कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बच सकता है भारत? WHO की टॉप साइंटिस्ट ने बताया
नई दिल्ली, 8 जून। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि संभावित तीसरी लहर की सीमा को कम करने के लिए प्रमुख कोविड -19 संकेतकों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए। स्वामीनाथन ने कहा भारत को अब जीनोमिक समेत निगरानी को बढ़ानी चाहिए, रिसर्च और डेटा का विश्लेषण करना चाहिए। इसके साथ ही कुछ प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संकेतकों पर भी स्वास्थ्य एजेंसियों को नजर रखनी चाहिए।
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द प्रिंट के साथ बातचीत में उन्होंने कहा "जिला स्तर पर उपलब्ध आंकड़ों जैसे परीक्षण दर, परीक्षण की सकारात्मकता दर के साथ-साथ अन्य प्रकार की निगरानी गतिविधियों जैसे गंभीर तीव्र सांस का संक्रमण (एसएआरआई) निगरानी और इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों पर नजर रखनी होगी।"
डॉ स्वामीनाथन भारत के शीर्ष अनुसंधान संस्थान आईसीएमआर की पूर्व महानिदेशक रह चुकी हैं और वर्तमान में डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक के रूप में काम कर रही हैं। उनके अनुसार पहली और दूसरी लहर के दौरान उपलब्ध आंकड़ों का जीनोमिक सर्विलांस, रिसर्च और विश्लेषण और सीरो सर्वे का डेट भी महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने आगे कहा कि देश के अंदर अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की दर पर पर नजर रखनी होगी।
संक्रमण
के
मामलों
को
कम
रखना
जरूरी-
स्वामीनाथन
स्वामीनाथन
ने
इस
ओर
भी
ध्यान
दिलाया
कि
जिन
शहरों
में
पिछले
साल
सीरो
प्रसार
की
उच्च
दर
थी
उनमें
इस
साल
भी
वृद्धि
देखी
गई।
साथ
ही
उन्होंने
जीनोमिक
निगरानी
की
तरफ
भी
इशारा
किया
क्योंकि
इससे
वेरिएंट
के
महत्व
को
पहचाना
जा
सकता
है।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि भारत के लिए सबसे जरूरी है कि संक्रमण के मामलों को कम से कम रखा जाए। उन्होंने कहा कि ज्यादा देश जो संक्रमण को कम रखने में सफल हुए हैं वहां पर अधिकारियों ने क्लस्टर की पहचान की है और उसके साथ संपर्क में आने वाले सभी का परीक्षण किया है।
डॉ स्वामीनाथन ने चीन और दक्षिण कोरिया का उदाहरण देते हुए कहा "जब उनके पास ऐसे मामले होते हैं, तो अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए सैकड़ों और हजारों लोगों का परीक्षण करते हैं कि वे क्लस्टर में हर उस व्यक्ति को चुन रहे हैं जो सकारात्मक है और फिर आवश्यक स्वास्थ्य उपायों का पालन कर रहा है। इस तरह आप संक्रमण को निचले स्तर पर बनाए रखते हैं।"
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उसने चेतावनी दी कि अगर सरकार अभी भी निचले स्तर पर होने पर संचरण की जांच करने में विफल रहती है, तो इस शृंखला को तोड़ने के लिए लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।