बालाकोट हवाई हमले में गिराए गए हर बम में था 70 से 80 किलो विस्फोटक
नई दिल्ली। 26 फरवरी को पाकिस्तान के बालाकोट में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने जो हवाई हमला किया था, उसमें जो बम प्रयोग हुए थे, हर बम में करीब 70 से 80 किलो विस्फोटक था। इंग्लिश डेली इंडियन एक्सप्रेस की ओर से सेना के करीबी सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी गई है। अखबार ने एक मिलिट्री ऑफिसर के हवाले से लिखा है कि जो सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं हैं, उनसे साफ है कि हमलों में कितना नुकसान हुआ है।
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सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरें
आईएएफ
ने
बालाकोट
में
26
फरवरी
को
जैश-ए-मोहम्मद
के
अड्डों
को
निशाना
बनाया
था।
इन
हमलों
में
जो
बम
प्रयोग
हुए
उसमें
करीब
70
से
80
किलोग्राम
टीएनटी
था।
इसके
बाद
जो
सैटेलाइट
तस्वीरें
आई
हैं
उनसे
भी
इस
बात
का
अंदाजा
मिलता
है
कि
हमलों
में
जैश
को
कितना
नुकसान
हुआ
है।
एक
मिलिट्री
ऑफिसर
के
हवाले
से
अखबार
ने
लिखा
है,
'जैश
की
बिल्डिंग
को
निशाना
बनाने
के
लिए
जिस
तरह
का
विस्फोटक
प्रयोग
हुआ,
उसे
लेकर
कई
तरह
के
कयास
लगाए
जा
रहे
हैं।
जबकि
जो
बात
सबसे
अहम
है
वह
है
एनईक्यू
या
नेट
एक्सप्लोसिव
क्वालिटी
यानी
कितना
विस्फोटक
प्रयोग
किया
गया
है।
जो
वॉरहेड
या
विस्फोटक
हमले
के
लिए
यूज
हुआ
उसमें
70
से
80
किलोग्राम
का
टीएनटी
था।'
यह
भी
पढ़ें-पाकिस्तान
में
बालाकोट
जैसे
जैश
के
9
कैंप्स
सक्रिय
1000 किलो के बम
हवाई हमलों के बाद जो खबरें आई थीं उसमें कहा गया था कि हमले के बाद आईएएफ ने इजरायल में बने स्पाइस 2000 प्रिसीशन गाइडेड म्यूनिशिन (पीजीएम) को यूज किया था। इन बमों को मिराज-2000 फाइटर जेट से फायर किया गया था। माना जा रहा है कि करीब 1000 किलोग्राम के बम बालाकोट में गिराए गए थे। जो जानकारी सार्वजनिक तौर पर सामने आई थी उसके मुताबिक करीब 907 किलोग्राम का बारूद के साथ स्पाइस बमों को गिराया गया था। यह भी पढ़ें-पाक ने अभिनंदन पर ढाए कई जुल्म, देश के राज उगलवाने के लिए ऐसे किया टॉर्चर
क्यों खास हैं स्पाइस बम
एक ऑफिसर की ओर से कहा गया है कि विस्फोटक की मात्रा कितनी है, सिर्फ इससे फर्क नहीं पड़ता बल्कि वॉरहेड कैसा है, विस्फोटक किस प्रकार का है, इसे किस दिशा से फायर किया गया और इसने कितना एरिया कवर किया साथ ही इसे किस प्रकार के तत्व के साथ मिलाया गया, ये भी काफी जरूरी होता है। हालांकि अभी तक एयरफोर्स ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि उसने हवाई हमलों के लिए स्पाइस 2000 बमों का प्रयोग किया था। स्पाइस बम रात और दिन के अलावा खराब मौसम में भी यूज किए जा सकते हैं और इसके दोहरे इंफ्रारेड इन्हें और ज्यादा क्षमतावान बनाते हैं। यह भी पढ़ें-नई मिसाइलों के साथ मिग-21 अमेरिका के एफ-16 जितना घातक
मुजफ्फराबाद पर भी लग सकता है निशाना
वहीं एक और मिलिट्री ऑफिसर ने अखबार से कहा है कि जो हथियार प्रयोग किया गया वह एक विशेष प्रकार का हथियार था। इस ऑफिसर की मानें तो अगर बालाकोट की जगह निशाना मुजफ्फाराबाद होता तो भी इस तरह का हमला संभव था। मुजफ्फराबाद, बालाकोट की तुलना घनी आबादी वाला इलाका है। इस ऑफिसर की मानें तो बालाकोट में जो हथियार प्रयोग हुआ है, उससे मुजफ्फराबाद को भी निशाना बनाया जा सकता है।