JNU Shut Down for 46 days: जब इंदिरा गांधी ने JNU यूनिवर्सिटी में जड़ दिया था ताला
बेंगलुरू। जवाहरलाल नेहरू विश् यानी जेएनयू पिछले कई वर्षों में शिक्षालय से उपद्रालय में तब्दील हो चुका है। वामपंथी विचारों के ओत प्रोत छात्रों पर आरोप लगता रहा है कि कैंपस में देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं। कभी भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय में शुमार रहा जेएनयू का विवादों से वैसे पुराना नाता रहा है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 1969 में स्थापित किया गया। हालांकि जेएनयू की स्थापना के साथ जेएनयू कैंपस वामपंथी विचारों को केंद्र बन गया। यही कारण था कि जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद कांग्रेस को हमेशा यह खटकती रही है कि जेएनयू में कभी कांग्रेसी विचारधारा को प्रश्रय नहीं मिला।
मौजूदा समय में वामपंथी विचारधाराओं से ओत-प्रोत जेएनयू कैंपस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानी एबीवीपी लोहा ले रही है और वर्ष 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद एक बार जेएनयू में वामपंथी विचारों वाले छात्रों में उबाल है। वर्ष 2016 में जेएनयू कैंपस में देश विरोधी नारे लगे।
इसका नेतृत्व तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार कर रहे थे और वर्ष 2020 का आगाज जेएनयू कैंपस में छात्रों की नकाबपोश हमलावरों द्वारा की गई पिटाई से हुई। हालांकि 2016 और 2020 के 4 वर्ष के अंतराल में जेएनयू कैंपस में कई घटनाएं हुईं, इनमें रैम्बो मार्च से लेकर संसद मार्च शामिल है।
जेएनयू विश्वविद्यालय के कैंपस में रविवार, 5 जनवरी, 2020 को नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला किया। हिंसा में दर्जनभर से अधिक छात्र लहूलुहान हुए। जेएनयू कैंपस में हिंसा और उपद्रव को देखते हुए बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने जेएनयू को 2 साल के लिए बंद करने की सरकार से अपील की है।
सुब्रमण्यन स्वामी की सरकार से यह अपील 16 नवंबर 1980 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा जेएनयू कैंपस पर की गई कार्रवाई से मिलती-जुलती है, जब पूर्व प्रधानमंत्री ने जेएनयू के तत्कालीन जेएनयूएसयू अध्यक्ष जेम्स जी राजन के नेतृत्व में कैंपस में हुए उपद्रव के बाद 16 नंबवर 1980 से 3 जनवरी 1981 के बीच लगातार 46 दिनों के लिए जेएनयू को बंद करवा दिया था।
Dr. @Swamy39 jee's blueprint on JNU:
1⃣ Shut down JNU for 2 years and move meritorious students to Delhi University
— Dharma (@Dharma2X) January 6, 2020
2⃣ Deploy Paramilitary Forces in JNU
3⃣ Rename JNU as Netaji Subash Chandra Bose University
4⃣ Clean-up JNU by rigorous scrutiny of students & faculty records!! pic.twitter.com/bXEbE4l771
तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने तब जेएनयू कैंपस में वामपंथी मोर्च के वर्चस्व को खत्म करने के लिए यह कठोर कदम उठाया था। यही नहीं तब हॉस्टल का दरवाजा तोड़कर तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष राजन जी जेम्स को गिरफ्तार भी किया गया था।
इसका उल्लेख बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य बलबीर पुंज ने अपने टि्वटर हैंडल पर भी किया है। बलवीर पुंज ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को संबोधित करते हुए लिखा, श्रीमती वाड्रा! क्या आप जानती हैं कि आपकी दादी ने जेएनयू में गुंडों को खत्म करने के लिए क्या किया था?
बलवीर पुंज यह टिप्पणी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के एक ट्वीट के जवाब में किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि मोदी सरकार के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री को न केवल जेएनयू हिंसा की घटना की सोशल मीडिया में निंदा करनी चाहिए, बल्कि दोषी छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्री को मजबूर भी करना चाहिए?
