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तो क्या मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस के सभी विकल्प खत्म?

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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से जबरदस्त सियासी नूराकुश्ती का दौर चल रहा है। यह पूरी नूराकुश्ती उस वक्त शुरू हुई जब कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इन विधायकों के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पूरी तरह से एक्शन में आ गई और प्रदेश में सरकार बनाने की कवायद में जुट गई है। यह पूरा मामला इस कदर उलझा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और इस बाबत याचिका दायर की, जिसपर आज सुनवाई हुई।

काम नहीं आ आ रहा कांग्रेस का सियासी दांवपेंच

काम नहीं आ आ रहा कांग्रेस का सियासी दांवपेंच

मध्य प्रदेश के सियासी दांवपेंच में बागी 22 विधायकों की भूमिका काफी अहम है। इसकी बड़ी वजह यह है कि अगर ये विधायक विधानसभा में हिस्सा नहीं लेते हैं तो उस दिशा में विश्वास मत के दौरान कांग्रेस की सरकार गिर सकती है। एक तरफ जहां कांग्रेस दावा कर रही है कि भाजपा ने उसके विधायकों को बंधक बनाकर रखा है। खुद दिग्गज कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बेंगलुरू के होटल में ठहरे विधायकों से मुलाकात करने के लिए पहुंच गए। लेकिन जब उन्हें विधायकों से मिलने के लिए होटल में जाने नहीं दिया गया तो वह सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।

विधायक फैसले पर अडिग

विधायक फैसले पर अडिग

एक तरफ जहां कांग्रेस यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि भाजपा ने उसके विधायकों को बंधक बना रखा है तो दूसरी तरफ सभी बागी विधायक खुलकर मीडिया के सामने यह कह रहे हैं कि वह अपनी मर्जी से यहां आएं हैं और उनपर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं है और उन्होंने अपनी स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है। इन विधायकों ने एक एक सीडी भी कोर्ट में भेजी है जिसमे कहा गया है कि वह होटल में अपनी मर्जी से ठहरे हैं और उन्हें बंधक नहीं बनाया गया है। वह अपनी मर्जी से यहां ठहरे हैं और वह विचारधारा की वजह से कांग्रेस से अलग हुए हैं। अहम बात यह है कि इन तमाम विधायको की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इनके वकील पेश हुए और उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा का सवाल है, हमने विचारधारा के कारण इस्तीफा दिया है और स्पीकर अनिश्चित काल के लिए इस्तीफे पर बैठ नहीं सकते हैं। कोर्ट का हाल का ही फैसला है जोकि कहता है कि जल्द से जल्द स्पीकर को फैसला लेना चाहिए।

फ्लोर टेस्ट ही विकल्प!

फ्लोर टेस्ट ही विकल्प!

जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों के वकील ने विधायकों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा, बागी विधायकों की ओर से हस्ताक्षर किए गए वकालतनामे के बाद कोर्ट में उनके वकील ने साफ किया कि उनके विधायक कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते हैं। कोर्ट में वकीलों बागी विधायकों की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद साफ है कि कांग्रेस के लिए अब लगभग सभी विकल्प खत्म हो गए हैं। लिहाजा मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के सामने फ्लोर टेस्ट के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता है। लेकिन इन सब के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि वह खुद भी विधायकों से मिलने के लिए कर्नाटक जा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का सीधा सवाल

सुप्रीम कोर्ट का सीधा सवाल

इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने पूछा कि स्पीकर ने 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया, क्या उन्होंने 22 विधायकों को लेकर अपने दिमाग का इस्तेमाल किया। स्पीकर को खुद को संतुष्ट करने की जरूरत है और इस्तीफे को स्वीकार करना चाहिए। जबतक स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार नहीं करते हैं तबतक क्या ये विधायक विधानसभा के सदस्य हैं। इन इस्तीफों को स्पीकर को सत्यापित करना चाहिए। स्पीकर ने 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। हम विधायकों को विधानसभा में जाने के लिए मजबूर नहीं करने की जरूरत है। लेकिन हमे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सदन में जाएं या नहीं जाएं इसका फैसला ये विधायक खुद लें, यह कोर्ट की संवैधानिक जिम्मेदारी है।

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English summary
Is it congress game over in Madhya Pradesh after rebel mla's submission on SC.
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