
कश्मीर के मेहराज ने पास की NEET, लाया 591 अंक, पिता स्ट्रीट फूड विक्रेता, पहले प्रयास में सफल
श्रीनगर,10 सितंबर: राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा यानी NEET का रिजल्ट जारी हो चुका है। 16 लाख छात्रों ने इस परीक्षा में हिस्सा लिया था। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में बारामूला जिले के एक स्ट्रीट फूड विक्रेता के बेटे ने पहले ही प्रयास में परीक्षा में सफलता हासिल की है। उत्तरी कश्मीर के पत्तन इलाके में बारबेक्यू विक्रेता के बेटे ने पहले ही प्रयास में नीट क्वालिफाई कर लिया है। गांव के इस बेटे की सफलता से जहां पूरा परिवार खुश है, वहीं इलाके में भी इसकी चर्चाएं तेज हो गई है।

नीट मेडिकल क्षेत्र में जाने के लिए सबसे कठिन परीक्षा
दरअसल, नीट मेडिकल क्षेत्र में भारत की एक प्रसिद्ध प्रतियोगी परीक्षा है। इसकी तैयारी करने के लिए छात्र बहुत ही मेहनक करते हैं। इसमें पास होने के बाद ही छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है। और फिर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करके स्टूडेंट एमबीबीएस और बीडीएस की डिग्री हासिल कर डॉक्टर बनते हैं। ऐसे ही अब एक सड़क किनारे खाने की दुकान लगाने वाले बेटे ने अपने परिवार का नाम रोशन किया है।

गरीब परिवार के बेटे ने खुद की तैयारी, नहीं किया ट्यूशन
कश्मीर के बारामूला जिले में स्थित पत्तन में एक बारबेक्यू विक्रेता के बेटे ने पहले ही प्रयास में नीट क्वालिफाई कर लिया है। गरीब परिवार के बेटे ने तैयारी के लिए कोई ट्यूशन नहीं किया और NEET-UG परीक्षा के लिए खुद से पढ़ाई की। गुलिस्तान अहमद खान के चार बच्चों में सबसे बड़े 20 वर्षीय मेहराज-उद-दीन खान पट्टन के गुहा गांव के रहने वाले हैं। मेहराज ने अपने फर्स्ट अटेम्प्ट में कुल 720 में से 591 अंक हासिल कर क्वालीफाई किया।

पढ़ाई के साथ पिता के काम में करते थे मदद
मेहराज के पिता गुलशन अहमद गांव में बारबेक्यू की दुकान चलाते हैं और वह दुकान में अपने पिता की मदद करते थे। मेहराज ने कहा कि मैं हर महीने कम से कम एक हफ्ते दुकान पर अपने पिता की मदद करता था। मेरी मुख्य जिम्मेदारी दुकान की देखरेख करना है, जब मेरे पिता आसपास नहीं होते। अपनी तैयारी पर मेहराज ने कहा कि मैंने खुद से पढ़ाई की है और पूरे समय ध्यान केंद्रित किया है। मैं दिन में 8-10 घंटे पढ़ाई करता था।

नहीं था मोबाइल और इंटरनेट
मेहराज ने आगे बताया कि इंटरनेट अधिकांश उम्मीदवारों के लिए एक विचलित होगी। हालांकि मैंने पढ़ाई के लिए अपने इंटरनेट का इस्तेमाल कम कर दिया और यह बहुत मददगार साबित हुआ, जबकि उनके पास कोई मोबाइल फोन नहीं था। कोविड लॉकडाउन खत्म होने के बाद उनके माता-पिता ने उन्हें एक फोन खरीद दिया था।
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सरकारी स्कूल से पासआउट, डॉक्टर बनने का था सपना
बता दें कि मेहराज जब आठवीं क्लास में थे, तब से डॉक्टर बनना चाहते थे और तब से अपने और अपने परिवार के सपने को साकार करने के लिए बहुत मेहनत से पढ़ाई कर रहे थे। मेहराज का छोटा भाई दसवीं कक्षा का छात्र है, जबकि उसकी दो बहनें ग्यारहवीं और छठी कक्षा में हैं। मेहराज ने अपनी 11वीं और 12वीं की पढ़ाई सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय बारामूला से की है।