बकौल बलवीर पुंज, जब इंदिरा गांधी ने जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद करवा दिया था और पुलिस को हॉस्टल में छापा मारने का आदेश दिया था। उस समय जेएनयूएसयू के तत्कालीन अध्यक्ष के कमरे में तोड़फोड़ की गई थी तब किसी कांग्रेस की छात्रों की चिंता नहीं की।
बलबीर पुंज ने जेएनयू कैंपस में हुई ताजा हिंसा और उपद्रव के लिए वामपंथी की उग्र विचारधारा को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि हिंसा वामपंथियों की केंद्रीय विचारधारा में शामिल है और हिंसा के लिए मूल कारण उनकी विचारधारा है। 2016 में जेएनयू में छात्रों द्वारा किया गया उपद्रव संसद पर हमले में दोषी रहे अफजल गुरू को फांसी चढ़ाए जाने की पहली बरसी पर किया गया था।
वर्ष 2016 में जेएनयू कैंपस में लगे देश विरोधी नारे के बाद दिल्ली पुलिस ने जेएनयू कैंपस से तत्कालीन जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और उन पर देशद्रोह का चार्ज लगाया था, क्योंकि दिल्ली पुलिस के हाथ लगे सोशल मीडिया में वायरल हो वीडियो में कैंपस के अंदर लगाए गए देश विरोधी नारे लगने की पुष्टि भी हो चुकी थी।
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वर्ष 1981 में छात्र उपद्रव के चलते 46 दिनों तक बंद रहा जेएनयू
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू की स्थापना के 12 साल बाद 16 नवंबर 1980 से 3 जनवरी 1981 के बीच 46 दिनों के लिए जेएनयू को बंद कर दिया गया था। तत्कालीन जेएनयूएसयू अध्यक्ष जेम्स जी राजन पर आरोप था कि उन्होंने तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति का अपमान किया था। अपुष्ट रिपोर्ट कहती है कि जेम्स जी राजन ने कार्यवाहक कुलपति के बेटी का बलात्कार करने तक की धमकी दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तब जेएनयू में गुंडागर्दी रोकने के लिए पुलिस को छात्रावासों पर छापा मारने का आदेश दिया और इस दौरान राजन जी जेम्स की गिरफ्तारी हुई थी, जिसके बाद विश्वविद्यालय को 46 दिनों के लिए बंद रखा गया था।
वर्ष 2000 में जेएनयू छात्रों ने दो आर्मी ऑफिसरों की कर दी पिटाई
वर्ष 2000 में जेनएयू कैंपस में आयोजित किए एक कल्चरल इवेंट में शायरा फहमीदा रियाज और शायर अहमद फ़राज़ को आमंत्रित किया गया था, जहां पाकिस्तानी शायर अहमद फराज द्वारा देश विरोधी नज्म गा रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद भारतीय सेना के दो आर्मी अफसर मौजूद थे और उन्होंने पाकिस्तानी शायर अहमद फराज की नज्म का विरोध किया था। पाकिस्तानी शायरों द्वारा युद्ध के खिलाफ गाई जा रही नज्म के खिलाफ खड़े हुए आर्मी अफसरों ने जब मुशायरे को बंद कराने की कोशिश की तो कैंपस के कुछ स्टूडेंट्स ने उनकी पिटाई कर दी।
2016 में अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर कैंपस में लगे देशविरोधी नारे
वर्ष 2016 में अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ जेएनयू में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिस पर भारतीय लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पर हमलों का दोषी पाया गया था। उस दौरान जेएनयू कैंपस में कथित रूप से भारत के खिलाफ नारे लगाए गए और जब इसका छात्र विंग एबीवीपी द्वारा विरोध किया। मामले में जेएनयू के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार भी किया गया. हालांकि करीब साढ़े तीन साल होने के बाद भी इस मामले में अभी तक चार्जशीट फाइल नहीं हो पाई है, क्योंकि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने चार्जशीट फाइल करने की अनुमति नही दी। दिल्ली सीएम केजरीवाल पिछले एक साल से दिल्ली पुलिस द्वारा तैयार की गई चार्जशीट पर अभी भी विचार ही कर रही है।
वर्ष 2015 में LGBTQ के पक्ष में जेएनयू छात्रों ने किया रेनबो वॉक
28 दिसंबर 2014 को जेएनयू कैंपस में LGBTQ के पक्ष में एक प्रतीकात्मक "रेनबो ट्री' को जेएनयू प्रशासन द्वारा तोड़ दिया गया था। इसके विरोध में खड़े हुए जेएनयू छात्र संघ के साथ-साथ अंजुमन और धनक जैसे समूहों ने 9 जनवरी को एक मार्च का नेतृत्व किया। रेनबो वॉक के नाम से पुकारा गया यह मार्च जेएनयू के गंगा ढाबा से शुरू होकर इंद्रधनुष ट्री स्पॉट पर समाप्त हुआ। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले की आलोचना करते हुए आईपीसी की धारा 377 को पढ़ते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। यौन स्वतंत्रता और पहचान के व्यक्तिगत अधिकार को मनाने के उद्देश्य से अभियान शुरू किए गए इस मार्च के दौरान LGBTQ के पक्ष गीत गाए गए और खूब नारे लगाए गए।
