पूर्व DRDO चीफ का दावा, 2012 में हासिल ही कर ली थी ये तकनीक, लेकिन UPA सरकार ने नहीं दी इजाजत
नई दिल्ली। भारत ने अंतरिक्ष में सुरक्षा के लिए एंटी सैटेलाइट मिसाइल तकनीक हासिल कर ली है। यह तकनीक अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास थी। देश के रक्षा वैज्ञानिकों की यह कामयाबी छोटे-छोटे कदमों के साथ तय हुई एक ऐसी ऊंची छलांग है। इस परीक्षण के बाद अब एक नया खुलासा सामने आया है। पूर्व डीआरडीओ प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने दावा किया है कि, भारत ने यह तकनीक 2012 में हासिल कर ली थी। लेकिन दुर्भाग्य से हमें यूपीए सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। इस लिए हम आगे नहीं बढ़ पाए थे।
वीके सारस्वत ने कहा कि, हमने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के लिए प्रेजेंटेशन बनाई थी। जब ये बातचीत चल रही थी, उन्होंने सभी तथ्यों को सुना। लेकिन दुर्भाग्य से हमें यूपीए सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। इस लिए हम आगे नहीं बढ़ पाए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में जब भारत ने व्हीलर आईलैंड से अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण किया था, तभी देश के पास सेटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता आ गई थी।
यहीं सारस्वत ने ये भी बताया कि, जब डॉ. सतीश रेड्डी और एनएसए अजीत डोभाल ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इस मिशन को पूरा करने का साहस दिखाया. अगर साल 2012-13 में ही हमें क्लीयरेंस मिल जाता, तो मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि ये 2014-15 में लॉन्च हो जाता।
तत्कालीन डीआरडीओ चीफ ने साल 2012 में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में डीआरडीओ के पास अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को तबाह करने की क्षमता की पुष्टि की थी।तब उन्होंने कहा था कि,एंटी सेटेलाइट सिस्टम को लेकर जो तैयारियां होनी चाहिए, वे पूरी हैं। वे अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन इसकी तैयारी होनी चाहिए।
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