अब भारत में बनेंगे रूसी हाथियारों के कल-पुर्जे, मोदी-पुतिन ने अहम समझौते पर किए हस्ताक्षर
नई दिल्ली। भारत और रूस भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले रूसी सैन्य उपकरणों के कल-पुर्जो(स्पेयर पार्ट्स) के देश में निर्माण पर सहमत हो गए हैं। मॉस्को ने मेक इन इंडिया पहल के तहत साझेदारी शुरू करने के लिए निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनियों की तलाश शुरू कर दी है। इस पहल को दोनों देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण विकास के तौर पर देखा जा रहा है, जहां दोनों देश अपने दशकों पुराने खरीद-बिक्री संबंध को एक सहयोग में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में बुधवार को अपनी व्यापक वार्ता के दौरान उद्यम पर सहमति व्यक्त की थी। दोनों देशों की सरकारों ने सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सैन्य और प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते को 2020 के बाद अतिरिक्त 10 वर्षो के लिए बढ़ा दिया है। दोनों देश अपने दशकों पुराने खरीद-बिक्री संबंध को एक सहयोग में बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
द प्रिंट में छपी खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि, रूस अब संभावित भारतीय साझेदारों के साथ अपनी बातचीत को तेजी से आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि 2016 से कई कंपनियां पहले से ही संभावित भागीदारों के साथ बातचीत कर रही हैं, जब पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इसी तरह के एक सहयोग का प्रस्ताव दिया था। सूत्रों ने बताया कि रूस विशेष रूप से विमानन क्षेत्र में साझेदारी पर नजर गड़ाए हुए है।
भारत-रूसी समझौते से ना केवल रूसी हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए स्पेयर पार्ट्स और अन्य उत्पादों के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि प्रौद्योगिकी और संपत्ति के संयुक्त निर्माण का भी मार्ग प्रशस्त होगा। नया समझौता भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए एक बड़ा उपहार साबित हो सकता है। क्योंकि भारतीय सेना में उपयोग किए जाने वाले 70 फीसदी उपकरण रूस निर्मित हैं। सूत्रों का कहना है कि, इस समझौता में हजारों करोड़ के बिजनेस चलाने की क्षमता है।
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