सिक्किम के राजभवन में घुसकर चिकन खा रहा था भालू, स्टाफ की नजर पड़ी और कोहराम मच गया
गंगटोक, 21 अक्टूबर: सिक्किम के राजभवन में बीती रात एक भालू घूस आया जिसे कई घंटों के ऑपरेशन के बाद गुरुवार को बेहोशी की दवा देकर रेस्क्यू किया गया है। मामला राजभवन का था इसलिए फॉरेस्ट विभाग के अफसर रात से ही राजभवन परिसर में गश्त दे रहे थे, ताकि यह जंगली जानवर किसी को नुकसान न पहुंचा सके। पिछले साल बीएसएनएल के दफ्तर में एक घटना घट चुकी थी, शायद इसलिए कोई जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन, लंबे ऑपरेशन की वजह से भालू को चिकन हाथ जरूर लग गए और उसने कई को साफ कर दिया। भालू को स्थानीय वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ा जाना है।

कई घंटों के ऑपरेशन के बाद राजभवन से पकड़ा गया भालू
सिक्किम की राजधानी गंगटोक स्थित राजभवन से गुरुवार को एक हिमालयी काले भालू (हिमालयन ब्लैक बेर) को रेस्क्यू किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक इस जंगली जानवर का रेस्क्यू ऑपरेशन कई घंटों तक चला, और जाहिर है कि तब तक वहां हड़कंप वाली स्थिति बनी रही। इस भालू को राजभवन के स्टाफ ने आधी रात में ही देख लिया था, जिसके बाद वन विभाग को इसकी सूचना दी गई थी। उन्होंने बताया कि भालू को लोगों से दूर रखने के लिए वन अधिकारी पूरी रात परिसर में गश्त करते रहे और सूरज निकलते ही उसे पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया।

भालू ने राजभवन में घुसकर खाया चिकन
वन विभाग के अफसरों ने बताया कि भालू ने राजभवन के स्टाफ क्वार्टर में से चिकन खा लिए और उसकी वहां मौजूदगी से राजभवन परिसर में मौजूद लोगों में दहशत की स्थिति पैदा हो गई थी। उसे पकड़ने के लिए वन विभाग के लोग सुबह से लगे हुए थे, लेकिन करीब 12 बजे दिन में जाकर वह तब काबू में आया जब उसे ट्रैंक्वलाइज करने में वे कामयाब हुए। डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) डेचेन लाचुंगपा ने कहा है, 'भालू एक पुलिया के नीचे छिपा हुआ था। हमें इसपर दो बार शूट करना पड़ा, क्योंकि पहला शॉट नाकाम हो गया था।'

लुप्तप्राय प्रजाति में शामिल है हिमालयी काला भालू
अधिकारियों के मुताबिक राजभवन से रेस्क्यू किए गए भालू को पंगालाखा वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हिमालयी काले भालू को अत्यधिक लुप्तप्राय प्रजाति के तौर पर शामिल किया गया है। पिछले साल, एक हिमालयी काला भालू एमजी मार्ग के पास बीएसएनएल की इमारत में घुस गया था और वहां के एक कर्मचारी को घायल कर दिया था।

पूरे हिमालय क्षेत्र में पाए जाते हैं हिमालयी काले भालू
बेर कंजर्वेशन के मुताबिक हिमालयी काले भालू की लंबाई औसतन 1.4 से 1.7 मीटर होती है और यह वजन में 90 से 200 किलो तक का हो सकता है। अधिकतम वजन आमतौर पर तब होता है, जब वे हाइबर्नैशन (शीत निष्क्रियता) में जाने वाले होते हैं। यह भालू पूरे हिमालय के इलाकों में पूर्व में अरुणाचल प्रदेश, भूटान से लेकर पश्चिम में जम्मू-कश्मीर और उससे आगे तक पहाड़ों और जंगलों में पाए जाते हैं। गर्मियों के दौरान हिमालयी काले भालू भारत, नेपाल, चीन, रूस और तिब्बत के गर्म क्षेत्रों तक में पाए जा सकते हैं, जो कि 4,000 मीटर तक की ऊंचाई पर मिल सकते हैं। लेकिन, सर्दियों में यह नीचे की ओर उतर आते हैं और 1,500 से 2,000 मीटर की ऊंचाइयों में जंगलों में मिल सकते हैं।

रेड लिस्ट में शामिल है हिमालयी काला भालू
हिमालयी काले भालू 1977 से संरक्षित श्रेणी में हैं और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की रेड लिस्ट में डाले गए हैं। जंगल में आजाद स्थिति में रहने पर यह 25 से 30 साल तक जिंदा रह सकते हैं। भालू सर्वभक्षी होते हैं और फलों और नट्स के अलावा इन्हें दीमक, अंडे, लार्वा, मधुमक्खियां और शहद बेहद पसंद हैं। खेतों से यह अनाज भी खा लेते हैं और भेड़, बकरियों और मवेशियों का भी शिकार करते हैं। (तस्वीरें- सांकेतिक)