COVID-19: एंटी-वायरल दवा Remdesivir की ट्रायल में भारत भी शामिल-हर्षवर्धन
नई दिल्ली- कुछ कोरोना मरीजों पर एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर की ट्रायल में भारत भी विश्व स्वास्थ्य संगठन का सहभागी है। ये जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने दी है। उन्होंने कहा है कि भारत को रेमडेसिविर की 1,000 डोज मिल गई है और इसका प्रयोग कुछ राज्यों के कुछ मरीजों पर करके देखा जाएगा। बता दें कि अमेरिकी में कोविड-19 के बहुत ज्यादा गंभीर मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी जा चुकी है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन इसका दुनिया भर के मरीजों पर ट्रायल करवाने में जुटा है। अमेरिका में इस दवा की क्लीकल ट्रायल में जुटे कुछ डॉक्टरों ने इस दवा से बहुत ज्यादा उम्मीद जताई थी।
रेमडेसिविर की ट्रायल में भारत भी सहभागी
सीएनएन-न्यूज18 को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा है कि, 'यह एक महत्वपूर्ण विषय है जिसपर सरकार में उच्चतम स्तर पर चर्चा की गई है। आईसीएमआर और सीएसआईआर के वैज्ञानिक भी इस मामले को देख रहे हैं। इस समय हम विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एकजुट होकर ट्रायल में सहभागी होने वाले हैं और डब्ल्यूएचओ से करीब 1,000 डोज भी मिल गए हैं। इसकी क्लीनिकल ट्रायल हम कुछ राज्यों के कुछ मरीजों पर करने की कोशिश करेंगे।' बता दें कि रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनी गिलीड साइंसेज की इस एंटी-वायरल दवा को अमेरिका में कोविड-19 के गंभीर मरीजों पर इस्तेमाल की आधिकारिक इजाजत मिल चुकी है।
अमेरिका में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मंजूरी
अमेरिकी एफडीए ने कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर रेमडेसिविर के उपयोग की मंजूरी वहां के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की ओर से करीब 1,063 मरीजों पर नियंत्रित लेकिन, रैंडोमाइज्ड आधार पर ट्रायल के बाद के प्राथमिक परिणामों के अनुसार दी है। इस ट्रायल में ये पता चला है कि गंभीर रूप से बीमार जिन मरीजों को ये एंटी-वायरल दवा दी गई, वह दूसरे मरीजों की तुलना में 31 फीसदी ज्यादा तेजी से स्वस्थ हुए। गिलीड साइंसेज का कहना है कि वह इस हफ्ते की शुरुआत में ही इसे मरीजों के लिए उपलब्ध करा देगा। इससे पहले कंपनी के प्रवक्ता कह चुके हैं कि वह दुनिया भर में कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए इसके ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए भारत समेत विश्व की दूसरी सरकारों और दवा कंपनियों के साथ साझेदारी को तैयार है।
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कई देशों में पहले से ही चल रही है ट्रायल
बता दें कि इस दवा पर दुनिया भर में पिछले महीने से ही कई जगहों पर ट्रायल चल रहे हैं। इस दवा के कोरोना मरीजों पर असरदार होने की उम्मीद तबसे पैदा हुई जब अमेरिका में रेमडेसिविर की क्लीनिकल ट्रायल की अगुवा और शिकागो यूनिवर्सिटी की संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कैथलीन मुल्लाने को एक वीडियो में अपनी सहयोगी से यह कहते सुना गया था कि, 'हमारे ज्यादातर मरीजों की हालत गंभीर थी और उनमें से अधिकतर 6 दिनों में ही जा रहे हैं, इससे ये पता चलता है कि इलाज में 10 दिन भी नहीं लगने वाला।' वह यह भी कह रही थीं कि, 'सबसे बढ़िया खबर ये है कि हमारे ज्यादातर मरीजों को पहले ही डिस्चार्ज किया जा चुका है, जो बहुत ही अच्छी बात है। अब हमारे पास सिर्फ दो ही मरीज बच गए हैं।' बता दें कि रेमडेसिविर का जानवरों पर कई तरह का प्रयोग हो चुका है और ये पाया गया है कि यह कोरोना वायरसों की रोकथाम और इलाज में सक्षम है, जिसमें SARS और MERS भी शामिल हैं। कोविड-19 कोरोना वायरस भी उन्हीं का वंशज है। पिछले फरवरी में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि रेमडेसिविर ने कोविड-19 के खिलाफ अपनी क्षमता दिखाई है।
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