भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से रक्त का थक्का जमने का अभी तक कोई मामला नहीं- विशेषज्ञ
देश में कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान में शामिल शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाने के बाद रक्त के थक्कों से जुड़ा कोई मामला भारत में अभी तक सामने नहीं आया है।
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस टीकाकरण अभियान में शामिल शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगाने के बाद रक्त के थक्कों से जुड़ा कोई मामला भारत में अभी तक सामने नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि टीकाकरण के बाद इसके दुष्प्रभावों की गहन समीक्षा अगले सप्ताह की जाएगी। आपको बता दें कि हाल ही में कुछ यूरोपीय देशों ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के उपयोग के बाद लोगों में खून के थक्के जमने की शिकायत के बाद वैक्सीन को लेकर कई सवाल खड़े किए थे और इसके उपयोग पर अस्थाई रोक लगा दी थी।
इस वैक्सीन का इस्तेमाल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भारत में भी किया जा रहा है। वहीं, एस्ट्राजेनेका, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय दवाई एजेंसी (ईएमए) ने भी कहा है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित है। वहीं, टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (एईएफआई) पर कोविड -19 टीकाकरण समिति की राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. एन के अरोरा ने कहा कि, 'बहरहाल, भारत पूरे देश में टीकाकरण के बाद रक्त का थक्का जमने जैसी प्रतिकूल घटनाओं (एईएफआई) की समीक्षा करेगा। उन्होंने आगे कहा कि, 'ऐसे मामलों की सावधानी पूर्वक समीक्षा हो रही है। उन्होंने कहा कि भले ही भारत में इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया है, जिसे मेडिकल भाषा में थ्रोम्बोम्बोलिक फिनोमेनन (रक्त का थक्का जमना) कहते हैं।
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फिर भी हमने भारत के आंकड़ों को बहुत सावधानी से जांचने का फैसला किया है।' उन्होंने कहा कि इस तरह का मामला स्कैंडेविन देश में दर्ज किया गया है। उन्होंने उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय अगले सप्ताह हमें टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटनाओं से जुड़ा डाटा देगा जिसकी समीक्षा की जाएगी। मालूम हो कि कई देशों में कोरोना वायरस के टीकाकरण के तौर पर ऑक्सफोर्ड की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (AZD1222) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस वैक्सीन के उपयोगकर्ता डेनमार्क में हाल ही में वैक्सीन के कारण एक व्यक्ति में रक्ता का थक्का जमने से उसकी मौत होने की खबर सामने आई थी जिसके बाद नार्वे, आइसलैंड, ईस्टोनिया, लिथुआनिया, लग्जमबर्ग, इटली और लातविया जैसे देशों ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया था।