आईएनएस विराट के अलविदा कहने का समय, कोच्चि में करेगा आराम
कोच्चि। इंडियन नेवी का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विराट अपने सफर के अंतिम पड़ाव के तहत केरल के कोच्चि पहुंच गया। गुरुवार को आईएनएस विराट के पहुंचते ही एक अजीब सा माहौल था। आखिरी बार इस एयरक्राफ्ट के डेक से सी हैरियर फाइटर्स और सी किंग हेलीकॉप्टर्स ने उड़ान भरी। आईएनएस विराट कोच्चि के नेवल एयरस्टेशन पर ही अब आराम करेगा।
खत्म हुआ सी हैरियर्स का भी दौर
आईएनएस विराट के अंतिम यात्रा के साथ ही सी हैरियर्स का एक दौर भी खत्म हो गया। सी हैरियर्स फाइटर जेट्स विराट पर ही डेप्लॉयड थे। सी हैरियर्स वर्टिकल टेक ऑफ और इसी तरह से लैंडिंग करने में समर्थ हैं। अब सी हैरियर्स को हाई स्पीड ट्रैक पर ट्रेनिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा। हालांकि सी किंग अभी सेवा में बने रहेंगे।
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सबके लिए दुखद मौका
विराट को कोच्चि के शिपयार्ड में रिटायर होने से पहले रि-फिट किया जाएगा। नेवी ऑफिसर्स ने बताया कि एयरमेन के लिए यह वाकई काफी दुखद पल है क्योंकि अब उन्हें आईएनएस विराट के डेक को अलविदा कहना है।
उन्होंने बताया कि जहाज पर सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है, इसी वजह से सी किंग्स ने इस शिप से उड़ान भरी।
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'मां' कहकर बुलाते हैं ऑफिसर्स
अधिकारियों
ने
बताया
कि
आईएनएस
विराट
को
नेवी
के
पायलट्स
अक्सर
'मां'
कहकर
बुलाते
हैं,
इसके
आखिरी
दिनों
में
सबकी
आंखें
नम
हैं।
आईएनएस
विराट
के
डेक
से
सी
किंग
को
उड़ाया
उसके
कैप्टन
कमांडर
वीएम
आकाश
थे
और
को-पायलट
निहाल
सबनिस
थे।
नेविगेशन
इंस्ट्रक्टर
में
लेफ्टिनेंट
कमांडर
ए
ओमनाकुट्टन
और
ट्रेनी
लेफ्टिनेंट
मनोज
ठाकुर
शामिल
थे।
दो देशों की नेवी का हिस्सा
आईएनएस विराट पिछले 57 वर्षों से सर्विस में था और इंडियन नेवी से पहले इसने रॉयल ब्रिटिश नेवी को अपनी सर्विसेज दी थीं। इस तरह से यह दो देशों की नेवी का हिस्सा रहा है।
साथ ही यह दुनिया की पहली ऐसी वॉरशिप है जिसके नाम लंबे समय तक सेवा में रहने का रिकॉर्ड दज है। आईएनएस विराट को 18 नवंबर 1959 को ब्रिटिश रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था।
इसके बाद काीब तीन दशक तक ब्रिटिश रॉयल नेवी में रहने के बाद यह वर्ष 1987 में यह इंडियन नेवी का हिस्सा बनी।