जज जगदीप के बहाने जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा और जस्टिस हंसराज खन्ना को याद कर रहे हैं लोग
चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को सजा दिए जाने के बाद से ही सीबीआई के जज जगदीप सिंह की हर ओर चर्चा हो रही है। बता दें कि गुरमीत राम रहीम को जेल के सींखचों के पीछे भिजवाने वाले जज जगदीप सिंह लोहान की कर्तव्यपारायणता ने जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा और जस्टिस हंसराज खन्ना के साहसिक फैसलों की याद ताजा कर दी। 42 साल पहले 1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जगमोहनलाल सिन्हा ने समाजवादी नेता राजनारायण की चुनाव याचिका पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द घोषित कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया।
उस आपातकाल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसकी सुनवाई करने वाली पांच जजों की पीठ में जस्टिस हंसराज खन्ना भी एक थे।जस्टिस खन्ना के अलावा बाकी चार जजों ने सत्ता के दबाव में आपातकाल को जायज ठहराया थ, लेकिन जस्टिस खन्ना ने सत्ता के आगे झुकने से इनकार कर अप्रतिम साहस का परिचय देते हुए आपातकाल को असंवैधानिक करार दिया था।
इसके अलावा और भी कई मामले हैं जिनमें जजों ने लालच और दबावों को ठुकराते हुए फैसले दिए हैं। न्यायपालिका में ईमानदारी और बहादुरी की श्रृंखला की इसी कडी में अब सीबीआई की विशेष अदालत के जज जगदीप सिंह लोहान भी शामिल हो गए हैं।