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Goa Police Cop Cancer से लड़ाई के बाद 'आयरनमैन' बने, 37 साल के IPS को कम पढ़ी-लिखी महिला ने दिया रिकवरी मंत्र

आईपीएस अधिकारी निधिन वलसन बमुश्किल 15 मिनट चलने के बाद सांस लेने में हांफने लगते थे। अब साढ़े आठ घंटे की मुश्किल आयरनमैन रेस पूरी कर मिसाल बने हैं। Goa Police Cop Cancer Nidhin Valsan Recovery Ironman Race

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Goa Police Cop Cancer से लड़ाई के बाद अपराध को सुलझाने में जुटे और अब इस आईपीएस अधिकारी की पहचान आयरनमैन के रूप में है। गोवा पुलिस के जांबाज अधिकारी Nidhin Valsan जानलेवा बीमारी को मात देने के बाद आज लोगों के लिए मिसाल बन चुके हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल आईपीएस अधिकारी निधिन वलसन बमुश्किल 15 मिनट चलने के बाद सांस लेने में हांफने लगते थे। चल पाने में असमर्थ निधिन के दिल की धड़कन असामान्य थी। ज्यादातर पुरुषों की सामान्य धड़कन 60 से 100 के बीच होती है, ऐसे में 180 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) तक पहुंच जाने वाली हार्टबीट को उन्होंने कैसे कंट्रोल किया ? ये जानना काफी इंस्पायरिंग है। (फोटो साभार फेसबुक @nidhin.valsan.7)

निधिन वलसन ने आयरनमैन रेस पूरी की

निधिन वलसन ने आयरनमैन रेस पूरी की

पूरे एक साल तक कैंसर से जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ने के बाद निधिन वलसन ने की रिकवरी केवल नौ महीने पहले पूरी हुई है। रविवार को, आईपीएस अधिकारी निधिन वलसन ने आयरनमैन 70. 3 गोवा रेस को सफलतापूर्वक पूरा किया। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि आपके पास इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प और अनुशासन है, तो कोई भी टारगेट असंभव नहीं है।

डॉक्टरों ने उन्हें कैंसर मुक्त घोषित किया

डॉक्टरों ने उन्हें कैंसर मुक्त घोषित किया

आयरनमैन रेस में भाग लेने के संकल्प के साथ गोवा पुलिस अधिकारी निधिन वलसन ने कैंसर जैसी बीमारी को मात दी। Nidhin Valsan non-Hodgkin lymphoma से पीड़ित थे। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने लगभग एक साल तक इलाज कराया। फरवरी, 2022 में डॉक्टरों ने उन्हें कैंसर मुक्त घोषित कर दिया। वल्सन सबसे खतरनाक कैंसर की वेराइटी से जूझ रहे थे। यह सीधा शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। सबसे चिंताजनक बात ये कि वलसन को चौथे स्टेज का कैंसर था।

कैंसर से लड़ना असंभव नहीं

कैंसर से लड़ना असंभव नहीं

गोवा में एसपी (अपराध) शाखा के रूप में पोस्टेड आईपीएस अधिकारी वलसन जमीन हड़पने वाले मामलों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की कमान भी संभालते हैं। टीओआई के अनुसार वलसन ने बताया कि कैंसर का निदान करना दर्दनाक है। उन्होंने कहा, "इलाज भी बहुत मुश्किल है, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मैं कैंसर को मात देने में सक्षम रहूंगा, तो दुनिया को दिखा सकूंगा कि कोई क्या हासिल कर सकता है।" बकौल वलसन, उन्हें उम्मीद है कि वे सभी को दिखा सकेंगे कि कैंसर से लड़ना असंभव नहीं है। यह मुश्किल है, लेकिन आप लड़ सकते हैं, इसे हरा भी सकते हैं। स्वस्थ होने के बाद फिर से बेहतर जीवन जीया जा सकता है, साथ ही चुनौतीपूर्ण चीजें भी की जा सकती हैं।

26 मिनट बाकी रहते पूरी हुई रेस

26 मिनट बाकी रहते पूरी हुई रेस

गौरतलब है कि आयरनमैन 70.3 रेस सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। इसमें 1.9 किमी तैराकी, 90 किमी साइकिल चलाना और 21 किमी दौड़ना शामिल होता है। इसे साढ़े आठ घंटे के निर्धारित समय के भीतर पूरा करना होता है। वलसन अपनी 70.3 मील की दूरी आठ घंटे, तीन मिनट और 53 सेकंड में ही तय कर ली। यानी IPS Nidhin Valsan ने आयरनमैन रेस समय से काफी पहले करीब 26 मिनट बाकी रहते पूरी कर ली।