वर्ष 2019 में फीस वृद्धि के नाम पर छात्रों ने किया जेएनयू तक संसद मार्च
11 नवंबर, 2019 को जेएनयू में फीस बढ़ोत्तरी को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था। विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दिन छात्रों ने प्रदर्शन करके केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री से बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग करते हुए समारोह का बहिष्कार किया। छात्रों की मांगों के मद्देनजर मंत्रालय की ओर से कमेटी गठित की, जिसके बाद प्रशासन ने बढ़ी हुई फीस में आंशिक कमी करते हुए आंदोलनकारी छात्रों से वापस कक्षाएं ज्वाइन करने की मांग की गई, लेकिन जेएनयू छात्रसंघ कंपलीट रोल बैक यानी पूरी बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग पर अड़ा रहा।
4 जनवरी को काट दिया गया जेएनयू के सर्वर रूप का इंटरनेट
5 जनवरी, 2020 में हुआ छात्रों पर हमला फीस वृद्धि से इसलिए कनेक्टेट हैं, क्योंकि फीस वृद्धि के खिलाफ अड़ी वाममोर्च वाली जेएनयूएसयू की मौजूदा अध्यक्ष आइशी घोष उन छात्रों को भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराने देना चाह रही थीं। इसलिए शनिवार, 4 जनवरी को सर्वर रूम का इंटरनेट कनेक्शन काट दिया, क्योंकि कुछ छात्र लेफ्ट यूनियन की इच्छा के विपरीत फीस वृद्धि में आंशिक कमी के बाद रजिस्ट्रेशन करना चाहते थे।
2020 में नकाबपोश हमलावरों ने जेएनयू कैंपस में किया हिंसा
जेएनयू में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों ने जेएनयू मे परीक्षा का भी बहिष्कार किया था, लेकिन फीस में आंशिक कमी के बाद जब छात्र प्रशासन की ओर से शुरू की गई दाखिला प्रक्रिया में शामिल होने लगे तो परीक्षा का बहिष्कार की घोषणा कर चुके नाराज हो गए। चूंकि दाखिला प्रक्रिया जेएनयू के सर्वर रूम से की जाती है।
मास्क पहन कर जेएनयू कैंपस में हिंसा को अंजाम दिया गया
आरोप है कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष के नेतृत्व में पहले सर्वर रूम को लॉक करवा दिया ताकि छात्र रजिस्ट्रेशन न करवा सकें। इस संबंध में जेएनयू प्रशासन ने शनिवार, 4 जनवरी को एक बयान जारी करके स्पष्ट किया है कि कुछ छात्रों ने मास्क पहनकर सर्वर रूम पर कब्जा कर लिया था और तकनीकी स्टाफ को बंधक बना लिया था और सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो में मास्क पहन कर आए लोगों द्वारा ही हिंसा का अंजाम देते देखा भी गया है, जो इशारा करता है कि इसमें वामपंथी छात्रों का हाथ हो सकता है, जिन्होंने फीस वृद्धि के खिलाफ पहले संसद मार्च किया और फिर परीक्षा के बहिष्कार का ऐलान किया था।
छात्रों के साथ मारपीट रजिस्ट्रेशन से रोकने के लिए किया गया
इस मामले में जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने बताया कि रविवार रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था, क्योंकि पिछले 3 दिनों से लेफ्ट यूनियन के छात्रों ने इंटरनेट बंद कर रखा है। जेएनयू एबीवीपी अध्यक्ष ने कहा कि फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों को अगर रजिस्ट्रेशन नहीं कराना है तो नहीं करते, लेकिन जो स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं उनको भी इंटरनेट बंद करके रजिस्ट्रेशन कराने से रोका गया और जब विरोध किया गया तो लेफ्ट यूनियन के 1000 प्रोटेस्टर्स ने एबीवीपी के 50 कार्यकर्ताओं को एडमिन ब्लाक से दौड़ा-दौड़ाकर मारा। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें पेरियार और साबरमती हॉस्टल में घुसकर मार, जिससे कई कार्यकर्ता एम्स और सफदरजंग में भर्ती हैं जबकि 11 एबीवीपी के कार्यकर्ता अभी भी लापता हैं।
JNU छात्रसंघ का क्या हैं ABVP पर लगाया है यह आरोप
जेएनयू छात्रसंघ का कहना है कि उनकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई दूसरे स्टूडेंट्स को ABVP के सदस्यों ने पीटा है। इस दौरान कुछ तस्वीरें और वीडियो के जरिए जेएनयूएसयू ने दावा किया कि साबरमती और अन्य हॉस्टल में ABVP ने एंट्री कर छात्रों की पिटाई की। साथ ही ABVP की ओर से पथराव और तोड़फोड़ भी की गई।
सर्वर रूम पर मास्क पहने छात्रों ने कब्जा कियाः जेएनयू प्रशासन
जेएनयूएसयू का कहना है कि तोड़फोड़ करने वाले लोगों ने चेहरे पर नकाब पहना हुआ था। यह अलग बात है कि जेएनयू प्रशासन खुद उनकी बात को नकार चुका है। जेएनयू प्रशासन ने शनिवार को बयान जारी करके कहा था कि कुछ छात्रों ने मास्क पहनकर सर्वर रूम पर कब्जा कर लिया था और तकनीकी स्टाफ को बंधक बना लिया था। तकनीकी रूप से फीस वृद्धि के विरोध पर अड़े और परीक्षा का बहिष्कार कर चुके छात्र ही ऐसा कर सकते हैं।