येदुरप्पा कैबिनेट में लिंगायतों का दबदबा, हर मंत्री के पीछे का पूरा सियासी गणित
बेंगलुरू। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नई सरकार ने कमान संभाला। 26 जुलाई को बीएस येदुरप्पा ने प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि, उनके शपथ ग्रहण के 25 दिन बाद मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा के मंत्रिमंडल का गठन हुआ। राज्यपाल वजुभाई वाला ने मंगलवार को 17 विधायकों को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई। नई कैबिनेट में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और दो पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा और आर अशोका भी शामिल हैं। येदुरप्पा सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा नेतृत्व ने जातीय समीकरण को साधने की हरसंभव कोशिश की है। एक नजर कर्नाटक सरकार के कैबिनेट विस्तार की अहम बातों पर...
नई कैबिनेट में लिंगायत समुदाय को खास तवज्जो
कर्नाटक सरकार के कैबिनेट विस्तार में लिंगायत समुदाय को प्रमुखता से जगह दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि लिंगायत समुदाय को कर्नाटक में भाजपा का मुख्य मतदाता माना जाता है। प्रदेश में कुल 39 लिंगायत विधायक हैं, खुद मुख्यमंत्री भी इस समुदाय से आते हैं। यही वजह है कि पार्टी ने येदुरप्पा कैबिनेट में लिंगायत समुदाय से आने वाले आठ विधायकों को शामिल किया है। जिसका सीधा मतलब है कि मंत्रिमंडल में इस समुदाय का प्रतिनिधित्व लगभग 44 फीसदी होगा। येदुरप्पा मंत्रिमंडल को देखकर साफ हो गया कि भाजपा लिंगायत समुदाय को पुरस्कृत करने के लिए पहले से तैयार थी। ऐसा इसलिए क्योंकि ये समुदाय काफी हद तक भाजपा का समर्थन करता रहा है।
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वोक्कालिगा समुदाय से तीन मंत्री
येदुरप्पा कैबिनेट में लिंगायत समुदाय को अच्छा प्रतिनिधित्व देने के साथ ही दूसरे प्रमुख समुदाय, वोक्कालिगा से भी तीन मंत्री बनाए गए हैं। वयोवृद्ध ब्राह्मण नेता एस. सुरेश कुमार को कैबिनेट में जगह मिली है। इनके अलावा ओबीसी वर्ग से दो विधायकों पूजारी और ईश्वरप्पा को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। एसटी वर्ग से बी श्रीरामुलु, एससी से तीन लोगों को कैबिनेट में जगह मिली है। इनमें निर्दलीय विधायक नागेश भी शामिल हैं। इनके अलावा महिला विधायक शशिकला जोले को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।
दक्षिण कन्नड़ और तटीय इलाकों का कम प्रतिनिधित्व
कैबिनेट विस्तार में उत्तर कर्नाटक का प्रतिनिधित्व कम है, जबकि इस क्षेत्र में भाजपा का अच्छा समर्थन मिला। इस क्षेत्र की अधिकांश सीटों पर चुनाव में भाजपा को खासा फायदा मिला है। इसी तरह, राज्य का हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र भी है, जो ज्यादा विकास नहीं कर सका है, यहां से भी कैबिनेट में कोई उपस्थिति नहीं मिल सकी है। वहीं नई कैबिनेट में बेंगलुरु शहरी क्षेत्र को अच्छा प्रतिनिधित्व मिला है, इस क्षेत्र से चार मंत्री पद दिए गए गए हैं।
बेंगलुरु के चार विधायकों को मिली कैबिनेट में जगह
कैबिनेट विस्तार में 17 विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, इनमें चार मंत्री बेंगलुरु से हैं। पद्मनाभनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के आर अशोक, गोविंदराजनगर का प्रतिनिधित्व करने वाले वी. सोमना, राजाजीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक निम्मा सुरेशकुमार और मल्लेश्वरम से अश्वत्थनारायण ने कैबिनेट मंत्रियों की पहली सूची में जगह बनाई है।
येदुरप्पा कैबिनेट में दिखी बीजेपी आलाकमान की छाप
ऐसी अटकलें थीं कि कर्नाटक में कैबिनेट गठन की देरी के पीछे भाजपा हाईकमान की रणनीति प्रमुख थी। पार्टी आलाकमान की योजना संसद में महत्वपूर्ण बिलों को पास कराने की थी, साथ ही उत्तरी व तटीय इलाकों में बाढ़ के हालात का जायजा लेने की वजह से इसमें देरी हुई। विपक्ष की ओर बढ़ रहे दबाव और कैबिनेट गठन में देरी को लेकर खुद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा था कि वो जल्द ही दिल्ली जाएंगे और कैबिनेट गठन को लेकर चर्चा करेंगे। इन हालात के बीच में आखिरकार पार्टी आलाकमान की ओर से मुख्यमंत्री को सोमवार को प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की मंजूरी मिल गई।
कर्नाटक कैबिनेट में शामिल मंत्रियों की पूरी लिस्ट
जिन 17 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है उनके नाम हैं, जगदीश शेट्टार, केएस ईश्वरप्पा, आर अशोक, श्रिनिवास पुजारी, एच नागेश, लक्ष्मणन सावदी, गोविंद एम करकजोल, अश्वत्थ नारायण सीएन, बी श्रीरामुलु, एस सुरेश कुमार, वी सोमन्ना, सीटी रवि, बासवाराज बोम्मई, जेसी मधु स्वामी, सीसी पाटिल, प्रभु चौहान, शशिखला जोले अन्नासाहेब हैं। इन लोगों में शशिकला एक मात्र महिला विधायक हैं जिन्होंने मंत्री पद की शपथ ली है। बता दें कि कर्नाटक में अधिकतम मंत्रियों की संख्या 34 हो सकती है।