मंदबुद्धि शरण गृह के नाम पर दिल्ली में चल रहा है जीता-जागता नरक
दिल्ली का शरण गृह बना नरक, महिलाओं को खुले में बदलने पड़ते हैं कपड़े, जबरन कराया जाता है काम, पिछले दो महीने में 11 की मौत
नई दिल्ली। देश की राजधानी में दिल्ली में चल रहे मंदबुद्धि विकास गृह में शर्मनाक घटना सामने आई है। दिल्ली के आशा किरण गृह में रह रही महिलाओं को खुले में कपड़े बदलने के लिए मजबूर किए जाने का मामला सामने आया है, यहा महिलाएं जो मानसिक तौर पर स्वस्थ्य नहीं हैं उन्हें खुले में कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाता है, जबकि पुरुष कर्मचारी उन्हें यहां लगे सीसीटीवी कैमरे के जरिए देखते हैं, यही नहीं महिला कर्मचारी यहां इन महिलाओं से अपने पैर का जबरन मसाज तक कराती हैं।
महिला कमीशन ने नरक में गुजारी एक रात
दिल्ली की महिला कमीशन ने इस विकास गृह के बारे में यह चौंकाने वाली बातें सामने रखी हैं। महिला कमीशन की चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल ने जब इस विकास गृह का रात में दौरा किया तो उन्होंने यहां की दुर्दशा को सामने रखा। । यह विकास गृह दिल्ली सरकार के अधीन चलता है और यह सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के तहत आता है। स्वाति मालीवाल ने इस विकास गृह में तकरीबन 12 घंटे का समय बिताया, इस दौरान उन्होंने पाया कि यहां मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। उनकी टीम ने वह वीडियो भी देखा जिसमें महिलाओं को सीसीटीवी कैमरे से नग्न अवस्था में रिकॉर्ड किया गया था।
बीमार
महिलाओं
से
कराया
जाता
है
मसाज
मालीवाल
ने
बताया
कि
यहां
रह
रहे
लोगों
को
जबरन
सफाई
करने
को
कहा
जाता
है
और
कपड़े
धोने
को
कहा
जाता
है।
यहां
रह
रही
एक
महिला
दूसरी
महिला
को
नहाने
में
मदद
कर
रही
थी,
एक
महिला
कर्मचारी
जिसका
नाम
कांता
है
वह
दूसरी
महिला
से
अपने
पैरों
का
मसाज
करवा
रही
थी।
उन्होंने
बताया
कि
यहां
रह
रही
अधिकतर
महिलाएं
चल
भी
नहीं
सकती
है,
यहां
तकरीबन
153
महिलाएं
चल
नहीं
सकती
हैं
और
उन्हें
बेडरेस्ट
पर
रखा
गया
है
लेकिन
इनकी
देखरेख
के
लिए
यहां
सिर्फ
एक
महिला
है,
उन्होंने
कहा
कि
यह
कैसे
मुमकिन
है
कि
एक
महिला
इन
सभी
को
नहला
सकती
है
या
फिर
शौच
के
लिए
ले
जा
सकती
है।
दिल्ली
महिला
कमीशन
इस
मामले
में
जांच
बैठाने
जा
रही
है,
इसके
अलावा
सोशल
वेलफेयर
सेक्रेटरी
से
72
घंटे
के
भीतर
जवाब
मांगा
गया
है।
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में
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बार
में
काम
करने
वाली
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से
सामूहिक
बलात्कार
जमीन
पर
सोने
को
मजबूर
इस
विकास
गृह
के
कॉटेज
नंबर
दो
में
एक
बच्ची
खुले
में
सोने
को
मजबूर
है,
उसे
मजबूरन
सर्दी
में
फर्श
पर
सोना
पड़
रहा
है
और
उसे
सोने
के
लिए
बिस्तर
तक
नहीं
दिया
गया
है,
इसकी
वजह
यह
है
कि
उसका
बिस्तर
भीग
गया
है।
यही
ननहीं
इश
विकास
गृह
में
एक
भी
मनोचिकित्सक
नहीं
है,
सिर्फ
एक
मनोचिकित्सक
हां
हफ्ते
में
दो
दिन
आता
है
और
कुछ
घंटों
की
देखरेख
के
बाद
चला
जाता
है।
350
लोगों
की
क्षमता,
450
लोग
रहने
को
मजबूर
आशा
किरण
सरकारी
मंदबुद्धि
विकास
गृह
है,
लेकिन
यहां
आतंक
का
माहौल
लोगों
के
लिए
सुधार
गृह
से
ज्यादा
खौफ
की
जगह
बन
गई
है।
इस
विकास
गृह
में
पिछले
दो
महीनों
में
11
लोगों
की
मौत
हो
चुकी
है,
यहां
की
दुर्दशा
का
अंदाजा
आप
इस
बात
से
लगा
सकते
हैं
कि
यहां
कुल
350
लोगों
की
क्षमता
है
लेकिन
यहां
450
लोग
रहते
हैं।
स्वाति
मालीवाल
ने
कहा
कि
हमें
बताया
गया
है
कि
दो
महीने
पहले
मरने
वालों
की
संख्या
कम
थी,
लेकिन
यहां
रात
बिताने
के
बाद
मैं
विचलित
हो
गई
हूं।
हम
इस
बात
की
कोशिश
करेंगे
कि
इस
मामले
में
आरोपियों
के
खिलाफ
सख्त
से
सख्त
कार्रवाई
हो
जो
यहां
की
दुर्दशा
के
लिए
जिम्मेदार
हैं।