2019 Poll: सोशल मीडिया पर हेट स्पीच के खिलाफ चुनाव आयोग की बड़ी तैयारी
नई दिल्ली। अगले वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग अपनी पूरी तैयारी में जुटा है। मौजूदा दौर में चुनाव के दौरान सोशल मीडिया काफी अहम भूमिका निभाता है, ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच नफरत फैलाने वाली पोस्ट के खिलाफ चुनाव आयोग ने अपनी कमर कस ली है। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक पैनल का गठन किया है जोकि व्हाट्सएप, फेसबुक और यूट्यूब पर इस किसी भी तरह के भड़काऊ कंटेंट पर नजर रखेगा।
पिछले कुछ महीने में बढ़ा तनाव
चुनाव आयोग के कमिश्नर अशोक लवासा ने बताया कि यह पैनल सोशल मीडिया पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रखेगा। देश ने पिछले कुछ महीनों में धार्मिक और जातीय तनाव देखने को मिला है, जिसमे इस वर्ष 24 लोगों की जान चली गई है। इसमे अधिकतर लोगों की जान सोशल मीडिया पर अफवाह की वजह से गई है, जिसमे गो तस्करी, बच्चा अपहरण गिरोह, जैसी अफवाहें शामिल हैं। फेक न्यूज और पेड न्यूज काफी गंभीर मुद्दा है।
तमाम देश उठा रहे हैं कदम
लवासा ने कहा कि हम सोशल मीडिया पर नजर रख रहे हैं और नियमों को इस बाबत कड़े करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि किसी भी तरह की अफवाह और हेट स्पीच को फैलने नहीं दिया जाए। भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जो सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर लगाम लगाने के अभियान में जुटा है। मलेशिया में हाल ही में हुए प्रधानमंत्री के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे। जिसके बाद प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने इसके लिए कानून बनाया। सिंगापुर और फिलिपींस भी फेक न्यूज के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी कर रहे हैं, जबकि जर्मनी में ऐसा कानून पास किया गया है जिसके बाद सोशल मीडिया पर हेट स्पीच फैलाने वालों का पोस्ट हटाया जाएगा।
सत्ता और विपक्ष में टकराव
भारत के विपक्षी दलों का का कहना है कि जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र देश के पीएम बने हैं तबसे देश में असहिष्णुता बढ़ गई है। जबकि भाजपा सांसदों का कहना है कि प्रदेश में हो रही घटनाओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना गलत है, इसके लिए राज्य सरकारों को कदम उठाना चाहिए। भारत में होने वाले चुनाव के मद्देनजर चुनाव आयोग पहले से ही इसकी सुरक्षा आदि के इंतजामों को लेकर अपनी तैयारी में जुट गया है।
यूरोप की आबादी के बराबर वोटर
लवासा ने बताया कि तकरीबन 87.5 करोड़ नागरिक इस बार वोट करने के लिए योग्य हैं जोकि पूरे यूरोप की आबादी के बराबर है। चुनाव प्रक्रिया में 1.1 करोड़ पोल वर्कर लगेंगे और सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे जोकि इस चुनाव को संपन्न कराने में आयोग की मदद करेंगे। यही नहीं पहली बार चुनाव आयोग दिव्यागों को लेकर अलग से तैयारी कर रहा है, उनके लिए अलग से रैंप, ब्रेल लिपि में वोटर आईडी कार्ड आदि मुहैया कराई जाएगी।
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