क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

आपकी गाड़ी पर प्रतिबंध लगने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण होगा कम?

वह कहते हैं, "डेनमार्क में 170 से 200 फ़ीसदी तक टैक्स गाड़ियों पर लगा हुआ है. इसका मक़सद लोगों को गाड़ी ख़रीदने से हतोत्साहित करना है ताकि वह सार्वजनिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. वहां सरकार ने सार्वजनिक वाहनों पर भी अधिक ध्यान दिया है जो हमारे देश में बहुत धीरे-धीरे हुआ है."

दिल्ली में गाड़ियों का प्रदूषण कम करने के लिए 10 साल पहले ही सीएनजी वाहनों का आगमन हो गया था, लेकिन अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं कि केवल सीएनजी वाहनों से भी प्रदूषण कम नहीं किया जा सकता है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
दिल्ली का इंडिया गेट
Getty Images
दिल्ली का इंडिया गेट

"वायु गुणवत्ता के हालिया पूर्वानुमान बताते हैं कि अगले कुछ दिनों में यह और ख़राब हो सकती है. अगर यह गंभीर स्तर को पार करती है तो हमें आपातकालीन क़दम उठाने होंगे. अगर ज़रूरत पड़ी तो दिल्ली की सड़कों पर एक नवंबर से हम निजी वाहनों को प्रतिबंधित कर देंगे. केवल सार्वजनिक वाहन इस्तेमाल किए जाएंगे. यह ग्रेडेड एक्शन रेस्पॉन्स प्लान का हिस्सा है."

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरे लाल ने जब यह बात कही तो दिल्ली-एनसीआर की जनता के माथे पर शिकन आ गई.

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को आदेश दिए थे कि वह 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों की पहचान करके उनके परिचालन पर रोक लगाए.

इसके साथ ही जस्टिस एम.बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने विभाग को निर्देश दिए कि वह ऐसे वाहनों की सूची बनाकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित करे.

कोर्ट ने यह भी कहा कि 10 साल पुराने डीज़ल वाले कमर्शियल वाहनों की भी दिल्ली में एंट्री बैन हो और इन सब प्रभावों का विज्ञापन अख़बारों में प्रकाशित किया जाए.

कोर्ट ने सीपीसीबी को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए कहा, जहां पर दिल्ली-एनसीआर की जनता प्रदूषण और इसके उल्लंघन की शिकायत कर सके. इसके बाद सीपीसीबी ने फ़ेसबुक और ट्विटर पर अकाउंट बनाए हैं.

दिल्ली पुलिस के जवान
Getty Images
दिल्ली पुलिस के जवान

कार बैन करना कितना उचित?

वायु की गुणवत्ता ख़राब होने की सूरत में ईपीसीए आपातकालीन एक्शन प्लान लागू कर सकता है. इसी प्लान को ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) कहा जाता है जो सिर्फ़ अंशकालिक होता है.

इसी के तहत एक से 10 नवंबर तक दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों, स्टोन क्रशिंग प्लांट आदि पर रोक लगा दी गई है.

इसके अलावा कोयला और बायोमास ईंधन इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को भी चार से 10 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं. वहीं, दिल्ली में 15 अक्तूबर से ही सभी डीज़ल जेनरेटरों पर प्रतिबंध लागू किया जा चुका है.

प्रदूषण रोकने के इतने तरीक़े अपनाने के बाद भी क्या निजी कारों पर बैन लगाना सही है?

इस सवाल पर सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, "दिल्ली में बदरपुर पावर प्लांट बंद करने से लेकर जेनरेटर चलाने पर रोक लगाने तक जीआरएपी के तहत कई आपातकालीन क़दम उठाए गए हैं. अगर इसके तहत अब आख़िर में कुछ दिनों के लिए कारों पर प्रतिबंध लगाने की बात की जा रही है तो इसमें कोई हर्ज़ नहीं है. हमें यह देखना होगा कि यह क़दम हर तरह के प्रयास किए जाने के बाद उठाने की बात कही गई है."

वह कहती हैं, "पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हालिया शोधों से साफ़ हुआ है कि दिल्ली में होने वाले प्रदूषण में वाहनों का योगदान 40 फ़ीसदी है. गाड़ियों की प्रदूषण में सबसे बड़ी भूमिका है और सबसे आख़िर में ही गाड़ियों पर एक्शन लिया जा रहा है."

"प्रदूषण निजी तौर पर हो रहा है इसलिए लोगों को इसके बारे में सोचना होगा. आज लोगों को इस बारे में जागरुक करना चाहिए. इसको तभी कम किया जा सकता है जब सख़्ती से काम किया जाएगा. लोगों को यह समझना होगा कि यह प्रदूषण उनके सेहत के लिए कितना ख़तरनाक है."

गाड़ियां
Getty Images
गाड़ियां

दिल्ली में 76 लाख वाहन

दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1994 में दिल्ली में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 22 लाख थी जो अब तक़रीबन 76 लाख के क़रीब पहुंच चुकी है. इसमें हर साल 14 फ़ीसदी की वृद्धि हो रही है. इसके अलावा इन कुल वाहनों में दो-तिहाई दोपहिया वाहन हैं.

