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फ्रांस में हुई पाकिस्तान की फजीहत, भारत की आपत्ति पर PoK के 'राष्ट्रपति' को नेशनल असेंबली में बोलने से रोका

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नई दिल्ली- भारत की कूटनीतिक चुस्ती से पाकिसान की एकबार फिर से अंतरराष्ट्रीय फजीहत हुई है। दरअसल, पाकिस्तान ने कोशिश की थी कि गुपचुप तरीके से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के कथित राष्ट्रपति मसूद खान को फ्रेंच नेशनल असेंबली में कश्मीर को लेकर भ्रम फैलाने का मौका मिल जाए। जब भारतीय राजनयिकों को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान की कोशिशों को नाकाम करने की कोशिशें शुरू कर दीं। इस काम में विदेश मंत्रालय के राजनयिकों के साथ ही फ्रांस में मौजूद प्रवासी भारतीय भी जुट गए। आखिरकार स्थिति ऐसी बनी की भारत के सख्त विरोध के बाद फ्रांस सरकार ने मसूद खान को नेशनल असेंबली में बोलने की इजाजत ही नहीं दी। आखिरकार स्थिति ऐसी आई कि पाकिस्तान के राजदूत को मसूद खान के सम्मान में आयोजित डिनर को भी रद्द करना पड़ गया।

फ्रांस में पाकिस्तान की फजीहत

फ्रांस में पाकिस्तान की फजीहत

भारत की पूरजोर कूटनीतिक पहल के चलते फ्रेंच नेशनल असेंबली में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के कथित राष्ट्रपति का कार्यक्रम कराने के पाकिस्तान के मंसूबे पर पानी फिर गया है। दरअसल, पाकिस्तान इस कोशिशों में लगा था कि यूएन जनरल असेंबली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इमरान खान के संबोधनों से पहले 24 सितंबर को ही पीओके के 'राष्ट्रपति' मसूद खान का संबोधन करवा दिया जाय। पाकिस्तान ने यह बैठक कराने की सारी सेटिंग कर ली थी। ईटी के मुताबिक जब भारत को इसके बारे में पता चला तो उसने कूटनीति के सारे चैनल खोल दिए। यहां तक कि पेरिस स्थित भारतीय दूतावास ने फ्रांस के विदेश मंत्रालय को आपत्ति पत्र (डिमार्के) तक जारी कर दिया कि ऐसा कोई भी कदम भारत की संप्रभुता का उल्लंघन होगा। भारतीय दूतावास अपने स्तर पर इस कार्यक्रम को रोकने में लगा था तो फ्रांस में मौजूद प्रवासी भारतीय ईमेल के जरिए नेशनल असेंबली के स्पीकर के पास विरोध जता रहे थे और इस मामले पर फ्रांस के सांसदों के साथ भी संपर्क में थे कि किसी भी कीमत पर पाकिस्तान के मंसूबे को कामयाब नहीं होने देना है।

पीओके के 'राष्ट्रपति' का कार्यक्रम रद्द

पीओके के 'राष्ट्रपति' का कार्यक्रम रद्द

दरअसल, मसूद खान को फ्रांस की संसद के निचले सदन में चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया गया था। लेकिन, भारत की आपत्ति के बाद फ्रांस सरकार ने उन्हें इसकी इजाजत देने से इनकार कर दिया। इसकी वजह से पाकिस्तानी राजदूत मोइन-उल-हक को कार्यक्रम में शामिल होना पड़ा और उनकी जगह भाषण भी उन्होंने ही दिया। दिलचस्प बात ये है कि इस कार्यक्रम में कोई स्थानीय लोग शामिल नहीं हुए और जो लोग भी पहुंचे थे, उनमें से ज्यादातर पाकिस्तानी एंबेसी के ही स्टाफ थे। जाहिर है कि यहां कश्मीर पर पाकिस्तान की बनाई कहानी पर सवाल पूछने वाला भी कोई नहीं आया था।

मसूद खान के लिए आयोजित डिनर भी रद्द

मसूद खान के लिए आयोजित डिनर भी रद्द

इस पूरी घटनाक्रम पर नजर रख रहे लोगों के मुताबिक फ्रांस के सांसदों के नहीं पहुंचने की आशंका के चलते पाकिस्तानी राजदूत को मसूद खान के सम्मान में आयोजित डिनर को भी रद्द करना पड़ गया। ये डिनर नेशनल असेंबली के कार्यक्रम की पूर्वसंध्या यानि 23 सितंबर को आयोजित होना था। दरअसल, फ्रांस सरकार ने फ्रांस-पाकिस्तान फ्रेंडशिप ग्रुप को पहले ही साफ संदेश भेज दिया था कि मसूद खान और उनके कार्यक्रम से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखनी है। इस तरह से भारत की कूटनीति के सामने फ्रांस में भी पाकिस्तान की चालबाजियों पर पानी फिर गया।

जब कद-काठी में 'कमजोर' लाल बहादुर शास्त्री के एक 'मजबूत' फैसले से पीछे हटने को मजबूर हुआ पाकिस्तानजब कद-काठी में 'कमजोर' लाल बहादुर शास्त्री के एक 'मजबूत' फैसले से पीछे हटने को मजबूर हुआ पाकिस्तान

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English summary
France restrains PoK President from speaking in National Assembly when India protests
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