केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के NGO को जमीन देने के लिए DDA ने बदल दिए नियम
केंद्रीय मंत्री की एनजीओ को जमीन देने के लिए डीडीए ने बदल डालें नियम, ट्वाय बैंक के लिए आवंटित की जमीन
नई दिल्ली। केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है जो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है। दरअसल दिल्ली विकास प्राधिकरण ने गोयल की एनजीओ को जमीन देने के लिए अपने ही विभाग की आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया और एनजीओ को दिल्ली में जमीन देने के लिए नियमों में फेरबदल कर डाले। जिस एनजीओ के लिए नियमों को ताक पर रखा गया वह गोयल के बेहद करीबी की एनजीओ है जिसका नाम वैश अग्रवाल एजूकेशन सोसाइटी है। लेकिन जब गोयल सितंबर 2014 में राज्यसभा सांसद बनें तो इस एनजीओ के दस्तावेज के मुताबिक विजय गोयल इसके उपाध्यक्ष, बनें और उनके बेटे सिद्धार्थ व बेटी विद्युन इस एनजीओ की सदस्य बनीं और इन लोगों ने डीडीए से ट्वाय बैंक खोलने के लिए जमीन मांगी।
डीडीए ने उठाए थे सवाल
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक डीडीए ने एनजीओ को एक निर्धारित फॉर्म पर इसके लिए आवेदन करने को कहा, लेकिन ऐसा एक साल तक नहीं किया गया। लेकिन अगले साल 2015 में डीडीए के अडिशनल डायरेक्टर की ओर से पत्र लिखा गया जिसमें कहा गया कि कृप्या जल्द से जल्द आवेदन करें। आंकड़ों की मानें तो 9 व 14 अक्टूबर 2015 तक डीडीए आवेदनों को निस्तारित कर रही थी, इसमें उसने कहा था कि जमीन देने के लिए उचित जगह उपलब्ध नहीं है। लेकिन 16 अक्टूबर को मुख्य कमिश्नर ने जेपी अग्रवाल एनजीओ के उद्देश्य पर सवाल उठाए।
ये थी मुख्य आपत्ति
डीडीए ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि अनाथ बच्चों के सेंटर की श्रेणी में ट्वाय बैंक के लिए जमीन नहीं दी जा सकती है। इसमें कहा गया कि इसके लिए नियमों में बदलाव करना पड़ेगा। साथ ही लेआउट प्लान में भी बदलाव करना पड़ेगा, इसके लिए प्लानिंग डिपार्टमेंट की अनुमती लेनी होगी, लिहाजा इस मामले को लेआउट प्लान के पास भेजा जाता है।
खारिज कर दिया गया था आवेदन
जिस बैठक में गोयल की एनजीओ के आवेदन को स्वीकार किया गया, उसी आवेदन को इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर ऑर्ट एंड कल्चर हेरिटेज ने इसके मकसद के चलते खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया कि यह आवेदन सामाजिक कार्य की श्रेणी में नहीं आता है। 23 दिसंबर 2015 को डीडीए की फाइल में गोयल की एनजीओ को 488 स्क्वायर मीटर प्लॉट को देने की बात कही जिसका डीडीए के अधिकारियों ने मुआयना किया था। यह जमीन डेरावाल नगर, जीटी रोड दिल्ली में है, यहां पर एक पार्क है जोकि आधारिशिला नर्सरी स्कूल के पास है, जिसे वैश एनजीओ ही चलाती है।
पहले मंदिर के लिए आवंटित थी जमीन
यहां गौर करने वाली बात यह है कि स जमीन को मंदिर के निर्माण के लिए पहले दिए जाने का प्रस्ताव था, मंदिर के लिए 2003 में आवेदन किया गया था, लेकिन जांच की चलते इसपर स्टे लग गया था। 1 जनवरी 2016 को डीडीए की ओर से कहा गया कि वैश एनजीओ की अपील के बाद लेआउट में बदलाव किया गया, साथ ही यह देखा जा रहा है कि क्या जमीन को ट्वाय बैंक के लिए दिया जा सकता है।
2016 में दी गई अनुमति
डीडीए की इंस्टीट्यूशनल कमेटी (आईएसी) ने 5 मई 2016 को ट्वाय बैंक की अनुमति दे दी , जबकि इससे पहले डीडीएन ने इसी आधार पर सात आवेदनों को खारिज किया था। डीडीए ने वैश एनजीओ को लिखा कि वह केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय से इस बाबत अनुमति लें, साथ ही कहा गया कि इसे जल्द से जल्द लिया जाए। जिसके बाद एनजीओ ने डीडीए को लिखा कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि आप क्यों हमें एक ही पत्र बार-बार भेज रहे हैं, हमारे हिसाब से हमने आपके सारे दस्तावेजों को पूरा कर दिया है।
1.77 करोड़ में दी गई जमीन
आईएसी की बैठक में 8 जुलाई को जमीन देने की अनुमति दे दी गई। जिसके बाद 18 जुलाई को एनजीओ ने लेफ्टिनेंट गवर्नर और डीडीए के चेयरमैन के पास आवेदन भेजा ताकि वह इसपर आखिरी मुहर लगा सके। 8 अगस्त को एनजीओ को यह जमीन आवंटित कर दी गई, यह जमीन एनजीओ के 1 सितंबर 2016 में 1.77 करोड़ रुपए में आवंटित की गई।