बेरहम हुईं बीमा कंपनियां, कोविड संक्रमितों के लिए ये सारे नियम और सख्त किए
मुंबई, 13 जनवरी: जो लोग कोविड से संक्रमित होकर स्वस्थ हो चुके हैं या जिन्हें कोविड संक्रमण हुआ है, बीमा कंपनियों ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दिए हैं। ऐसे लोगों के लिए अब जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा लेना बहुत ही कठिन हो गया है। लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां अब ना सिर्फ ऐसे लोगों से ज्यादा मेडिकल टेस्ट करवा कर तसल्ली करना चाह रही हैं, बल्कि बीमा जारी करने में महीनों का वक्त लगा रही हैं। यही नहीं, वरिष्ठ नागरिकों या कोमोरबिडिटी वालों के लिए तो जीवन बीमा लेना या स्वास्थ्य बीमा करवाना और भी बड़ी समस्या बन गया है।
कोविड संक्रमितों के लिए टर्म प्लान लेना हुआ मुश्किल
कोविड से संक्रमित होने के बाद जो लोग भी अब नया टर्म प्लान खरीदना चाहते हैं तो लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां अब उन्हें अनिवार्य रूप से तीन महीने तक इंतजार करने के लिए कह रही हैं। इतना ही नहीं नई टर्म पॉलिसी इस बात पर भी निर्भर है कि अगर कोई कोविड संक्रमित हुआ था तो उसकी बीमारी कितनी गंभीर थी? क्या उसे अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ा था ? अगर कोविड संक्रमित लोग नया टर्म प्लान खरीदना चाह रहे हैं तो एलआईसी कंपनियां अब अतिरक्त मेडिकल टेस्ट की भी मांग कर रही हैं। छाती का एक्स-रे भी मांग रही हैं। जाहिर है कि कोविड के झटके से उबरने वाले जो लोग अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित करने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह कंपनियों की ओर से बेरहमी से कम नहीं है।
कोविड जितना ही गंभीर, टर्म प्लान लेना उतना ही मुश्किल
एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ने पॉलिसी बाजार डॉट कॉम में टर्म इंश्योरेंस के बिजनेस हेड सज्जा प्रवीण चौधरी के हवाले से लिखा है, 'संक्रमण की गंभीरता और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत के आधार पर, बीमा कंपनियां टर्म प्लान खरीदने के इच्छुक कोविड संक्रमित लोगों के प्रपोजल को एक से तीन महीने के लिए टालने की मांग कर रही हैं।' दरअसल, बीमा कंपनियों ने यह ट्रेंड पिछले साल के विनाशकारी दूसरी लहर के बाद ही अपना लिया था, लेकिन अब यह उनकी पूर्ण रूप से एक नीति बन चुकी है। उन्होंने कहा कि 'फैसला करने से पहले कंपनियां एक्स-रे जैसी मेडिकल रिपोर्ट पर भी जोर डाल सकती हैं।'
कोविड डेक्लरेशन फॉर्म भरना जरूरी
बीमा कंपनियों के इस सख्त रवैए की वजह से अब जो लोग नया टर्म प्लान खरीदना चाहते हैं, उनके लिए यह जरूरी हो गया है कि वह अनिवार्य रूप से तथाकथित कोविड डेक्लरेशन फॉर्म भर कर दें, जिसमें उनसे बाकी चीजों के अलावा इस सवाल का जवाब देना होगा कि क्या बीमा खरीदने वाले पिछले 90 दिनों के भीतर वायरस से प्रभावित हुए थे।
कवर भी किया कम, मेडिक्लेम में भी अड़चन
बीमा नियमों में इस तरह की सख्ती के बारे में एक वरिष्ठ इंश्योरेंस एडवाइजर ने कहा, 'कोविड प्रभावित व्यक्ति के लिए सिर्फ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना ही मुश्किल नहीं है, हम तो कवर की रकम पर भी इसके प्रभाव को देख रहे हैं। कोविड से पहले 40 साल की उम्र तक आसानी से 25 करोड़ रुपये का कवर मिल जाता था, लेकिन अब ज्यादा से ज्यादा 10 करोड़ का कवर मिलता है। 50 की उम्र वालों का कवर तो और भी कम होगा। इसका असर ग्रुप मेडिकल इंश्योरेंस पर भी देखा जा रहा है, क्योंकि कंपनियां अब वरिष्ठ नागरिकों और कर्मचारियों के माता-पिता के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी को टालने लगी हैं, क्योंकि उनमें कोमोरबिडिटी का जोखिम ज्यादा है।'
कोविड की गंभीरता पर निर्भर है टर्म पॉलिसी
कोविड संक्रमितों के लिए अलग-अलग कंपनियों ने टर्म प्लान के लिए अलग-अलग मापदंड तय कर रखे हैं। उदाहरण के लिए इंडिया फर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस ने कोविड प्रभावित लोगों के लिए प्रतीक्षा अवधि 30 दिन से लेकर 6 महीने तक कर रखा है। कंपनी के सीईओ रुशभ गांधी ने कहा, 'अगर कोई व्यक्ति होम क्वारंटाइन है, तो हमारे पास 30 दिन की अवधि है,लेकिन अगर वह होम क्वारंटाइन है और उसे कोमोरबिडिटी है, तो प्रतीक्षा अवधि 60 दिनों की हो सकती है। '