देश को मिल सकते हैं दूसरे दलित CJI,जस्टिस गवई के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का रास्ता साफ
नई दिल्ली- बुधवार को सरकार ने 4 जजों के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस के रूप में नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। जिस दिन ये सारे नए जस्टिस शपथ ले लेंगे, सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या चीफ जस्टिस (CJI) समेत 31 हो जाएगी, जो कि इसकी कुल स्वीकृत संख्या (full sanctioned strength) है। चार नए जजों में जस्टिस बी आर गवई (Justice BR Gavai) का नाम भी शामिल है, जिनकी आगे चलके भारत के चीफ जस्टिस बनने की संभावना है।
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सुप्रीम कोर्ट को मिले 4 नए जस्टिस
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने जिन 4 नए जजों को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी है, उनमें जस्टिस बी आर गवई (Justice BR Gavai) के अलावा जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant), जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) और जस्टिस ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) का नाम शामिल है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) मूल रूप से कलकत्ता हाई कोर्ट के जज हैं और फिलहाल झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। जजों की ऑल इंडिया सीनियरिटी रैंकिंग में उनका नंबर 12वां है। जबकि, जस्टिस ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) मूल रूप से कर्नाटक हाई कोर्ट के जज रहे हैं और अभी गुवाहाटी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इनकी ऑल इंडिया रैंकिंग 36 है। वहीं जस्टिस सूर्य कांत (Justice Surya Kant) मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश हैं।
गवई बन सकते हैं दूसरे दलित चीफ जस्टिस
गौरतलब है कि जस्टिस के जी बालाकृष्णन (KG Balakrishnan) देश के पहले जज थे, जो 2007 में भारत के मुख्य न्यायधीश बने थे। जस्टिस बी आर गवई (Justice BR Gavai) का नाम सामने आते ही तय लग रहा है कि वे आने वाले समय में देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस बन सकते हैं। जस्टिस गवई अभी बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में जज हैं।
बोस एवं बोपन्ना का नाम दोबारा भेजा गया
गौरतलब है कि पहले केंद्र ने जस्टिस बोस और जस्टिस बोपन्ना के सुप्रीमो कोर्ट में प्रमोशन की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (collegium) की सिफारिश लौटा दी थी। केंद्र ने सीनियरिटी और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व के मुद्दो को लेकर ये सिफारिश लौटाई थी। इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों जजों के नामों का प्रस्ताव फिर से केंद्र के पास ये कहकर भेजा था कि सर्वोच्च अदालत को उनकी योग्यता, आचरण या सत्यनिष्ठा के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं मिला है।
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