जानें काशी के डॉ.लहरी को:रिटायरमेंट के बाद भी 81 की उम्र में करते हैं फ्री इलाज, लोग कहते हैं रोगियों का भगवान
जानें काशी के डॉ.लहरी को: रिटायरमेंट के बाद भी 81 की उम्र में करते हैं फ्री इलाज, लोग कहते हैं रोगियों का भगवान जानें काशी के डॉ.लहरी को: 81 की उम्र में करते हैं फ्री इलाज, लोग कहते हैं रोगियों का 'भगवान'
नई दिल्ली, 01 जुलाई: भारत में एक जुलाई को हर साल राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाया जाता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हर साल ए जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस मनाता है। यह दिन समाज में डॉक्टरों के योगदान पर प्रकाश डालता है। ये दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे मरीजों की देखभाल और इलाज करने के लिए डॉक्टर्स चौबीसों घंटे काम करते हैं। डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, उन्हें ये उपनाम ऐसे ही नहीं दिया गया है। कोरोना काल में ये हम सबने देखा कि डॉक्टर्स ने कैसे अपनी जान की परवाह किए बिना लगातार काम में लगे हैं। इस डॉक्टर्स डे पर हम आपको एक ऐसे डॉक्टर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्हें लोग महापुरुष और भगवान कहते हैं। जो आज भी 81 साल की उम्र में मुफ्त में रोगियों का इलाज कर रहे हैं। आइए जानें वाराणसी के डॉ टी के लहरी के बारे में...?
कौन हैं डॉ. टी के लहरी?
प्रोफेसर डॉ. टी के लहरी का पूरा नाम तपन कुमार लहरी है। डॉ. टी के लहरी देश के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद भी वर्तमान में 81 साल की उम्र में प्रोफेसर डॉ. टी के लहरी मरीजों को मुफ्त में इलाज करते हैं। डॉ. टी के लहरी को भारत सरकार ने पद्मश्री से भी सम्मानित किया है। लोग इनकी तुलना ना डा. विधानचंद्र राय से करते हैं, जिनकी जयंती पर नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है।
अमेरिका से की है डॉक्टर लहरी ने पढ़ाई
पद्मश्री डॉ. लहरी का जन्म पश्चिम बंगाल कोलकाता में हुआ है। उन्होंने अमेरिका से डॉक्टरी की पढ़ाई की है। 1974 में डॉ. लहरी में बीएचयू में लेक्चरर के पद पर सेवा देते थे। मरीजों की सेवा करने के लिए उन्होंने शादी नहीं की। डॉ. लहरी का कहना है कि रिटायरमेंट के बाद उन्हें अमेरिका के कई बड़े अस्पताल से ऑफर आया था लेकिन उनका मन यहीं लगा हुआ है।
1997 के बाद कभी नहीं ली डॉक्टर लहरी ने सैलरी
दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताहिक डॉ. लहरी ने 1997 के बाद से सैलरी लेनी बंद कर दी थी। वह अपनी पूरी सैलरी जरूरतमंद मरीजों को दान देते थे। बताया जाता है कि 1997 में उनकी सैलरी 84,000 रुपये थी और अन्य भत्तों को मिलाकर ये एक लाख के ऊपर थी।
81 साल की उम्र मरीजों का करते हैं फ्री में इलाज
वाराणसी के प्रतिष्ठित सर सुंदरलाल अस्पताल से डॉ टी के लहरी सेवानिवृत्त हुए हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में काफी लंबे समय तक काम कर टी के लहरी रिटायर होने के बाद भी 81 साल की उम्र में भी मरीजों का मुफ्त इलाज करते हैं। उनके इसी काम को देखते हुए साल 2016 में चिकित्सा के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए योगदान को सराहने के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा था।
पेंशन का पैसा भी मरीजों में लगा देते हैं
साल 2003 में वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल से रिटायर हुए थे। रिटारमेंट के बाद भी उन्होंने अपने बारे में नहीं बल्कि मरीजों के बारे में सोचा। रिटायरमेंट के बाद वह अपने खर्चे से बचा हुआ सारा पैसा गरीब मरीजों की दवा में लगाते हैं। आज भी वह रोज अपने तय समय पर बीएचयू अस्पताल में आ जाते हैं और ओपडी में बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक 2003 में रिटायरमेंट के बाद लहरी को जो भी पेंशन और पीएफ मिला , उसको उन्होंने बीएचयू के मरीजों की सेवा के लिए डोनेट कर दिया। ये केवल खाने के खर्च के लिए पेंशन से रुपए लेते हैं।
नहीं की शादी, खुद जीते हैं सादा जीवन
डॉ टी के लहरी खुद सादा जीवन जीते हैं। उनके घर में आज भी सिर्फ कुछ जरूरत की चीजें ही मौजूद हैं। बीएचयू से केवल लहरी ने आवास सुविधा ली है। मरीजों की सेवा और उनका फ्री में इलाज करने की इस सेवाभाव के लोग कायल हैं। हृदय रोग की विशेषज्ञता की वजह से पूरे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग इनसे इलाज करवाने आते हैं। मरीजों के प्रति इस सेवाभाव को देखते हुए बीएचयू ने प्रफेसर लहरी को पूर्व में 'इमेरिटस प्रफेसर' का दर्जा देकर सम्मानित किया है।