पर्यावरण के लिए काम करने वाली ऐक्शन ऐड संस्था में ग्लोबल लीड हरजीत सिंह कहते हैं, "प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने के लिए गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाना ही एकमात्र तरीक़ा नहीं है. आज दिल्ली में बसों की संख्या उतनी नहीं है जितनी होनी चाहिए."

ईपीसीए की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में निजी वाहनों के मुक़ाबले ट्रक और टैक्सी प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. ओला और उबर जैसी ऐप आधारित टैक्सी सेवा एक दिन में 400 किलोमीटर तक चलती हैं जबकि कोई निजी वाहन एक दिन में 55 किलोमीटर चलता है. इस वजह से इन टैक्सियों से अधिक प्रदूषण होता है.

हरजीत सिंह कहते हैं, "टैक्सियों की संख्या और धूल के कारण भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है. आपातकालीन तरीक़े से प्रदूषण पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाई जा सकती है. प्रदूषण रोकने के लिए इसे एक लंबी लड़ाई के तौर पर देखना होगा और इसमें नागरिकों की सबसे बड़ी भूमिका है."

रात को प्रदूषण
Getty Images
रात को प्रदूषण

फिर कैसे रुकेगा दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण?

दिल्ली में सर्दी और दिवाली आने के समय प्रदूषण को लेकर ज़ोर-शोर से हल्ला मचता है. इसको लेकर ईपीसीए का आपातकालीन प्लान जीआरएपी रहता है. इसे वह लागू भी करता है, लेकिन यह कुछ समय के लिए ही होता है.

वहीं, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान की अधिसूचना जारी की हुई है. यह प्लान दीर्घकालिक समय के लिए है. प्रदूषण किस तरह से वाहनों, निर्माण कार्यों और अन्य जगहों से कम किया जाए इसके लिए इस एक्शन प्लान में कार्य योजनाएं हैं.

आपातकालीन प्लान के तहत आप कुछ ही दिनों के लिए कुछ कोई नीति अपना सकते हैं इसलिए कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान की ज़रूरत है.

उदाहरण के लिए इस प्लान के तहत पहले से वाहनों के मानक तय हो जाते हैं कि उनमें कौन-सा ईंधन इस्तेमाल होगा, किस उद्योग को कितनी छूट होगी, साथ ही एजेंसियों को भी ज़िम्मेदार बनाया गया है.

अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, "दीर्घकालिक एक्शन प्लान के तहत हमें ज़रूर फ़ायदा होगा. जैसे कि उद्योग में पेटको और फ़र्नेस ऑयल जैसे गंदे ईंधनों पर पूरी तरह रोक लग गई है. वाहनों के लिए बीएस-6 मानक 2020 से आने वाला है और इसके लिए साफ़ ईंधन दिल्ली में आ चुका है."

"कॉम्प्रिहेंसिव प्लान में इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिसे अच्छी तरह से लागू होना चाहिए."

पराली जलाता किसान
Getty Images
पराली जलाता किसान

नई तकनीक लाएगी प्रदूषण में कमी

अगर प्रदूषण कम करना है तो इसके लिए नई तकनीक और ईंधन के कम इस्तेमाल की आवश्यकता है.

हरजीत कहते हैं कि गाड़ियों के कम इस्तेमाल और इस पर अतिरिक्त टैक्स लगाकर भी सड़कों पर अतिरिक्त गाड़ी आने से रोकी जा सकती है.

वह कहते हैं, "डेनमार्क में 170 से 200 फ़ीसदी तक टैक्स गाड़ियों पर लगा हुआ है. इसका मक़सद लोगों को गाड़ी ख़रीदने से हतोत्साहित करना है ताकि वह सार्वजनिक वाहनों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. वहां सरकार ने सार्वजनिक वाहनों पर भी अधिक ध्यान दिया है जो हमारे देश में बहुत धीरे-धीरे हुआ है."

दिल्ली में गाड़ियों का प्रदूषण कम करने के लिए 10 साल पहले ही सीएनजी वाहनों का आगमन हो गया था, लेकिन अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं कि केवल सीएनजी वाहनों से भी प्रदूषण कम नहीं किया जा सकता है.

कार्टून
BBC
कार्टून

वह कहती हैं, "प्रदूषण केवल इलेक्ट्रिक वाहनों से ही कम किया जा सकता है इसलिए यह ज़रूरी है कि आगे नई से नई तकनीक आए. इसके अलावा लोग भी ज़िम्मेदार बनें ताकि दीर्घकालिक उपाय अपनाए जा सकें और लोग उनका मज़बूती से पालन करें."

दिल्ली-एनसीआर के अलावा दुनिया में प्रदूषण को लेकर चिंताएं गहरी हैं. दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के आगमन पर ही लोग इसपर जागते हैं. वे दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने को इसका ज़िम्मेदार बताते हैं जबकि वह इसके बड़े कारणों में से एक छोटा कारण है.

जानकार कहते हैं कि प्रदूषण अगर कम करना है तो हर नागरिक को ज़िम्मेदार होना होगा ताकि वह ख़ुद को और आने वाले भविष्य को सुरक्षित रख सके.

ये भी पढ़ें:-

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Due to the ban on your vehicle will there be less pollution in Delhi-NCR
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X