90 किलो वजन घटाने की चुनौती

90 किलो वजन घटाने की चुनौती

37 वर्षीय पुलिस अधिकारी निधिन वलसन बताते हैं कि आयरनमैन रेस में भाग लेने के बारे में सोचना वास्तव में कठिन था। उन्होंने बताया, "मुझे यकीन नहीं था। मेरा स्वास्थ्य खराब था, और कीमोथेरेपी के दौरान हाई पावर स्टेरॉयड इस्तेमाल किए गए थे। इसके कारण वजन बहुत अधिक बढ़ गया था। उनका वेट 90 केजी हो गया था। ऐसे में वे कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे उनका वजन कम हो जाए।

आयरनमैन 70.3 गोवा में आयोजित होने का उत्साह

आयरनमैन 70.3 गोवा में आयोजित होने का उत्साह

आयरनमैन रेस की कठिनाई से वाकिफ वलसन शुरुआत में हाफ मैराथन में भाग लेने के बारे में सोच रहे थे। इसमें किसी भी गति से 21 किमी दौड़ना होता है। हालांकि, जब दोस्तों ने उन्हें आयरनमैन 70.3 गोवा में आयोजित होने की बात बताई तो उनकी आंखों में चमक आ गई। इसी साल फरवरी में उनके प्रशिक्षण से पहले दिन में एक मिनट की दौड़ और उसके बाद दो मिनट की पैदल चाल शामिल थी। उन्होंने केवल 15 मिनट के बाद हार मान ली क्योंकि उनका शरीर भार उठाने के लिए तैयार नहीं था। हालांकि, उन्होंने 40 मिनट का टास्क पूरा किया।

ट्रेनिंग प्रोसेस और बाकी लोगों का जीवन

ट्रेनिंग प्रोसेस और बाकी लोगों का जीवन

धीरे-धीरे ही सही लेकिन उनकी बॉडी तैयार हो रही थी। शरीर ने चुनौती स्वीकार करना शुरू कर दिया और करीब एक महीने के बाद ये ट्रेनिंग उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई। बकौल आईपीएस वलसन, "विचार सिर्फ कोशिश करने का था। एक बार जब ट्रेनिंग प्रोसेस का आनंद लेना शुरू किया, तो यह मेरे जीवन का हिस्सा बन गया। मैं समय पर सोने की कोशिश करता था, लेकिन अपने ऑफिस के काम के कारण सुबह जल्दी ही ट्रेनिंग कर लेता था। जब सब सो रहे होते थे तब मैं ट्रेनिंग कर रहा होता था। जब हर कोई रात के खाने और पार्टी करने में बिजी होता था। आराम करने का समय बॉडी की रिकवरी का होता था।

महिला ने सिखाया- दिमाग से लड़ी जाती है लड़ाई

महिला ने सिखाया- दिमाग से लड़ी जाती है लड़ाई

वलसन बताते हैं कि अक्टूबर तक उन्हें इस बात का यकीन नहीं था कि वह आयरनमैन 70.3 रेस जीत सकते हैं। हालांकि, इतना तय था कि वे भाग ले सकते हैं। उन्होंने बताया, "एक बार जब आप यह तय कर लेते हैं कि आपको क्या करना है और दिमाग सही हो गया है, तो शरीर आपके दिमाग के पीछे चलता है। मेरे जीवन के साथ यही हुआ। उन्होंने बताया कि अब काफी कायापलट हो गया है।

कोरोना काल में और भी परेशानियां हुईं

कोरोना काल में और भी परेशानियां हुईं

उन्होंने बताया कि नवंबर 2020 में जब कोविड-19 अपने चरम पर था तो वलसन को सीने में दर्द, गले में खराश और नींद न आने का अनुभव होने लगा। फिर कमर में दर्द हुआ। बकौल आईपीएस वलसन, "जल्द ही ऐसा महसूस हुआ कि पूरे शरीर में पीए (Pulmonary Artery) घूम रहे हैं।" असहनीय दर्द झेलने वाले पुलिस अधिकारी वलसन बताते हैं कि भयंकर पीड़ा के कारण पूरी रात उन्हें नींद नहीं आती थी। कई बार वे "एक बच्चे की तरह रोए"।

डॉक्टरों ने कराए तमाम टेस्ट, लेकिन...

