अशरिन सुल्ताना राजू के लिए पल्लवी बनी थीं लेकिन अब राजू ही नहीं रहे
अशरिन ने बताया कि जिस समय उनका भाई, उनके पति पर हमला कर रहा था, उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की. यह भी कहा कि अगर वो चाहते हैं कि वो घर लौट चलें तो वो उनके साथ घर भी लौट जाएंगी.
"मैं अपने भाई से मिलना चाहती हूँ. मैं राजू के बिना ज़िंदा नहीं रहना चाहती हूँ. लेकिन मैं अपने भाई से बहुत नाराज़ हूँ और सिर्फ़ यही एक कारण है कि मैं जिंदा हूँ. जिस तरह से उसने राजू को...मेरे पति को मारा, मैं भी उसको उसी तरह मारना चाहती हूँ. उसे भी मेरा दर्द महसूस होना चाहिए..."
अशरिन सुल्ताना, पूरी तरह टूट चुकी हैं. जिस समय वो हमें अपनी बात बता रही थीं, उस समय भी उनके चेहरे पर उनका दर्द साफ़ नज़र आ रहा था. उन्हें देखकर लगता है, जैसे कोई तूफ़ान उनकी सारी ख़ुशियां उड़ा ले गया हो.
बर्बर हत्या
अगर कोई इंसान अपनी आँखों के सामने अपने सबसे प्रिय शख़्स की मौत देखे...सिर्फ़ मौत नहीं, बर्बर हत्या तो उस शख़्स के लिए ज़िंदगी कैसी होगी, इसका अंदाज़ा लगा पाना इतना भी मुश्किल नहीं है. वो जिससे भी मिलती हैं, वही दर्द दोहराती हैं.
पर सच ये भी है कि हम और आप सिर्फ़ उनका दर्द समझ सकते हैं, महसूस शायद उस तरह ना कर पाएं.
अशरिन ने नागराजू से प्यार किया था. इस प्यार के लिए उन्होंने धर्म और जाति के सभी नियमों को ताक पर रख दिया. चार महीने पहले ही अशरिन और नागराजू ने शादी की थी. दोनों ज़िंदगीभर साथ रहना चाहते थे. लेकिन ये सपना, पूरा नहीं हो सका और अशरिन के भाई मोबिन ने सबके सामने सार्वजनिक तौर पर नागराजू की हत्या कर दी.
जिस समय नागराजू की हत्या हुई, आसपास बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. नागराजू से शादी के बाद से ही अशरिन का अपने मायके से कोई संबंध नहीं रह गया था.
उन्होंने परिवार के ख़िलाफ़ जाकर नागराजू से शादी की थी, इसलिए परिवार ने उनसे रिश्ता ख़त्म कर दिया था. वो नागराजू के घर पहले कभी नहीं गई थीं लेकिन अब उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
उन्हें नहीं पता वो अब कहाँ जाएंगी, क्या करेंगी और आगे की ज़िंदगी अब कैसी होगी.
ईद के दूसरे दिन ही नागराजू की हत्या कर दी गई.
हैदराबाद में चार मई का दिन शायद ही कोई भूल पाए.
इस घटना का वीडियो देखकर ही सिहरन हो जाती है. वीडियो में साफ़ नज़र आ रहा है कि दो लोग, निर्दयता से नागराजू को लोहे की रॉड से पीट रहे हैं.
अशरिन उन्हें बचाने की पूरी कोशिश कर रही हैं. जिस समय नागराजू पर हमला हो रहा है, आसपास बहुत से लोग जमा हैं लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा. अशरिन ने उस भीड़ में देखा कि उनके पति पर हमला करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनका भाई ही है.
अशरिन ने हमें बाद में बताया कि जिस समय उनका भाई, उनके पति पर हमला कर रहा था, उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की. यह भी कहा कि अगर वो चाहते हैं कि वो घर लौट चलें तो वो उनके साथ घर भी लौट जाएंगी. लेकिन अशरिन के भाई ने उनकी बात नहीं मानी और उन्होंने नागराजू को मार डाला.
नागराजू को मारने की वजह बहुत ज़ाहिर सी थी. नागराजू हिंदू दलित परिवार से थे और अशरिन एक मुसलमान परिवार से. धर्म की कभी ना टूटने वाली दीवार दोनों के बीच खड़ी थी. अशरिन का परिवार इस शादी के खिलाफ़ था, ख़ासतौर पर अशरिन का भाई.
