आखिर क्यों 'मौत की सड़क' बन रहा है यमुना एक्सप्रेसवे, जानिए हादसों के पीछे का सच
नोएडा । यमुना एक्सप्रेस वे पर रविवार को हुए एक भीषण हादसे में एम्स के तीन डॉक्टरों की मौके पर मौत हो गई थी। इसके दो दिन बाद मंगलवार देर रात उसी जगह पर एक और ऐक्सिडेंट हुआ। यह भिड़ंत एक ट्रक और चार कारों के बीच हुई थी। हम आए दिन यमुना एक्सप्रेसवे के एक्सीडेंट की खबरें समाचारों में सुनते रहते हैं। अब तो आलम ये है कि इस एक्सप्रेसवे का खौफ इतना ज्यादा है कि लोगों को अब इससे डर लगने लगा है लेकिन इसके बावजूद हर रोज सैकड़ों वाहन एक्सप्रेस वे पर यात्रा कर रहे हैं क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं है।
जानलेवा एक्सप्रेस वे
साल 2017 के एक आंकड़े की माने तो पिछले साल इस हाईवे पर दुर्घटना में 1,600 लोगों की जान गई है जो कि साल 2016 की तुलना में दोगुनी है। इसी वजह से इंडिया की सबसे सुंदर और सुगम एक्सप्रेस वे को लोग अब जानलेवा एक्सप्रेस वे कहने लगे हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों ये हाईवे, मौत का हाईवे बनता जा रहा है।
क्या है हादसों की वजह...
हादसों का मुख्य कारण है तेज रफ्तार, इस हाईवे पर गाड़ियों की रफ्तार की एक तय सीमा है, वाहनों की गति पर नजर रखने के लिए हाईवे पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। दोपहिया वाहनों को लिए हेलमेट अनिवार्य है और ओवरस्पीडिंग पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है लेकिन लोग इन नियम की अनदेखी कर रहे हैं और पुलिसिया रूख भी लचर है, जिसके कारण हादसों में बढ़ोत्तरी हो रही है।
आरटीआई से हुआ खुलासा
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार पिछले साल जनवरी से जुलाई तक 18.15 लाख वाहनों ने 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार को पार किया था। इस संख्या में सभी तरह के वाहन शामिल हैं। 100 की स्पीड को भी पार करने वालों में सबसे ज्यादा वाहनों की संख्या जेवर टोल प्लाजा पर दर्ज की गई है। यहां 11.11 हजार वाहनों ने 100 से अधिक की स्पीड पर गति कर रखी थी।
सबसे ज्यादा यहां होते हैं हादसे
यमुना एक्सप्रेस वे पर सबसे ज्यादा हादसे जेवर टोल प्लाजा के अंतर्गत आने वाले जीरो पाइंट से लेकर 57 किमी के क्षेत्र में हुए हैं। दनकौर, दयानतपुर और फलैदा नौहझील, मांट और सुरीर वो थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुई हैं।
कब-किसने बनवाया यमुना एक्सप्रेसवे
यमुना एक्सप्रेसवे 9 अगस्त, 2012 को आम नागरिकों के उपयोग के लिए खोला गया, ये तत्कालीन सीएम मायावती का ड्रीम प्रोजेक्ट था। लेकिन शुरुआती तीन सालों में ही यमुना एक्सप्रेसवे पर 2,194 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं है और ये आंकड़े दिन -प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं।