भूख की कमी-डायरिया-उल्टी और पेट दर्द भी हो सकते हैं Coronavirus के लक्षण
नई दिल्ली- कोरोना वायरस को लेकर जो नए शोध हुए हैं, उससे पता चला है कि यह फेफड़े और उससे संबंधित अंगों को ही नहीं, बल्कि पाचन तंत्र और लीवर तक को नुकसान पहुंचा सकता है। कई मरीजों पर किए गए परीक्षणों में ये बात भी सामने आई है कि हो सकता है कि श्वसन तंत्र के बाद यह वायरस पेट में जाकर कई दिनों तक मौजूद रह सकता है, जिसकी वजह पेट से संबधित परेशानिया पैदा हो सकती हैं, जैसे कि भूख न लगना, डायरिया, उल्टी या पेट दर्द जैसी दिक्कतें। लंबे वक्त में तो यह लीवर को भी खराब कर सकता है।
लीवर को बड़ा नुकसान कर सकता है कोरोना
कोरोना वायरस के बारे में अबतक यही समझा जाता रहा है कि यह वायरस मूल रूप से श्वसन क्रिया से जुड़े अंगों को ही प्रभावित करता है। लेकिन, कोविड-19 के मरीजों के एक समूह में तीन महीने तक किए गए अध्ययन से पता चला है कि कम से कम हर 10 में से एक मरीज में पेट से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि कुल मिलाकर 15 फीसदी मरीजों को पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और 19 फीसदी मरीजों का तो यह वायरस लीवर ही खराब कर देता है। रिसर्च कहता है कि, '10 फीसदी मरीजों में तो कोरोना वायरस के मूल लक्षण (खांसी, बुखार) कभी दिखाई ही नहीं दिए, लेकिन बाद में उसमें पेट की समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो गईं। जिन मरीजों में यह लक्षण आए उनका खतरा बहुत बढ़ गया और उसे गंभीर बीमारियां हो गईं और फिर एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम विकसित होनी शुरू गई। '
पेट में लंबे वक्त तक जिंदा रह सकता है कोरोना
स्टडी में बताया गया कि जनवरी के पहले हफ्ते से चीन में जिन 6,500 मरीजों पर इससे जुड़ी 35 स्टडी की गई उनमें पाचन तंत्र की गड़बड़ी तब सामने आई जब उनमें भूख की कमी, डायरिया, उल्टी और पेट दर्द के लक्षण उभरने शुरू हो गए। इस स्टडी में चीन के 6 डॉक्टरों का सहयोग लिया गया और यह रिसर्च लैनसेट में प्रकाशित हुआ है। वहीं कोरोना के जन्मदाता चीन के वुहान शहर के दो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजॉर्डर के दो एक्सपर्ट ने कोविड-19 वायरस के मौखिक-मल (oral-faecal transmission) से फैलने की भी चेतावनी दी है। इस अध्ययन में कहा गया है सांस से जुड़े अंगों में यह वायरस औसतन 16-17 दिन तक मौजूद रहता है, लेकिन मल के सैंपल में इसे 28 दिनों तक पॉजिटिव पाया गया है। एक मरीज में लक्षण की शुरुआत के 47 दिनों बाद उसका यह सैंपल पॉजिटिव आया। कुछ मामलों में यहां तक देखा गया है कि फेफड़े से जुड़े अंगों के साफ होने के 30 दिन बाद भी यह वायरस मल में मौजूद रहा, जबकि आंत में भी इसके लंबे वक्त तक मौजूदगी देखी गई।
फेफड़े के बाद पेट पर कोरोना करता है अटैक
जबकि, अमेरिका के स्टैंडफोर्ड मेडिकल सेंटर में 116 मरीजों के लक्षणों के विश्लेषण के बाद पाया गया है कि कोविड-19 के मरीजों के पाचन तंत्र बिगड़ने की बात सही है। लगभग 32 फीसदी मरीजों के पाचन तंत्र में गड़बड़ी पाई गई, जबकि 41 फीसदी में लीवर में एंजाइम्स की मात्रा बढ़ गई थी। लेकिन, इन सारे रिसर्च में एक बात सामान्य नजर आई कि पेट खराब होने से पहले ही सांसों से जुड़े लक्षण सामने आ चुके थे और किसी भी मरीज में सांस से जुड़े लक्षण पाचन तंत्र में गड़बड़ी के बाद नहीं दिखाई दिए।
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