भाई ही बना हत्यारा
नागराजू की हत्या के बाद जब हमने लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि अशरिन के भाई की नाराज़गी किसी से छिपी नहीं थी. लेकिन अशरिन अपनी ज़िंदगी नागराजू के साथ गुज़ारना चाहती थीं.
विकाराबाद, हैदराबाद से क़रीब 80 किलोमीटर दूर है. मारपल्ली गाँव इसी तालुका में है. यहीं नागराजू का गाँव है. अशरिन का गाँव गानपुर यहाँ से क़रीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है. लेकिन अब उनके परिवार का कोई सदस्य यहाँ नहीं है. इस इलाक़े में घूमने के दौरान हमें अहसास हुआ कि इस क्षेत्र में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समान संख्या में हैं.
अशरिन और नागराजू एक-दूसरे से दस साल पहले एक ही गाँव के कॉलेज में मिले थे. दोनों पहले दोस्त बने और फिर दोनों के बीच प्यार हो गया.
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जब हम नागराजू के गाँव पहुँचे तो उनका पूरा परिवार और अशरिन क़ब्रिस्तान में मौजूद थे. वे नागराजू को याद कर रहे थे. नागराजू ने क़रीब दो साल पहले यह गाँव छोड़ दिया था. लेकिन गांव में विरोध को देखते हुए और समाजिक माहौल देखते हुए यह समझ आ रहा था कि आख़िर क्यों वह हैदराबाद से वापस नहीं लौटना चाहते थे.
दोनों ने वहाँ से निकलकर शादी कर ली. परेशानियों से दूर रहने के लिए दोनों कुछ दिनों तक विशाखापट्टनम में भी रहे. इसके बाद वे यह सोचकर हैदराबाद लौट आए कि यह जगह भी सुरक्षित होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
नागराजू के दादा नागरपल्ली जगन हमें उसी जगह मिले, जहाँ नागराजू को दफ़नाया गया था. उन्होंने हमें बताया कि नागराजू ने परिवार को अपनी शादी के बारे में नहीं बताया था. हालांकि उन्हें अशरिन के परिवार के विरोध के बारे में पता था.
हिन्दू बनाम मुसलमान
जगन ने हमें बताया, "मसला ये नहीं है कि हम पसंद करते हैं या नहीं करते हैं. हमें इस बारे में तब पता चला जब उनकी शादी हो गई. उन्होंने घर पर कुछ भी नहीं बताया था. लड़की मुसलमान थी और वो हिंदू. लड़की का परिवार एक हिंदू लड़के से उनकी शादी के लिए तैयार नहीं था और शायद यही वजह रही होगी कि नागराजू ने इस बारे में अपने घर में नहीं बताया था. वह डर गया था. चीज़ें और ख़राब हो जातीं, अगर वो हमें इस बारे में बताता."
लेकिन यह बात बहुत लंबे समय तक छिपी नहीं रही. अशरिन के परिवार को जैसे ही पता चला कि उन्होंने नागराजू से शादी कर ली है, उन्होंने पुलिस में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी.
लेकिन जब वो पुलिस स्टेशन पहुँचे तो उन्हें बताया गया कि लड़का-लड़की बालिग़ हैं और उन्होंने क़ानूनी तौर पर शादी की है. लेकिन अशरिन के भाई का ग़ुस्सा बना रहा. अशरिन के परिवार ने दोनों का रिश्ता तोड़ने की बहुत कोशिशें कीं.
मोहम्मद कलिमुद्दीन ने हमें यह सब कुछ बताया. वह सरपंच थे और गाँव के बुज़ुर्ग होने के नाते उनकी बहुत इज़्ज़त भी है. गाँव के लोग अपनी समस्याओं के निपटारे के लिए उके पास आते हैं.
अशरिन के रिश्तेदार भी पास के गाँव से उनके पास मामले के निपटारे के लिए आए थे. उन्होंने कलिमुद्दीन से कहा कि इस शादी की वजह से उन्हें समाज में काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. वे अशरिन को वापस अपने घर ले जाना चाहते थे.
परिवार की नाराज़गी
कलिमुद्दीन बताते हैं कि उन्होंने परिवार को राज़ी करने की बहुत कोशिश की. वह कहते हैं, "मैंने कहा, मैं कुछ भी नहीं कर सकता हूँ.अगर वे और आप शांति से आएं और अपनी बात रखें तो इस मसले का कोई समाधान निकाला जा सकता है."
