डायबिटीज टाइप-1 के लिए ICMR ने जारी की गाइडलाइन, जानिए किस उम्र के लोगों को ज्यादा खतरा
नई दिल्ली, 06 जून। मधुमेह से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए आईसीएमआर ने नई गाइडलाइन जारी की है। आईसीएमआर ने की ओर से यह गाइडलाइन टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों के लिए जारी की गई है। यह गाइडलाइन ऐसे समय में आई है जब कोरोना महामारी ने लोगों को असमान रुप से काफी प्रभावित किया है। कोरोना महामारी के चलते डायबिटीज से ग्रसित मरीजों को उच्च जोखिम का सामना करना पड़ा और उनकी मृत्यु दर काफी बढ़ गई थी। बता दें कि इससे पहले आईसीएमआर ने टाइप-1 डायबिटीज के लिए गाइडलाइन जारी की थी, लेकिन पहली बार आईसीएमआर ने टाइप-1 डायबिटीज के लिए भी गाइडलाइन जारी की है।
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आईसीएमआर की गाइडलाइन में कहा गया है कि डायबिटीज का दबाव युवाओं पर काफी बढ़ रहाहै। बच्चों और नाबालिगों में टाइप-1 डायबिटीज सामान्य है। 5-7 साल के बच्चों में और 18 साल से पहले की उम्र के बच्चों में टाइप-1 का खतरा सबसे अधिक होता है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों का वजन कम होने लगता है। इनमे थॉयराइड का भी खतरा होता है। परिवार में अगर किसी को मधुमेह है तो भी बच्चों को हो सकता है। टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों के लिए आईसीएमआर की ओर से सलाह दी गई है कि वह अपने खाने में 50-55 फीसदी कार्बोहाइड्रेड, 10 फीसदी से अधिक सुक्रोज, 25-35 पीसदी फैट, 15-20 फीसदी प्रोटीन का इस्तेमाल करें।
यह सवाल काफी लंबे समय से वैज्ञानिकों के बीच बहस का हिस्सा रहा है कि क्या डायबिटीज आनुवंशिक बीमारी है, क्या यह आगे आने वाली पीढ़ि में जाती है। क्या यह दादा से पिता, पिता से बेटे में ट्रांसफर होती है। लेकिन हाल ही में अमेरिकी और भारतीय शोधकर्ताओं ने एक साझा रिसर्च किया था और इसमे कहा गया है कि अलग-अलग क्षेत्र के लोगों में डायबिटीज के अगली पीढ़ि में ट्रांसफर होने का प्रतिशत अलग-अलग होता है। बता दें कि भारत में चीन के बाद सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं।