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क्या मुसलमानों को हिंसा भड़काने के लिए पैसे बांटे गए?- फ़ैक्ट चेक

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा थमने के बाद अब कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है जिसमें दावा कि जा रहा है कि दंगे फैलाने के लिए मुसलमानों को पैसे बांटे गए थे. 30 सेकेंड के इस वीडियो को किसी घर के छत से शूट किया गया है. वीडियो में नज़र आ रहा है कि एक क़तार में महिलाएं हैं जिन्हें नोट जैसा कुछ दिया जा रहा है. 

By कीर्ति दुबे फ़ैक्ट चेक टीम
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उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा थमने के बाद अब कई वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है जिसमें दावा कि जा रहा है कि दंगे फैलाने के लिए मुसलमानों को पैसे बांटे गए थे.

30 सेकेंड के इस वीडियो को किसी घर के छत से शूट किया गया है. वीडियो में नज़र आ रहा है कि एक क़तार में महिलाएं हैं जिन्हें नोट जैसा कुछ दिया जा रहा है. इस क़तार में बच्चे भी हैं उन्हें भी एक-एक नोट दिया जा रहा है.

मनदीप टोकस नाम के यूज़र ने इस वीडियो को शेयर किया है और दावा किया जा रहा है कि ये उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के पहले का वीडियो है और मुसलमानों को हिंसा भड़काने के लिए पैसे बांटे गए.

इसे 32 हज़ार लोगों ने अब तक शेयर किया है और पाँच लाख लोगों ने इसे देखा है.

इसके अलावा कई अन्य यूज़र्स ने भी इसे ऐसे ही दावों के साथ फ़ेसबुक पर शेयर किया है जिसे चार हज़ार लोगों ने शेयर किया है.

बीबीसी ने इस वीडियो की पड़ताल शुरू की और पता लगाने की कोशिश की कि क्या हिंसा भड़काने के लिए पैसे बांटे गए?

हमने इस वीडियो को ध्यान से सुना तो एक आवाज़ सुनाई दी, ''अल्लाह इन्हें ख़ूब देगा. ऐसे इंसानों को जो दूसरों की मदद कर रहा है.''

देखने में ये जगह हमें उत्तर पूर्वी दिल्ली की लगी, लिहाज़ा बीबीसी हिंसा ग्रस्त इलाक़े में पहुंची. कई जगहों से होते हुए हम आख़िरकार न्यू मुस्तफ़ाबाद के बाबूनगर इलाक़े में पहुंचे. बाबूनगर की चार नंबर गली में जब हमने ये वीडियो दिखाया तो लोगों ने बताया कि ये वीडियो उसी गली का है.

बाबूनगर में शिव विहार के कई मुसलमान परिवार शरण लेकर रह रहे हैं. कुछ ईदगाह और घरों को शेल्टर होम में तब्दील कर दिया गया है.

शिव विहार इलाके में रहने वाले हाशिम

यहीं रहने वाले हाशिम ने बीबीसी को बताया, ''हमें ये पता है कि मदद के लिए 100 रुपये 50 रुपये दिए गए. इस गली के साथ आस-पास की बाक़ी गलियों में भी खाने और कुछ पैसे ज़रूरतमंदों को दिए गए. कुछ लोग बाहर से आकर ये कर रहे हैं, सरदार लोग भी आए थे. रविवार को बांटा, शनिवार को बांटा और तीन-चार दिन से लगातार बांटा जा रहा है. सुबह से लेकर शाम तक कोई वक़्त तय नहीं है. जब ऐसे लोग मदद के लिए आते हैं औरतें बच्चों लाइन लगा लेते हैं. लोग यहां खाने का सामान भीं बांट रहे हैं. ज़्यादातर पैसे और मदद का सामान महिलाओं और बच्चों को दिया जा रहा है. जिससे जितनी मदद बनती है वो लोग दे रहे हैं.''

इस गली में ही हम आगे बढ़े तो बड़े बर्तनों में खाना बनता दिखा. मोहम्मद रफ़ीक़ मंसूरी शरण लेकर रह रहे लोगों के लिए खाने का इंतज़ाम करते हैं.

बाबू नगर के गली नंबर पांच में बनता शरण लेकर रह रहे हिंसा पीड़ितों के लिए बनता खाना

उन्होंने कहा, ''मदद में लोग अनाज दे रहे हैं. कई लोग तुग़लक़ाबाद से आकर अनाज दे रहे हैं तो कई दिल्ली की दूसरी जगहों से भी 10-20 किलो अनाज की मदद की जा रही है ताकि यहां जो लोग अपना घर-बार छोड़ कर आए हैं उन्हें खाना मिल सके. कईयों के छोटे-छोटे बच्चे हैं.

मोहम्मद रफ़ीक मंसूरी

बीबीसी ने अपनी पड़ताल में पाया है कि वीडियो में दावे के मुताबिक़ दिल्ली में हिंसा भड़काने के लिए पैसे नहीं बांटे गए. बल्कि ये पैसे हिंसा में पीड़ितों की मदद के लिए बांटे गए, साथ ही ये वीडियो शिवपुरी से भाग कर बाबूनगर शरण लेने वाले परिवारों का है. जिन्हें खाना और दूध और कपड़े भी बांटे जा रहे हैं.

BBC Hindi
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English summary
Is money distributed to incite violence to Muslims? - Fact Check
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