिक नेता मौजूद थे। इसके बाद डी सेंथीकुमार नाम के शख्स ने इसको लेकर कोर्ट में एक याचिका डाली। साथ ही इसे राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 का उल्लंघन बताया, जिसके तहत तीन साल की सजा का प्रावधान है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत जैसे लोकतंत्र में राष्ट्रवाद बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें हाइपर नहीं होना चाहिए। राष्ट्रवादी वही नहीं है, जो तिरंगा उठाता है, बल्कि वो भी हैं जो सुशासन के लिए काम करते हैं। राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक देशभक्ति का पर्याय नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे केक काटना अराष्ट्रभक्ति नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने रवींद्रनाथ टैगोर की कुछ पंक्तियों का भी जिक्र किया।