मां को जिंदा करने के लिए 3 साल से फ्रिज में रखा था शव, टेक्नोलॉजी पेटेंट कराकर कमाना चाहता था करोड़ों
कोलकाता। मां को प्रति महीने मिलने वाली 50 हजार रुपये की पेंशन लेते रहने के लिए एक बेटा तीन साल से मां के शव को संरक्षित करके रखा था। प्रति वर्ष उनके अंगूठे का निशान लगाकर जीवित होने का प्रमाण बैंक में पेश करते था और डेबिट कार्ड के जरिए उनका पेंशन उठाता रहता था। घटना पश्चिम बंगाल के बेहला थाना इलाके के जेम्स लांग सरणी की है। आरोपी का नाम शुभब्रत मजूमदार है। पूछताछ में शुभब्रत ने कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं। उसने दावा किया है कि उसकी मां पूरी तरह से नहीं मरी थीं। उनका शरीर तो मर गया था लेकिन दिमाग को उसने जिंदा कर लिया था। लेदर टेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने के कारण वह क्रायो प्रीजर्वेशन तकनीक के बारे में जानता था।
इसके जरिए वह अपनी मां को पूरी तरह से जिंदा करने में लगा था। इसमें रसायन के जरिए शव को सड़ने से बचाया जाता है और एक विशेष तापमान पर दिमाग के वापस जिंदा होने की संभावना होती है। रूस में एक खरगोश के दिमाग पर यह प्रयोग सफल भी रहा है। इसी प्रक्रिया के जरिए वह मां को जिंदा करने में लगा था। अगर इसमें वह सफल हो जाता तो इस ऐतिहासिक उपलब्धि का वह पेटेंट करवाता और इसके जरिए करोड़ों रुपये कमाता। इस रुसी तकनीक को अचूक तरीके से इस्तेमाल करने के लिए वह काफी सजग तरीके से काम कर रहा था। इस बाबत उसने रुसी भाषा भी सीखी थी और इंटरनेट पर इस बारे में लंबे समय से अध्ययन कर रहा था। इसे भी पढ़ें- देखें तस्वीरें: अभिनेत्री ने बीच सड़क पर उतारे कपड़े, फिल्म इंडस्ट्री में यौन शोषण का विरोध
उल्लेखनीय है कि गिरफ्तारी के बाद न्यायालय से उसे सबसे पहले एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में उसके मानसिक रूप से बीमार होने की पुष्टि हुई है। अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख ने बताया कि शुभब्रत का व्यवहार सामान्य नहीं है और वह कल्पना की दुनिया में रहता है। यहां उसके मानसिक रूप से बीमार होने की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने मनोरोग चिकित्सा केंद्र पावलव में उसका इलाज कराने का निर्णय लिया है।