मध्य प्रदेश: 6 सीटों पर 1000 से कम मतों के अंतर से जीती कांग्रेस, नोटा ने बिगाड़ा BJP का खेल
नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के दौर में, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 ने भारतीय राजनीति के कई पर्यवेक्षकों को मतपत्र पेपर आधारित मतदान की यादों को वापस लाया ताजा कर दिया। मध्यप्रदेश चुनाव के परिणाम बुधवार सुबह तक घोषित नहीं किए जा सकते क्योंकि वोटों की गिनती 24 घंटे से अधिक समय तक चली। दो सीटों के चुनाव परिणाम आने से पहले ही कांग्रेस को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दिया गया। मध्य प्रदेश का चुनाव देश में हाल के दिनों में हुए विधानसभा चुनावों में से सबसे ज्यादा निकट हार-जीत वाला चुनाव रहा है। वोट शेयर इसकी एक झलक है। भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी टक्कर एक दम कांटे की रही।
कम वोट प्रतिशत के बावजूद कांग्रेस बनी सबसे बड़ी पार्टी
कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 114 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 41 फीसदी वोट शेयर के साथ 109 सीटें जीतीं। हारने वाली पार्टी को विजेता से 0.1 प्रतिशत अधिक मत मिले। संख्या में, बीजेपी क 1,55,95,153 वोटों की तुलना में कांग्रेस को 1,56,42, 9 80 वोट मिले। दोनों पार्टियों के केवल 47,817 वोटों का अंतर था। दिलचस्प बात यह है कि 1.4 प्रतिशत या 5,42,295 मतदाताओं ने नोटा विकल्प चुना। जिसने बीजेपी का पूरा खेल खराब कर दिया। कांग्रेस इन छह ग्वालियर दक्षिण, सुवर्सा, जबलपुर उत्तर, राजनगर, दमोह, राजपुर (एसटी) पर एक हजार से कम मतों के अंतर से जीती है।
कांग्रेस के फेवर में गई कम जीत का अंतर
मध्य प्रदेश चुनाव में तेरह विधानसभा सीटों का फैसला 2,000 से भी कम वोटों के हुआ। उनमें से आठ कांग्रेस के पक्ष में गईं। 1,000 से कम मतों के अंतर से नौ विधानसभा सीटों पर फैसला हुआ। जिसमें से छह कांग्रेस के खाते में गईं। इन 13 सीटों में से कांग्रेस ने 2013 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस ने अपनी सीटों को बरकरार रखा जबकि कम मार्जिन रेस में बीजेपी से पांच छीन ली। वहीं बीजेपी कांग्रेस से ऐसी एक सीट छीन सकी।
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6 सीटों पर जीत का अंतर एक हजार से कम वोट का रहा
ग्वालियर साउथ में जीत का मार्जिन सबसे कम था, जहां कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के मौजूदा विधायक नारायण सिंह कुशवाहा को केवल 121 वोटों से हराया। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की सुवर्सा सीट केवल 350 वोटों से जीती। मध्यप्रदेश चुनाव में कम मार्जिन वाली चार सीटें (2,000 से कम वोट) बीजेपी के पक्ष में गईं। इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी 1,000 से कम वोट के अंतर से जीती।
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