केरल चुनाव को लेकर एक और ओपिनियन पोल, जानिए, BJP को मिल सकती हैं कितनी सीटें
केरल में क्या बदलेंगे समीकरण, भाजपा के लिए कैसा है केरल का चुनावी माहौल... जानिए क्या कहता है ये सर्वे
तिरुवनंतपुरम। चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर देश का सियासी माहौल गर्माया हुआ है। चुनाव आयोग की तरफ से तारीखों का ऐलान होने के बाद से ही सभी दलों ने अपनी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। इस बीच केरल विधानसभा चुनाव को लेकर एक और ओपिनियन पोल सामने आया है। इस ओपिनियन पोल के मुताबिक केरल के अंदर एक बार फिर से लेफ्ट फ्रंट की सरकार बनती हुई नजर आ रही है। आपको बता दें कि इस समय केरल में सीएम पिनारई विजयन के नेतृत्व में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार है।
क्या कहते हैं 'मातृभूमि सी वोटर सर्वे' के नतीजे
केरल विधानसभा चुनाव को लेकर शुक्रवार देर रात 'मातृभूमि सी वोटर सर्वे' के नतीजे घोषित किए गए। सर्वे के मुताबिक, केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट को राज्य की 140 सीटों में से 75 से 83 सीटें मिलती हुई नजर आ रही है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को 56 से 64 सीटों पर जीत मिल सकती है। सर्वे में बताया गया है कि केरल विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रह सकता है और उसके खाते में महज 0-2 सीटें ही जाती हुई नजर आ रही हैं।
एनडीए को मिलेगा कितना वोट शेयर
'मातृभूमि सी वोटर सर्वे' के मुताबिक, औसत आधार पर एलडीएफ को 79, यूडीएफ को 60 और एनडीए को एक सीट पर जीत मिल सकती है। वहीं, अगर बात वोट शेयर की करें तो एलडीएफ के खाते में 40.9 फीसदी, यूडीएफ को 37.9 फीसदी और एनडीए के हिस्से में 16.6 फीसदी वोट शेयर जाता हुआ नजर आ रहा है। सर्वे में यह भी सामने आया कि 40.5 फीसदी लोग केरल की पिनारई विजयन सरकार के खिलाफ हैं और राज्य में बदलाव चाहते हैं। वहीं, सर्वे में शामिल 31.9 फीसदी लोगों ने कहा कि राज्य में एलडीएफ की सरकार अच्छा काम कर रही है।
केरल चुनाव में क्या है सबसे बड़ा मुद्दा
सर्वे में लोगों से पूछा गया कि विधानसभा चुनाव में उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा क्या है? इस पर सर्वे में हिस्सा लेने वाले 41.8 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। वहीं, 10.4 फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार और 4.8 फीसदी लोगों ने राज्य की कानून-व्यवस्था को सबसे बड़ा मुद्दा बताया। इस सर्वे में राज्य की 40 विधानसभा सीटों में 18 से 85 साल की उम्र के 14,913 लोगों ने हिस्सा लिया।
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