कोरोना वायरसः दिल्ली में कोरोना मरीज़ों के इंतज़ार में क्यों खड़े हैं रेलवे के आइसोलेशन कोच
रेलवे का दावा है कि दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, तेलंगाना , मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश में रेल आइसोलेशन कोच राज्य सरकार की माँग पर तैनात किए गए हैं.
14 जून को केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए एक फ़ैसला सुनाया.
दिल्ली में बढ़ते कोरोना मरीज़ों की संख्या को देखते हुए भारतीय रेल के आइसोलेशन कोच, कोविड19 के मरीज़ों को आइसोलेट करने के लिए काम में लाए जाएँ.
दरअसल दिल्ली सरकार ने 31 जुलाई तक दिल्ली में कोरोना के साढ़ पाँच लाख मरीज़ होने की आशंका जताई है. साथ ही कहा है कि इतने मरीज़ों के लिए बेड मिलने में परेशानी हो सकती है.
इसी दिक्क़त को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 500 आइसोलेशन कोच देने का फरमान जारी किया था.
16 जून से दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन से चलने वाली रेलगाड़ियों को शिफ्ट भी कर दिया गया, ताकि रेल आइसोलेशन कोच वहाँ खड़े हो सके.
दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उनसे इस सुविधा को लेने का फ़ैसला भी कर लिया.
लेकिन पूरी कहानी में अभी एक ट्विस्ट बाक़ी है.
दिक़्क़त कहाँ हैं?
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बुधवार को इसका निरीक्षण करने के लिए शकूर बस्ती पहुँचे. यहाँ नार्दन रेलवे ने ऐसे ही 10 आइसोलेशन कोच खड़े कर रखे हैं.
रेल आइसोलेशन कोच का निरीक्षण करने के बाद मनीष सिसोदिया ने पाया कि इतनी गर्मी में इन कोच का इस्तेमाल कोविड केयर यूनिट के तौर पर करना मुश्किल है.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा है, "सोच अच्छी है. प्रयास अच्छा है. लेकिन अभी इसमें कुछ इश्यू हैं. गर्मी बहुत ज़्यादा है. इसके असर को कैसे कम कर सकते हैं. ये देखना होगा. मेडिकल स्टॉफ इतनी गर्मी में पीपीई किट पहने हुए इस कोच में रहेगा उससे उसको भी प्राब्लम होगी, पेशेंट को भी प्राब्लम होगी."
उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात को माना कि गर्मी की समस्या है. उन्होंने कहा कि वे रेलवे आइसोलेशन कोच में गर्मी के असर को कम करने के लिए प्रयासरत है.
कैसे हैं आइसोलेशन कोच?
केंद्र सरकार के फ़ैसले के मुताब़िक दिल्ली के नौ स्टेशनों में 500 रेल आइसोलेशन कोच तैनात किए जाएँगे.
इसमें सबसे ज्यादा 276 कोच आनंद विहार स्टेशन, उसके बाद शकूर बस्ती और सराय रोहिल्ला में 50-50 कोच तैनात करने की बात की गई है. ऐसी ही सुविधा सफ़दरजंग, शहादरा, आदर्श नगर, दिल्ली कैंट, पटेल नगर और तुग़लकाबाद में भी रखने का प्रावधान है.
सरकार के मुताब़िक इस तरह के कोच का इस्तेमाल कोविड केयर यूनिट के तौर पर किया जाएगा. यानी जिन लोगों को माइल्ड कोविड19 के लक्षण होंगें और जिनके घर पर होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं होगी, उनको आइसोलेट करने के लिए यहाँ रखा जा सकता है.
किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इन कोच तक एंबुलेंस पहुँचाने की सुविधा भी इन स्टेशनों पर है. केंद्र सरकार का दावा है कि देश भर में ऐसे आइसोलेशन कोच तैयार करने के लिए रेलवे ने 900 करोड़ से ज़्यादा ख़र्च किया है.
इस कोच में मेडिकल इक्विप्मेंट लगाने के लिए प्लग प्वाइंट बनाए गए हैं. ये सभी रेल कोच नॉन एसी कोच हैं. रेल कोच के टॉयलेट को बाथरूम में बदला गया है. खिड़कियों पर मच्छरदानी लगाई गई है. अतिरिक्त पंखे और ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है. एक कोच में एक वक़्त में 16 मरीज़ इलाज करा पाएंगे.
लेकिन दिक्क़त एक ही है. जिस वक़्त दिल्ली में तापमान 45 डिग्री के ऊपर है, इतनी गर्मी में नॉन एसी में पीपीई पहन कर मरीज़ों के इलाज में डॉक्टरों को भी दिक्कत आएगी और मरीज़ों को भी.
उत्तर रेलवे का बयान
दरअसल शुरुआत में सेंट्रलाइज्ड एसी से कोरोना के इलाज में दिक्क़तों की बात सामने आने के बाद रेल मंत्रालय ने नॉन एसी कोच के इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया.
नार्दन रेलवे और नार्थ सेंट्रल रेलवे के जनरल मैनेजर राजीव चौधरी ने बताया कि आइसोलेशन कोच के मरीज़ों को बचाने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.
कोच के अंदर वेंटिलेशन के लिए ट्रेनों की छत और बॉडी पर इंसुलेशन मटेरियल लगाया जाएगा. रेलवे का मानना है कि ऐसा करने से कोच के अंदर के तापमान पर 2-4 डिग्री का फ़र्क पड़ेगा.
इतना ही नहीं डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टॉफ और दूसरे कर्मचारियों के लिए आइसोलेशन कोच वाली ट्रेन में दो-दो एसी कोच भी लगाए जाएँगे.
इन सभी कोच के रख-रखाव और साफ़ सफ़ाई की जिम्मेदारी नार्दन रेलवे की होगी. स्टेशन पर रेलवे के डॉक्टर और लाइजन अफ़सर भी तैनात किए जाएँगे.
देश में किस राज्य में कितने आइसोलेशन कोच
दिल्ली से पहले झारखंड से भी इस तरह के आइसोलेशन कोच का इस्तेमाल ना होने की ख़बरें आई थी.
बीबीसी हिंदी के लिए झारखंड से ये रिपोर्ट रवि प्रकाश ने भेजी थी. झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने आरोप लगाया है कि ट्रेन के कोच को आइसोलेशन कोच में बदलना एक घोटाला है.
और वहाँ इस तरह के कोच का इस्तेमाल अभी तक नहीं हुआ है.
तब रेल मंत्रालय ने बीबीसी की ख़बर पर ट्वीट करके कहा था, "रेलवे के पास 5231 कोविड कोच उपलब्ध हैं. ये कोच 215 अलग-अलग लोकेशन्स पर हैं."
लेकिन ये जानकारी साझा नहीं कि गई कि आख़िर इस स्टेशनों पर खड़े आइसोलेशन कोच में कितने कोच का किस राज्य में इस्तेमाल हो रहा है.
पूरी कहानी अब आगे बढ़ चुकी है. दिल्ली में ऐसे 500 कोच दे दिए गए हैं, जिसके बाद काग़जों पर दिल्ली में 8000 बेड्स की क्षमता बढ़ गई है.
दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश में ऐसे आइसोलेशन कोच की संख्या अब 960 हो गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब इन रेल कोच के इस्तेमाल के लिए बाक़ायदा गाइडलाइन जारी कर दी है. अब सबको इंतजार है इनके इस्तेमाल होने का.
भारत में कोरोना का संक्रमण आने के तुरंत बाद रेलवे ने बोगियों में आइसोलेशन वार्ड बनाए थे. इसके लिए 5000 से भी अधिक कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया था.