2019 की तैयारी शुरू! एक्शन में कमलनाथ 26 कलेक्टर समेत 48 आईएएस बदले
शॉर्ट हेडलाइन
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के चौथे दिन ही कमलनाथ ने राज्य में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल कर डाला। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने गुरुवार देर रात 48 आईएएस अधिकारियों को बदलने का आदेश जारी कर दिया। इनमें 26 कलेक्टर भी शामिल हैं। कमलनाथ सरकार ने 26 कलेक्टरों में 15 से जिले की जिम्मेदारी छीन ली है, जबकि 11 कलेक्टर इधर से उधर भेज दिए हैं। छिंदवाड़ा को कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। यही कारण है कि सबसे ज्यादा फेरबदल भी यहीं पर हो रहा है। पहले पुलिस अधीक्षक, फिर एएसपी और अब छिंदवाड़ा जिला पंचायत के सीईओ ऋषि गर्ग को भी हटा दिया गया है। गर्ग को जनजातीय कार्य विकास विभाग में अपर आयुक्त नियुक्त किया गया है। कमलनाथ ने जिस प्रकार से मध्य प्रदेश में परिवर्तन किए हैं, उससे स्पष्ट है कि उनकी नजर लोकसभा चुनाव 2019 पर है। उन्होंने उन सभी अधिकारियों को साइडलाइन कर दिया है, जो कांग्रेस की जीत का राह का रोड़ा बने हुए थे और बीजेपी को उनसे फायदा मिल रहा था।
प्रशासनिक स्तर से बीजेपी की छाप मिटाने के लिए कई और परिवर्तन किए
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक स्तर पर भाजपा की छाप मिटाने के लिए कमलनाथ कई और परिवर्तन किए हैं। उन्होंने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उप सचिव वरदमूर्ति मिश्रा को मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव बनाया है। साथ ही सीहोर के संयुक्त कलेक्टर राजेश शाही का तबादला छिंदवाड़ा कर दिया गया है। बैतूल के अपर कलेक्टर मूलचंद वर्मा को हटाकर मंत्रालय में उपसचिव बनाया गया।
अगले राउंड में शुरू होगा मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्तियों का दौर
कमलनाथ करीब एक दर्जन से ज्यादा आईएएस अधिकारियों को फील्ड से ही हटा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल गठन के सिलसिले में कमलनाथ इस समय दिल्ली गए हुए हैं और भोपाल वापस लौटने के बाद वह कई और बड़े बदलाव कर सकते हैं। माना जा रहा है कि अगले राउंड में मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्तियों का दौर शुरू होगा। कमलनाथ ने रीवा के संभागायुक्त महेश चौधरी को भी हटाया है। चौधरी के साथ कमलनाथ समर्थकों का छिंदवाड़ा में विवाद हो चुका है। उस वक्त चौधरी छिंदवाड़ा के कलेक्टर हुआ करते थे। सीएम बनने के बाद कमलनाथ महेश चौधरी को भूले नहीं और आते एक्शन लिया।
महेश चौधरी के ट्रांसफर से कमलनाथ ने नौकरशाही को दिया स्पष्ट संदेश
महेश चौधरी का 'सिंगल ट्रांसफर' इस समय मध्य प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, महेश चौधरी का नाम उस सूची में नहीं शामिल किया गया, जिसमें सभी अधिकारियों के नाम हैं। महेश चौधरी का ट्रांसफर पहले ही कर दिया गया और अकेले उनका ही नाम जारी किया गया। कुछ अधिकारियों का कहना है कि किसी अधिकारी का इस तरह ट्रांसफर 'बदले की भावना' की ओर इशारा करता है। हालांकि, एक तर्क यह भी सामने आ रहा है कि कमलनाथ ने ऐसा इसलिए किया ताकि बीजेपी समर्थक अधिकारी सचेत हो जाएं। आखिर 15 साल से राज्य में बीजेपी की सरकार थी, ऐसे में कमलनाथ के लिए एकदम से प्रशासन पर कंट्रोल करना आसान काम नहीं है। संभवत: इसी वजह से उन्होंने महेश चौधरी का सिंगल ट्रांसफर कर एक संदेश देने का प्रयास किया।