कश्मीर में न कैश की किल्लत न एटीएम के बाहर लंबी कतारें
पूरा देश एटीएम के बाहर लंबी कतारों से परेशान तो घाटी के लोगों को नोट बंदी में भी है सुकून।
श्रीनगर। नोट बंदी के बाद इस बात की बड़ी चर्चा हुई कि इस कदम से घाटी में विरोध प्रदर्शनों और पत्थरबाजी पर लगाम गई है। नोट बंदी की वजह से जहां देश के बाकी हिस्सों में जहां लोग एटीएम के बाहर लंबी लाइनों से परेशान हैं तो वहीं घाटी के लोगों को कोई परेशानी नहीं हो रही है।
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एटीएम के बाहर सिर्फ 4-5 लोग
घाटी में एटीएम के बाहर जो लाइनें लगी हैं उनमें मुश्किल से सिर्फ चार से पांच लोग ही है। सिर्फ कुछ मिनटों में लोग तय नियम के अनुसार पैसे निकाल ले रहे हैं।
एक इंग्लिश डेली की रिपोर्ट के मुताबिक घाटी में न तो कैश की कोई कमी है और न ही नोट बंदी की वजह से लोगों को परेशानियां आ रही हैं।
जुलाई में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से ही विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी था। नोटबंदी के बाद से उस पर लगाम लगी हुई है।
जहां बाकी हिस्सों में नोट बंदी और कैश की कमी ने तूफान मचाकर रखा है तो वहीं घाटी में इसी नोट बंदी की वजह से सुकून और शांति का माहौल है।
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कर्फ्यू की वजह से शांति
जम्मू कश्मीर बैंक के एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया है कि आठ नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के नोट को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था तो पहले दो दिनों में खासी दिक्कतें आई थीं।
अब जो लाइनें लगी हैं उनमें भीड़ दूसरे राज्यों की तुलना में कुछ भी नहीं है। वहीं घाटी के नागरिक और कुछ विशेषज्ञ इस कम भीड़ को हैरानजनक नहीं मान रहे हैं।
कश्मीर यूनिवर्सिटी में वित्तीय मामलों के प्रोफेसर मोइउदीन संगमी का कहना है कि पिछले पांच माह से घाटी में अशांति और कर्फ्यू का माहौल था।
लोगों के पैसे भी खर्च नहीं हुए और सारी सेविंग्स एक समय के बाद सीमा के बाहर हो गई थी। फिर ऐसी कौन सी वजह है जो लोगों को एटीएम की लाइनों में लगने को मजबूर करेगी।
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कैश की जरूरत नहीं
एक प्राइवेट बैंक के अधिकारी ने इस पर बताया कि कश्मीर में शटडाउन कभी भी हो सकता है या फिर मौसम कभी भी खराब हो सकता है।
ऐसे में यहां के लोगों की चीजों को बचाकर रखने की आदत है ताकि कुछ हफ्तों तक काम चलाया जा सके। ऐसे में कैश निकालने और जरूरी सामान की भी कोई ज्यादा जरूरत नहीं है।