डॉक्टरों ने कराए तमाम टेस्ट, लेकिन...

उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सलाह पर कई परीक्षण किए गए। मधुमेह, स्पॉन्डिलाइटिस, एड्स, न्यूरो रोग, तपेदिक जैसी बीमारियों की आशंका में टेस्ट कराए गए, लेकिन जब कुछ डॉक्टरों को लगा कि यह गठिया भी हो सकता है। हालांकि, दो पैरामीटर मेल नहीं खा रहे थे। उनके बचपन के दोस्त डॉ. आशीष बेन्स ने यह सुनिश्चित किया कि सभी संभावित परीक्षण कराए जाएं। डॉ. आशीष कन्नूर स्थित एक प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ और लैप्रोस्कोपिक सर्जन हैं। उन्होंने एमआरआई कराने का सुझाव दिया। फिर एक PET स्कैन से पुष्टि हुई कि वल्सन का शरीर "कैंसर से भरा" (full of cancer) था।

जानलेवा बीमारी से कैसे जीते ?

जानलेवा बीमारी से कैसे जीते ?

वलसन बताते हैं कि जब उन्हें पता चला कि कैंसर डायग्नोस हुआ है, तो एक कैंसर रोगी की पत्नी से मिलने का मौका मिला। महिला इतनी पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन उन्होंने मुझे कुछ ऐसा बताया जो हमेशा मेरे साथ रह गया। महिला बोलीं, "बेटा, लड़ाई दिमाग में है। यदि आप यहां हार मान लेते हैं, तो लड़ाई में हार हो जाती है।" इस वाकये के बाद आईपीएस वलसन ने सुनिश्चित किया कि वे हार नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा, कैंसर का पता फरवरी (2021) में देर से चला, लेकिन उनकी उम्र, रवैये, परिवार और दोस्तों के समर्थन के कारण, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ सके।

कीमोथेरेपी के दौरान मिले और भी पीड़ित

कीमोथेरेपी के दौरान मिले और भी पीड़ित

उन्होंने बताया कि बीमारी का पता लगने के बाद उन्होंने केरल के एक सरकारी अस्पताल में अपना इलाज शुरू कराया। कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान उन्हें छह कीमोथेरेपी साइकल से गुजरना पड़ा, लेकिन अत्यधिक दर्द के बावजूद, उन्होंने दूसरों को देखकर हिम्मत जुटाई। उन्होंने देखा कि मरीज उनसे भी बदतर स्थिति से गुजर रहे थे। कैंसर के इलाज का अनुभव बताते हुए आईपीएस वलसन बताते हैं कि जनरल वार्ड में लगभग 30-40 मरीज थे। वहां मेरा भी इलाज हो रहा था। मेरे पहले कीमो के दौरान, मैंने देखा कि मेरे बगल में एक दो साल का लड़का था जिसे ब्लड कैंसर था और वह पूरी प्रक्रिया के दौरान रोता रहा। मैंने एक युवा लड़की को देखा जिसे आँखों का कैंसर था। एक अन्य को गुर्दे का कैंसर था।

कैंसर से कैसे जीत मिलेगी ?

कैंसर से कैसे जीत मिलेगी ?

कैंसर जैसी बीमारी को मात देने के बाद गोवा में आयरनमैन 70.3 जीतने वाले आईपीएस वलसन मिसाल बन चुके हैं। वे बताते हैं कि कैंसर ने उन्हें जीवन का सबसे कठिन समय दिखाया है, लेकिन 2022 अब मेरे जीवन का सबसे अच्छा वर्ष बन चुका है। उन्होंने बताया, "कैंसर से लड़ाई के दौरान मैंने 2021 में जो कुछ भी खोया उसकी भरपाई मैंने 2022 में की। आपके पास एक बेहतर जीवन है, बस चुनौतियों के सामने टिके रहें और उन लोगों के बारे में याद रखें जिन्होंने कैंसर के बाद बेहतर जीवन जिया है।

ये भी पढ़ें- क्या Rahul Gandhi Railway Privatisation पर ट्वीट कर बुरे फंसे ? पीआईबी फैक्ट चेक ने कहा- दावा झूठा

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English summary
IPS Officer Nidhin Valsan beats cancer and wins gruelling Ironman 70. 3 Goa race.
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