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Holi 2023: जानिए गुजिया और गुझिया में क्या है अंतर? क्यों इसके बिना 'होली' है अधूरी?

Gujiya History: मान्यता है कि होली पर्व पर सबसे पहले ब्रज में कृष्ण जी गुझिया खाते हैं इसलिए होली पर ये मिठाई खास तौर पर बनाई जाती है।

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Holi 2023

Holi and Gujiya: होली का पर्व हो और घरों में गुझिया ना बने भला ऐसा हो सकता है क्या? चाहे जितने भी मिष्ठान और व्यंजन घरों में बने हुए हों लेकिन अगर होली पर मेहमानों का स्वागत गुझिया से ना हो तो पर्व अधूरा ही रह जाता है, यानी कहने का तात्पर्य ये है कि होली का त्योहार बिना गुझिये के पूरा नहीं होता है लेकिन कभी क्या आपने इस बारे में सोचा कि आखिर होली पर गुझिया बनती क्यों है और क्या है इसके पीछे का इतिहास?

इस मिठाई की शुरुआत बुंदेलखंड से हुई थी

नहीं तो चलिए, आपको हम इस बारे में विस्तार से बताते हैं, दरअसल गुजिया के बारे में 13वीं शताब्दी के इतिहास में जिक्र है लेकिन होली पर गुझिया का वर्णन 17वीं शताब्दी में मिलता है। माना जाता है कि इस मिठाई की शुरुआत बुंदेलखंड से हुई थी, जहां फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन बुंदेलखंडवासियों ने अपने प्रिय कृष्ण को आटे की लोई को चाशनी में डूबोकर खिलाई थी, जो कि भगवान को काफी पसंद आई थी, तब से ही होली के दिन गुझिया बनाने का रिवाज बन गया।

Holi 2023

लोग मानते हैं कि गुझिया बनाकर वो कृष्ण को खुश कर रहे हैं, हालांकि तब से लेकर आज तक गुझिये में काफी परिवर्तन हो गया, आज गुझिया वो है जिसमें मैदे की गोल पुड़ी में खोए और मेवे का भरावन होता है और जिसे डीप फ्राई किया जाता है। आधुनिकता का असर खान-पान पर भी दिखता है।आज लोग गुझिए की फीलिंग में खोए की जगह सूजी, चॉकलेट और पनीर का प्रयोग करने लग गए हैं। टेस्ट के हिसाब से भले ही गुझिए में अंतर दिखे लेकिन परंपरा नहीं बदली है।

गुजिया और गुझिया को लेकर कन्फ्यूजन

अक्सर लोगों को गुजिया और गुझिया को लेकर कन्फ्यूजन पैदा हो जाता है, आम तौर पर आपको ये भाषा का अंतर लगेगा लेकिन बता दें कि ये भाषा का अंतर नहीं है बल्कि दोनों के बनाने की विधियों में फर्क है। जब मैदे के अंदर खोया भरकर बनाया जाता है, तो ये मिठाई गुजिया कहलाती है और जब मैदे की परत को चाशनी में डाला जाता है तो ये मिठाई गुझिया कहलाती है।

Holi 2023

गुझिया को कान्हा जी की पसंदीदा मिठाई मानी जाती है, अलग-अलग राज्यों में इसके अलग-अलग नाम है, गुजरात में ये मिठाई 'घुघरा', बिहार में 'पेड़किया' और महाराष्ट्र में इसे 'करंजी' कहते हैं। खैर कहते हैं ना कि मीठा खाने से मिठास बढ़ती है तो गुझिया खिलाने का मतलब केवल एक ही है और वो है रिश्तों में मिठास और अपनापन लाना।तो देर किस बात की है, होली के पर्व पर बनाइए गुझिया और रिश्तों में घोलिए प्रेम और मिठास के रंग।

होली है.........

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English summary
Gujiya is very Important for Holi Festival.Know its Origin and History Here.
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