ऑक्सीजन के बिना तड़प रहे थे लोग, विदेशी मदद पहुंचकर भी पड़ी रही, 7 दिन बाद शुरू हुई SOP
नई दिल्ली, 4 मई। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर अब सुनामी में तब्दील हो चुकी है। पूरा देश त्राहिमाम कर रहा है। अस्पतालों में बेड और दवाओं की कमी के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन के लिए भी हाहाकार मचा हुआ है। बहुत सारे मरीज ऑक्सीजन न मिलने से दम तोड़ चुके है। कोविड की इस भयावहता को देखते हुए दुनिया के करीब 40 देशों ने घोषणा की थी कि वे कोरोना वायरस के चलते आए इस संकट में भारत के लिए मेडिकल सप्लाई और सहायता भेजेंगे।
सिर्फ घोषणा ही नहीं हुई बल्कि विदेशों से मेडिकल सहायता की पहली खेप 25 अप्रैल को सिंगापुर से पहुंच भी गई। उसके बाद से भारी मात्रा में विदेशी सहायता पहुंच चुकी है जिसमें ऑक्सीजन जनरेटर, कंसंट्रेटर और वेंटिलेंटर शामिल हैं जिसे पिछले एक सप्ताह में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने प्राप्त किया है।
25
अप्रैल
को
पहुंची
थी
पहली
खेप
लेकिन
चौंकाने
वाली
बात
है
कि
कोविड-19
के
लिए
मदद
की
पहली
खेप
25
अप्रैल
को
ही
पहुंच
चुकी
थी
लेकिन
केंद्र
ने
इन
जीवन
रक्षक
मेडिकल
सप्लाई
को
राज्यों
में
वितरित
करने
की
मानक
प्रक्रिया
(एसओपी)
शुरू
करने
में
एक
सप्ताह
का
समय
ले
लिया।
राज्यों
को
सप्लाई
में
ये
देरी
ऐसे
समय
में
हुई
जब
अस्पताल
ऑक्सीजन
के
लिए
गिड़गिड़ा
रहे
थे
और
लोग
ऑक्सीजन
की
कमी
के
चलते
इस
खतरनाक
बीमारी
से
अपनी
जान
गंवा
रहे
थे।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन आपूर्ति को 2 मई को राज्यों को वितरित करने की प्रक्रिया को अधिसूचित किया और एचएलएल लाइफकेयर को वितरण प्रबंधक के रूप में नियुक्त किया।
इंडियन
रेड
क्रॉस
सोसायटी
प्राप्त
करेगी
मदद
केंद्रीय
मंत्रालय
से
जारी
नोटिफिकेशन
के
मुताबिक
इंडियन
रेड
क्रॉस
सोसायटी
को
आधिकारिक
तौर
पर
मदद
को
प्राप्त
करने
के
लिए
नियुक्त
किया
है
जबकि
भारत
सरकार
के
उपक्रम
एचएलएल
लाइफकेयर
को
विदेशों
से
प्राप्त
आपूर्ति
के
वितरण
की
जिम्मेदारी
दी
गई
है।
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एसओपी के मुताबिक विदेशों से आने वाली सभी तरह की मदद के लिए विदेश मंत्रालय नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा। वहीं विदेश मंत्रालय के जरिए विदेशों से दान आने वाली सभी तरह की मदद प्राप्त करने के लिए इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी को नामित किया गया है।