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क्‍या दक्षिण में बीजेपी की रफ्तार को चांद पर ले जा पाएंगे वैज्ञानिक माधवन नायर, पढ़ें प्रोफाइल

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नई दिल्‍ली। केंद्र में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने केरल में पांच अहम लोगों को पार्टी में जगह दी। इंडियन स्‍पेस एं‍ड रिसर्च ऑर्गनाइजेश (इसरो) के पूर्व चेयरमैन जी माधवन नायर उनमें से ही एक हैं। शनिवार को केरल के कुन्‍नूर में बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की रैली हुई और इसके अगले ही दिन माधवन के अलावा चार और लोगों को पार्टी में शामिल किया गया। इसरो चेयरमैन माधवन त्रावणकोर देवासम बोर्ड (टीबीडी) के अध्‍यक्ष रहे चुके हैं और साथ ही वह देश के जाने-माने वैज्ञानिक भी रहे हैं। पार्टी में शामिल होने के बाद माधवन ने कहा कि वह पिछले कुछ समय से बीजेपी के साथ काम कर रहे थे लेकिन शनिवार को अमित शाह ने औपचारिक तौर पर पार्टी में शामिल किया।

चंद्रयान-1 के पीछे माधवन का अहम योगदान

चंद्रयान-1 के पीछे माधवन का अहम योगदान

माधवन नायर देश के चंद्रयान-1 मिशन का अहम हिस्‍सा थे। 22 अक्‍टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान को लॉन्‍च किया गया था। पिछले वर्ष नासा ने इस बात की पुष्टि की थी कि चंद्रयान-1 अभी तक चंद्रमा की कक्षा में है। तब माधवन ने कहा था कि उन्‍हें इस जानकारी से कोई आश्‍चर्य नहीं हुआ है। लेकिन नासा का रडार सिस्‍टम जिसने इसे ट्रैक किया है वह दरअसल बड़ी उपलब्धि है। उनका कहना था कि 400,000 किलोमीटर की दूरी से इतने छोटे स्‍पेसक्राफ्ट को ट्रैक कर पाना अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है। साल 2008 में लॉन्‍च होने के बाद 312 दिन तक इसरो का कॉन्‍टैक्‍ट चंद्रयान-1 से था लेकिन इसके अगस्‍त 2009 में इसका संपर्क टूट गया। इसके तुरंत बाद ही इसरो ने इस मिशन को पूरा हुआ घोषित कर दिया था। सात वर्षों बाद नासा के ग्राउंड बेस्‍ड सिस्‍टम से इसका पता लग सका था। माधवन ने उस समय कहा था कि इसरो ने चंद्रयान-1 के लिए दो वर्ष का जीवनकाल का अंदेशा जताया था। लेकिन पावर सिस्‍टम फेल्‍योर की वजह से इससे संपर्क टूट गया था।

 पीएसएलवी और जीएसएलवी के पीछे माधवन का दिमाग

पीएसएलवी और जीएसएलवी के पीछे माधवन का दिमाग

31 अक्‍टूबर 1943 को तमिलनाडु के कन्‍याकुमारी में जन्‍म लेने वाले माधवन ने साल 2003 से 2009 तक इसरो के चेयरमैन पद की जिम्‍मेदारी संभाली थी। वह सरकारी संस्‍था एंट्रीक्‍स कॉरपोरेशन के भी अध्‍यक्ष रहे थे। इसके अलावा पटना स्थित आईआईटी के बोर्ड ऑफ गर्वनर्स में भी माधवन शामिल रहे थे। साल 1998 में उन्‍हें पद्मभूषण से सम्‍मानित किया गया तो साल 2009 में पद्माविभूषण दिया गया। रॉकेट सिस्‍टम्‍स के क्षेत्र में नायर देश के अग्रणी वैज्ञानिक थे। उन्‍होंने कई सैटेलाइट लॉन्‍च व्‍हीकल के विकास में अपना अहम योगदान भी दिया। बतौर प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर नायर ने पोलर सैटेलाइट लॉन्‍च व्‍हीकल (पीएसएलवी) डेवलप किया था। यह इसरो के साथ ही साथ नायर की भी व्‍यक्तिगत उपलब्धि है। आज कई भारतीय सैटेलाइट के लॉन्‍च में पीएसएलवी की ही मदद ली जाती है। इसके अलावा नायर ने भारत के जियो-सिंक्रोनियस सैटेलाइट लॉन्‍च व्‍हीकल (जीएसएलवी) के डेवलपमेंट में भी अपना बड़ा योगदान दिया। जीएसएलवी के लिए जरूरी क्रायोजेनिक इंजन की लॉन्चिंग में नायर का योगदान आज तक सभी को याद है।

जब घोटाले में आया माधवन का नाम

जब घोटाले में आया माधवन का नाम

माधवन के मुताबिक वह देश के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा के मुरीद हैं। इसलिए ही वह बीजेपी के साथ काम करना चाहते हैं। जिस समय माधवन पटना आईआईटी से जुड़े थे उसी समय एंट्रीक्‍स कॉरपोरेशन और देवास मल्‍टीमीडिया के बीच हुई डील में कई करोड़ों रुपयों का घोटाला सामने आया। 28 जनवरी 2005 को हुई डील के समय माधवन ही इसरो के चेयरमैन थे। 25 जनवरी 2012 को यह घोटाला सामने आया और इस वजह से माधवन को अपना पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद माधवन को किसी भी सरकारी संगठन से जुड़ने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। अगस्‍त 2017 तक माधवन इस घोटाले का ट्रायल शुरू होने का इंतजार कर रहे थे।

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English summary
Former ISRO chairman Madhavan Nair a scientist who joined BJP.
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