झारखंड चुनाव परिणाम: राज्यों के चुनाव जीतने में क्या अब राष्ट्रीय मुद्दे मददगार साबित नहीं हो रहे?
नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा की 81 सीटों पर हुए चुनाव के आज नतीजे आ रहे हैं। रुझानों में झामुमो, कांग्रेस और आरजेडी गठबंधन को बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं भाजपा के हाथ से सत्ता जाती दिख रही है। क्षेत्रीय दल आजसू और जेवीएम भी ठीक-ठाक प्रदर्शन करते दिख रहे हैं। जो नतीजे आ रहे हैं, उनके बाद ये सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या विधानसभा चुनावों में अब राष्ट्रीय मुद्दे और नरेंद्र मोदी का चेहरा भाजपा के लिए मददगार साबित नहीं हो रहे? ऐसा इसलिए क्योंकि झारखंड में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने जहां क्षेत्रीय मुद्दों पर ज्यादा चुनाव लड़ा वहीं भाजपा ने लगातार केंद्र के कामों को गिनाया और मोदी के चेहरे को ही आगे रखा, अब नतीजे गठबंधन के पक्ष में हैं।
क्या फेल हुए कश्मीर, राम मंदिर, सीएए?
झारखंड के चुनाव में भाजपा के बड़े नेताओं, खासतौर से अमित शाह और नरेंद्र मोदी जैसे स्टार प्रचारकों ने लगातार राष्ट्रीय मुद्दों का जिक्र किया। एक तरफ जहां भाजपा की ओर से राज्य और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार होने पर तेजी से विकास की बात कही गई तो वहीं राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट मांगे गए। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने लगातार घुसपैठ का मुद्दा अपने भाषणों में रखा और 2024 तक एक-एक घुसपैठी को देश के बाहर करने की बात कही। कभी सीधे तौर पर तो कभी इशारे में वो नागरिकता कानून और एनआरसी का जिक्र करते रहे। अयोध्या को लेकर शाह ने कई बार भाषणों में दोहराया कि राम मंदिर का मामला कांग्रेस ने लटकाया और हमने खत्म कराया। कश्मीर से 370 हटाने को को भी करीब हर भाषण में भाजपा नेता लाते रहे।
नरेंद्र मोदी ने भी झारखंड़ में जमकर प्रचार किया। उन्होंने नागरिकता कानून का भाषणों में खूब जिक्र किया। उन्होंने यहां तक कहा कि कपड़े देखकर इसका विरोध करने वाले पहचाने जा सकते हैं। कश्मीर और राम मंदिर को लेकर भी मोदी बोलते रहे। उन्होंने अपने भाषणों में विपक्षी दलों को ये चुनौती तक दी कि वो खुलकर इन मुद्दों को वापस लेने की बात कहें। इसके लिए दुनिया में मोदी की लोकप्रियता और दूसरे कई मुद्दों को भी भाजपा के नेता उठाते रहे।
गठबंधन ने कहा, 'मोदी नहीं रोटी चाहिए'
एक तरफ भाजपा के नेता मोदी की लोकप्रियता और कश्मीर, राम मंदिर, एनआरसी, घुसपैठ, सीएए जैसे मुद्दों पर लड़ती रही। वहीं दूसरी और झामुमो-कांग्रेस और राजद गठबंधन लगातार क्षेत्रीय मुद्दों पर बात करता रहा। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने लगातर भाषणों में 'मोदी नहीं रोटी चाहिए' और 'रघुबर दास नहीं, रोजगार चाहिए' के नारे लगाते रहे। वो भाजपा पर झारखंड की संस्कृति पर हमला करने के आरोप भी लगाते रहे।
प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंची तो उन्होंने भी झारखंड की संस्कृति की बात की। प्रियंका ने अपने भाषणों में कहा कि ये झारखंड की मिट्टी और मां का चुनाव है। उन्होंने पीएम मोदी से झारखंड में बेरोजगारी और किसानों पर बात करने के लिए भी अपने भाषणों में कहा। जो नतीजे आए हैं उससे लगता है कि स्थानीय मुद्दे लोगों को ज्यादा प्रभावित किए हैं।
हरियाणा में भी नहीं मिले थे मनमाफिक नतीजे
झारखंड से पहले हरियाणा में भी भाजपा के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। जहां भाजपा बहुमत से दूर रह गई थी। वहीं महाराष्ट्र में भी वो सरकार बनाने में नाकाम रह चुकी है। ऐसे में ये सवाल लगातार है कि क्या मोदी का चेहरा और राष्ट्रीय मुद्दे राज्य में बेमतलब हो रहे हैं। बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को शुरू हुआ था। दूसरे चरण में 20 सीटों पर 7 दिसंबर को, तीसरे चरण में 17 सीटों पर 12 दिसंबर, चौथे चरण में 15 सीटों पर 16 दिसंबर को और आखिरी चरण में 20 दिसंबर को 16 सीटों पर वोट डाले गए हैं। आज नतीजों का ऐलान हो रहा है।