लेकिन जिस समय कलिमुद्दीन ये सब बातें उन्हें समझा रहे थे उन्हें ख़ुद भी अंदाज़ा नहीं था कि तीन महीने बाद ऐसा कुछ हो जाएगा. उनका सुझाव स्वीकार नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाक़ों में अंतरधार्मिक विवाद शायद ही मान्य होते हैं. अशरिन पर उसके परिवार का ग़ुस्सा हर सीमा से परे था.
31 जनवरी 2022 को, नागराजू और अशरिन ने शादी कर ली. दोनों ने आर्य समाज के नियमों के तहत शादी की.
अशरिन बताती हैं कि हम पुराने हैदराबाद के लक्ष्मीनगर इलाक़े गए और वहीं के एक आर्य समाज ऑफ़िस में पहुँचे. वहां के पंडित एम. रविंद्र ने दोनों की शादी करवाई.
उन्होंने हमे बताया कि आर्य समाज मंदिर में बहुत से लोग आते हैं, ख़ासतौर पर वो जिन्हें अंतरधार्मिक विवाह करना होता है. लेकिन ज़्यादातर लोग इसी शहर के होते हैं.
https://www.youtube.com/watch?v=N_vCG3yoAgs
आर्य मंदिर
उन्होंने बताया कि हर साल वे क़रीब आठ से दस ऐसी शादियां करवाते हैं.
हालांकि यहां शादी के रीति-रिवाज शुरू करने से पहले लड़का-लड़की को समझाया भी जाता है. बक़ायदा उनकी काउंसलिंग की जाती है. उनके परिवार और परिवार के विचारों के बारे में पूछा जाता है.
एम रविंद्र ने बताया कि हर जोड़े की तरह नागराजू और अशरिन को भी इस बारे में सबकुछ बताया और समझाया गया था.
रविंद्र कहते हैं कि उन्होंने बताया कि उनके परिवार इस शादी के ख़िलाफ़ हैं और वे इस शादी को स्वीकार नहीं करेंगे.
रविंद्र बताते हैं कि आर्य समाज मंदिर में शादी करने से पहले शख़्स को हिंदू धर्म अपनाना होता है. अशरिन ने ऐसा करने का फ़ैसला किया था.
वह बताते हैं, "जब कोई ईसाई और मुस्लिम शादी करते हैं तो उन्हें हिंदू धर्म में परिवर्तन करना होता है. हिंदू धर्म अपनाने के लिए उन्हें कुछ चीज़ें करनी होती हैं. जो हिंदू धर्म स्वीकार करते हैं, सिर्फ़ वही यहाँ शादी कर सकते हैं.अशरिन और नागराजू की शादी के समय भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने भी गायत्री मंत्र का जाप किया."
https://www.youtube.com/watch?v=0LrkranLTBY
अशरिन का पल्लवी बनना
अशरिन ने अपने प्यार के लिए धर्म के बंधनों को तोड़ा था और वो अशरिन से पल्लवी बन गईं.
नागराजू और अशरिन के बीच धर्म कभी भी कोई परेशानी नहीं था क्योंकि दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे.
अशरिन कहती हैं, "मुझे राजू के हिंदू होने से कोई समस्या नहीं थी. मैं हमेशा सिर्फ़ यह सोचती थी कि वो मेरे लिए है. हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ भी हमारे बीच नहीं था. हम दोनों एक-दूसरे को समझते थे और हंसी ख़ुशी अपनी ज़िंदगी बिता रहे थे."
इतनी तक़लीफ़ में होने के बावजूद अशरिन धर्म और जाति के बंधनों को प्यार के आगे कुछ भी नहीं मानती हैं. उनकी बातो से लगता है कि उन्हें कहीं ना कहीं इस बात का डर हमेशा ही था.
लेकिन प्यार के सहारे उन्होंने आगे बढ़ने का फ़ैसला किया. लेकिन हर कोई अशरिन और नागराजू की तरह नहीं सोचता है, कुछ लोग जो धर्म और जाति को इज़्ज़त से जोड़कर देखते हैं, उन्हें नागराजू और अशरिन जैसों के सपनों को मौत के घाट उतारने में पलभर भी नहीं लगता.
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