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मुगल गार्डन से अमृत उद्यान तक, राष्ट्रपति भवन की बागवानी कितनी बदली है ? जानिए

राष्ट्रपति भवन का अमृत उद्यान अपने इतिहास में काफी कुछ समेटे है। आमतौर पर यह धारणा है कि इसकी डिजाइन एडविन लुटियंस ने बनाई थी, लेकिन वास्तविकता अलग है।

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भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष में शनिवार को राष्ट्रपति भवन के विश्व प्रसिद्ध मुगल गार्डन का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' कर दिया गया। इससे पहले केंद्र सरकार ऐतिहासिक राजपथ का नाम कर्तव्य पथ कर चुकी है। हर साल की तरह इस साल 'अमृत उद्यान' 31 जनवरी से जनता के लिए खोला जा रहा है। 15 एकड़ में फैला 'मुगल गार्डन' या 'अमृत उद्यान' बागवानी के लिए स्वर्ग माना जाता रहा है। प्रेसिडेंट एस्टेट में मौजूद मुगल गार्डन, जिसका नाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'अमृत उद्यान' दिया है, वह 1928-29 में तैयार हुआ था।

विलियम मस्टो ने तैयार की थी डिजाइन

विलियम मस्टो ने तैयार की थी डिजाइन

आमतौर पर यह मान लिया जाता है अमृत उद्यान की डिजाइन नई दिल्ली के आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने तैयार की थी। लेकिन, वास्तव में इसकी डिजाइन विलियम मस्टो ने बनाई थी, जो तब नव निर्मित वायसराय हाउस में डायरेक्टर ऑफ हॉर्टिकल्चर हुआ करते थे। यह उद्यान रंग-बिरंगे सैकड़ों किस्मों के फूलों से भरा पड़ा है। यहां गुलाब, डैफोडील्स, एशियाटिक लिली, ट्यूलिप और अन्य सजावटी फूलों के सुंदर वेयराटी मौजूद हैं।

राष्ट्रपति भवन पहले वायसराय हाउस कहलाता था

राष्ट्रपति भवन पहले वायसराय हाउस कहलाता था

दरअसल, राष्ट्रपति भवन का निर्माण पहले वायसराय हाउस के तौर पर हुआ था। यह तब की बात है, जब भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली लाई गई थी। लेकिन, 1947 में देश की आजादी के बाद वायसराय हाउस राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाने लगा। यह भवन देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का आधिकारिक आवास बना। हाल में मोदी सरकार ने जिस राजपथ का नाम कर्तव्य पथ किया है, वह आजादी के बाद भी काफी समय तक किंग्सवे के नाम से जाना जाता था। लेकिन, बाद में उसे राजपथ कर दिया गया था।

अमृत उद्यान का इतिहास

अमृत उद्यान का इतिहास

मुगल गार्डन या अमृत उद्यान का नाम लेते ही खूबसूरत फूलों की यादें ताजा हो जाती हैं। अमृत उद्यान की डिजाइनिंग में विलियम मस्टो ने कई जगहों के आर्किटेक्ट का तालमेल बिठाया है। इसमें जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन की भी प्रेरणा है, तो आगरा के ताज महल के गार्डन की भी झलक मिलती है। यहां तक कि इसमें भारतीय और पर्सिया के लघुचित्रों को भी शामिल किया गया है। वैसे इस गार्डन की डिजाइन को 1917 में ही फाइनल की गई थी, लेकिन इसमें फूलों को लगाने का काम 1928-29 में किया गया था।

मुगल शैली और इंग्लिश गार्डन का तालमेल

मुगल शैली और इंग्लिश गार्डन का तालमेल

इस उद्यान में बागवानी के दो अलग-अलग परंपराओं को शामिल किया गया है- मुगल शैली और इंग्लिश फ्लॉवर गार्डन। इन दोनों परंपराओं को बागवानी के द्वारा बहुत ही खूबसूरत अंदाज में मिलिया गया गया है, जिससे इसकी सुंदरता में चार चांद लग जाता है। क्रिस्टोफर हसी ने एक किताब लिखी है, जिसके मुताबिक लुटियंस की पत्नी ने इस उद्यान को 'स्वर्ग' की संज्ञा दी थी।

गुलाब के लिए बेहद खास है अमृत उद्यान

गुलाब के लिए बेहद खास है अमृत उद्यान

अमृत उद्यान में गुलाब के 159 प्रकार बताए जाते हैं। उनमें से कुछ ये हैं- एडोरा, ताजमहल, एफिल टॉवर,मृणालिनी,ब्लैक रोज या ओक्लाहोमा, ब्लैक लेडी, पैराडाइज,ब्लू मून,लेडी एक्स, मॉडर्न आर्ट, सेंटिमेंटल, महारानी एलिजाबेथ, अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, बेलामी, और राजा राम मोहन राय आदि।

अन्य फूल

अन्य फूल

इस प्रतिष्ठित उद्यान में मौसमी फूलों के भी 70 से ज्यादा वेरायिटी देखे जा सकते हैं। उनमें से ट्यूलिप, डैफोडिल्स, एशिएटिक लिली आदि शामिल हैं। इन्हीं सब फूलों की वजह से पूरा उद्यान जितना ही मनोरम दिखता है, उतनी ही यहां खुशबू भी बिखरी रहती है।

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अमृत उद्यान में सजीली घास

अमृत उद्यान में सजीली घास

राष्ट्रपति भवन के गार्डन को दूब घास से कवर किया गया है। इसे तत्कालीन कलकत्ता से ही लाया गया था। इनके अलावा इस उद्यान में झाड़ियों, बेलों और विभिन्न लताओं की भी भरमार है। इस उद्यान में पेड़ों की भी लगभग 50 वेरायटी मौजूद हैं। इनमें मौलसिरी, गोल्डन रेन ट्री और फूलों वाले टॉर्च ट्री जैसे पेड़ शामिल हैं। प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल में प्रेसिडेंट एस्टेट में और तरह के भी पेड़ लगाए गए थे।

Comments
English summary
The history of the Mughal Gardens or Amrit Udyan of Rashtrapati Bhavan dates back to 1917. In this, both Mughal and English arts and horticulture have been given more emphasis
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