13 की उम्र में लगा, अंदर कुछ लड़की जैसा है, खूबसूरत ट्रांस क्विन ने खोले राज
निताशा अपने माता- पिता की इजाजत के बिना लड़की बनीं जिससे उन्हें काफी परेशानी हुई
नई दिल्ली। खूबसूरत ट्रांसजेंडर निताशा को 13 साल की उम्र में ये अहसास हुआ था कि वो लड़का नहीं लड़की हैं। आज नितिशा अपने आत्मविश्वास की वजह से किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। भारत की पहली मिस ट्रांस क्वीन निताशा से अपने जिंदगी से जुड़े की कई राज खोले हैं। निताशा ने बताया कि उनके पिता उनकी शादी के लिए बंगाली लड़की ढुढ़ रहे थे लेकिन उन्हें तो एक लड़का ही चाहिए था।
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खूबसूरत ट्रांस क्विन ने खोले राज
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक 26 साल की खूबसूरत ट्रांसजेंडर मॉडल निताशा थाईलैंड में 2018 में होने वाले मिस इंटरनेशनल ट्रांस क्विन प्रतियोगिता में भारत की तरफ से हिस्सा लेंगी। निताशा ने अपने संघर्ष के दिनों से जुड़े कई अहम राज खोले हैं। 13 साल की उम्र में निताशा को इस बात का पता चल गया था कि उनका शरीर तो लड़कों का है लेकिन वो अंदर से एक लड़की की तरह हैं। जिसके बाद उनको अपनी जिंदगी को जीने में काफी परेशानियां आई। वो लड़का से लड़की बनने के लिए कोलकाता से दिल्ली आईं थीं।
माता- पिता की इजाजत के बिना लड़की बनीं
निताशा अपने माता- पिता की इजाजत के बिना लड़की बनीं जिससे उन्हें काफी परेशानी हुई। इतना ही नहीं उनके परिवारवालों ने पूरी तरह इन्हें अपनाया नहीं है। उन्होंने बताया 'मेरे लिए कभी भी यह सवाल नहीं था कि मैं ट्रांसजेंडर था या नहीं, सवाल यह था कि क्या मैं इसे लोगों के सामने हैंडल कर पाऊंगी या नहीं। इस डर से बाहर निकलना मुश्किल था। ये सफर आसान नहीं था।' निताशा ने बताया कि आस पास के लोग उनके बारे में गलत करते थें। स्कूल में वो सबसे अलग रहतीं थीं।
आत्मा से पूछना पड़ता है कि आखिर आपकी पहचान क्या है?
जेंडर चेंज किए जाने के प्रॉसेस पर बात करते हुए निताशा ने बताया कि इस प्रॉसेस में तीन से चार साल का समय लगता है। उन्होंने बताया कि जेंडर चेंज कराना उनके लिए एक बड़ा फैसला था इस संबंध में उन्होंने अपने मनोचिकित्सक और अपने कजिन से बात की थी। इसके लिए आपको आत्मा से पूछना पड़ता है कि आखिर आपकी पहचान क्या है और आप कौन हैं।
एलजीबीटी समुदाय को उनके अधिकार मिले
निताशा चाहतीं है कि एलजीबीटी समुदाय को उनके अधिकार मिले। वे कहती हैं, 'जिनको लगता है कि वो एक गलत शरीर में हैं, उनको भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है। वे अपनी बात परिवार को बताएं और इस जिंदगी को और खूबसूरत बनाएं।' निताशा ने कहा कि ट्रांसजेंडर, गे, लेस्बियन जैसी कैटेगरी में जो लोग आते हैं, उन्हें आमतौर पर समाज में अलग तौर पर देखा जाता है। कई बार तो उन्हें समाज का हिस्सा भी नहीं समझा जाता। भले ही हम इस बात को न माने लेकिन यह सच है। आज भी इन लोगों को घृणा की नजर से देखा जाता है।