लिंगायत मुद्दे पर पहली बार बोले मोहन भागवत, राक्षसी प्रवृतियां हिंदू धर्म को बांटने की कोशिश कर रही हैं
इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लिंगायत और वीरशैव समुदायों को अलग धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने का उद्देश्य बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकना बताया था
नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धारमैया सरकार के लिंगायत समुदाय पर दिए गए फैसले के बाद राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। नेताओं की बयानबाजी के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर पहली बार बयान दिया है। नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि एक ही धर्म के लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है, जो लोग इसके पीछे जिम्मेदार हैं वो राक्षसी प्रवृत्ति के तहत बांटों और राज करो की नीति अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि, हिंदुओं को संप्रदाय में बांटा जा रहा है, जो किसी भी देश और समाज के लिए घातक हो सकता है।
इशारों में कांग्रेस पर निशाना
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस पर हमला बोला। हाल ही में कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में लिंगायत संप्रदाय को अलग धर्म के रूप में मान्यता देने की बात कही थी, इस पर भागवत ने कहा कि धर्म के आधार पर बांटने वालों को वो कामयाब नहीं होने देंगे। राज्य की कैबिनेट ने हाल में केन्द्र को यह सिफारिश करने का फैसला किया था कि लिंगायतों और वीरशैवों को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाए। इस कदम को भाजपा के मजबूत लिंगायत वोट बैंक में सेंध लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
'अगर भाजपा का बहुमत आता है तो हम येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाएंगे'
इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लिंगायत और वीरशैव समुदायों को अलग धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने का उद्देश्य बी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकना बताया था। शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था, सिद्धरमैया सरकार यह प्रस्ताव इसलिए नहीं लाई कि वे लिंगायतों से प्रेम करते हैं, बल्कि उनका मकसद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने से रोकना है। अपने कर्नाटक दौरे के दौरान उन्होंने कहा, मैं कर्नाटक की जनता से कहना चाहता हूं कि अगर भाजपा का बहुमत आता है तो हम येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाएंगे।
लिंगायत समुदाय की कुल आबादी में 17 फीसदी है
आपको बता दें कि लिंगायत सुमदाय लंबे समय से खुद को हिन्दू धर्म से अलग मान्यता देने की मांग करता रहा है। राज्य में लिंगायत समुदाय की कुल आबादी में 17 फीसदी है। इन्हें कांग्रेस शासित कर्नाटक में भाजपा का पारंपरिक वोट माना जाता है।
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